पाकिस्तान सरकार की संविधान में संषोधन करके पीओजेके यानी पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर को अलग-थलग करने की चाल आखिरकार असफल हुई है। पीओजेके के नागरिकों का तीखा आक्रोश देखकर सरकार ने उससे संबंधित विधेयक वापस लेने का मन बना लिया है। इसे एक तरह से पीओजेके के नागरिकों की जीत माना जा रहा है।
पाकिस्तान से आई एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने तय किया है कि वह असेम्बली में इस बिल को वापस ले लेगी। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने पीओजेके के अंतरिम संविधान में उस 15वें संशोधन विधेयक को पारित करने को लेकर बहुत उम्मीदें बांधी हुई थीं। विधेयक में एक खास बिन्दु था, स्थानीय निकायों हेतु एक अलग चुनाव आयोग बनाया जाना, जो किसी भी तरह से स्थानीय नेताओं को स्वीकार नहीं था। उनके आह्वान पर पिछले करीब दस दिन से वहां जबरदस्त आंदोलन चल रहा था। स्थानीय नागरिकों ने साफ कहा था कि जब तक यह विधेयक वापस नहीं होता, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा, और अब अंततः उनका वह आंदोलन कामयाब साबित हुआ है।
पीओजेके को एक अलग प्रांत का दर्जा देने की बात वहां के नागरिकों के साथ एक बड़े झांसे के तौर पर देखी जा रही थी। पाकिस्तान सरकार ने यह विधेयक गत 13 अगस्त को असेम्बली में पेश किया था। बताते हैं, इसके लिए उसे मुख्य विपक्षी दलों पीपीपी तथा पीएमएल-एन का समर्थन मिल गया था।
ध्यान देने की बात है कि इससे पहले भी 23 बार पीओजेके की सांविधानिक स्थिति में बदलाव लाने की कोशिशें की जा चुकी हैं, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी है। कारण, वहां के निवासी इसे अपने से किए जा रहे सौतेले बर्ताव पर मुहर लगाए जाने के तौर पर देखते हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि पीओजेके की विधानसभा तक इस विशय पर अभी तक कोई तय मत नहीं रख पाई है।
उल्लेखनीय है कि 15वां संशोधन मुख्य रूप से पीओजेके के स्थानीय चुनावों की प्रक्रिया से जुड़ा है। यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि यहां के स्थानीय नागरिक इस्लामाबाद पर उनसे नफरत भरा बर्ताव करने के आरोप लगाते रहे हैं। उन्हें शिकायत यह भी है कि है कि इस्लामाबाद की सरकार पीओजेके के नागरिकों की इच्छा के विरुद्ध फैसले लेती है। वह उनसे कोई सुझाव तक नहीं लेती।
यही वजह थी कि जब 15वें संशोधन का विधेयक पेश किया गया तो पीओजेके के सभी 10 जिलों में जबरदस्त विरोध उठ खड़ा हुआ। वजह एक और भी थी। नए खाके के पीछे मकसद यह भी था कि 13वें संशोधन को वापस लिया जाए जिसके तहत स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस्लामाबाद की दखल के बिना अपने स्तर पर राजनीतिक तथा आर्थिक फैसले लेने का हक दिया गया था।
इस्लाम खबर की रिपोर्ट बताती है कि पीओजेके के निवासी इस 15वें संशोधन को उनके विशेष क्षेत्र को बांटकर वहां के प्रशासन को पूरी तरह अपने काबू में लेने की कोशिशों से गुस्से में थे। इससे उनके हक भी छिनने का भय था। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के लोग इस्लामाबाद पर यहां के प्राकृतिक संसाधनों का अकूत दोहन करने के आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान यहां के हरे-भरे जंगलों, खदानों और जल संसाधनों का दोहन कर रहा और यहां के निवासियों के साथ इसमें से रत्ती भर लाभ साझा नहीं करता।
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