प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर चोट करते हुए इसे देश के लिए एक बड़ी समस्या बताया। स्टार्टअप और इनोवेशन के दौर में उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान में ‘जय अनुसंधान’ जोड़ते हुए नया नारा दिया। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि नारी का हर हाल में सम्मान जरूरी है। साथ ही, विकसित भारत के अगले 25 साल का खाका पेश करते हुए उन्होंने देशवासियों से पांच प्रण लेने को कहा। प्रस्तुत है प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के अंश-
आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज का दिन एक पुण्य पड़ाव, नई राह, नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ऐतिहासिक अवसर है। आजादी की लड़ाई में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता है। हिन्दुस्थान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ संघर्ष न किया हो। आज देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष, हर त्यागी, हर बलिदानी को नमन करने, उनके सपनों को जल्द से जल्द पूरा करने का संकल्प लेने का भी अवसर है।
अमृत महोत्सव 2021 में दांडी यात्रा से प्रारंभ हुआ। इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा और एक मकसद के लिए उत्सव मनाने की शायद यह पहली घटना है। हिन्दुस्थान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद किया गया, जिन्हें किसी कारणवश इतिहास में जगह नहीं मिली या जिनको भुला दिया गया था।
75 साल की हमारी यह यात्रा अनेक उतार-चढ़ाव से भरी है। आंतकवाद ने पग-पग चुनौतियां पैदा कीं। छद्म युद्ध चलते रहे, प्राकृतिक आपदाएं आती रहीं। लेकिन इनके बीच भारत आगे बढ़ता रहा। औरों को भारत के लिए बोझ लगने वाली विविधता ही भारत की अनमोल शक्ति है। दुनिया को पता नहीं था कि भारत के पास एक अंतर्निहित सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है, एक मन मस्तिष्क का, विचारों का बंधन है। और वह यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे संकल्प कर चल पड़ते हैं। सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आता है।
भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। आज देश का सबसे बड़ा सौभाग्य देख रहा हूं कि भारत का जनमन आकांक्षित है। हमें गर्व है कि आज हिन्दुस्थान के हर कोने में, समाज के हर वर्ग में, हर तबके में, आकांक्षाएं उफान पर हैं। कुछ लोगों को इसके कारण संकट हो सकता है। जब समाज आकांक्षित होता है, तब सरकारों को भी तलवार की धार पर चलना पड़ता है। मुझे विश्वास है चाहे केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, स्थानीय स्वराज्य की संस्थाएं हों, हर किसी को इस आकांक्षित समाज के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा। अमृत काल का पहला प्रभात समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुत बड़ा सुनहरा अवसर लेकर आया है। हमने पिछले दिनों एक और ताकत का अनुभव किया है। वह है भारत में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण। मेरे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है।
दुनिया को पता नहीं था कि भारत के पास एक अंतर्निहित सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है, एक मन मस्तिष्क का, विचारों का बंधन है। और वह यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे संकल्प कर चल पड़ते हैं। सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आता है।
पूरे विश्व का भारत के प्रति नजरिया बदल चुका है। विश्व भारत की तरफ गर्व से देख रहा है, अपेक्षा से देख रहा है। विश्व की सोच में यह बदलाव 75 साल की हमारी अनुभव यात्रा का परिणाम है। जब राजनीतिक स्थिरता हो, नीतियों में गतिशीलता हो, निर्णयों में तेजी हो, सर्वव्यापकता हो, सर्वसमाजविश्वस्तता हो, तो विकास में हर कोई भागीदार बनता है। हम सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लेकर चले थे। देखते-देखते देशवासियों ने सबका विश्वास और सबके प्रयास से उसमें और रंग भर दिए।
अगले 25 वर्ष का खाका
अगले 25 वर्ष देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें पंचप्रण पर अपनी शक्ति केंद्रित करनी होगी। 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, हमें उन पंचप्रण को लेकर आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठा कर चलना होगा।
पहला प्रण है—विकसित भारत। अगले 25 साल में भारत को विकसित बनाना है। मेरे देश के नौजवानो, जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब आप 50-55 के होंगे, मतलब आपके जीवन का यह स्वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है। आप संकल्प लेकर मेरे साथ चल पड़िए, तिंरगे झंडे की शपथ लेकर चल पड़िए, हम सब पूरी ताकत से लग जाएं। मेरा देश विकसित होगा, विकास के हर मानक में हम मानवकेंद्रित व्यवस्था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी।
दूसरा प्रण है—गुलामी की मानसिकता छोड़ देश की सोचिए। कब तक दुनिया हमें प्रमाणपत्र बांटती रहेगी? क्या हम अपने मानक नहीं बनाएंगे? क्या 130 करोड़ का देश अपने मानकों को पार करने के लिए पुरुषार्थ नहीं कर सकता। हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है। हम जैसे हैं वैसे, लेकिन सामर्थ्य के साथ खड़े होंगे, यह हमारा मिजाज होना चाहिए। हमें गुलामी से मुक्ति चाहिए।
तीसरा प्रण है—अपनी विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे। जब हम ऊंचा उड़ेंगे तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे। आज दुनिया की नजर भारत के योग, आयुर्वेद, आध्यात्मिक जीवनशैली और पारिवारिक व्यवस्था पर जाती है। ये हमारी विरासत है जो हम दुनिया को दे रहे हैं। हम प्रकृति के साथ जीना जानते हैं। आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हम लोगों के पास है।
चौथा प्रण है- एकता, एकजुटता। इतने बड़े देश की विविधता का हमें जश्न मनाना है, इतने पंथ और परंपराएं हमारी आन-बान-शान हैं। सब बराबर हैं। सब अपने हैं। यह भाव एकता के लिए बहुत जरूरी है। लैंगिक समानता हमारी एकता की पहली शर्त है। एकता का एक ही मानदंड हो – इंडिया फर्स्ट।
पांचवां प्रण है-नागरिक का कर्तव्य। दुनिया में जिन देशों ने प्रगति की है, उनसे कुछ सबक मिलते हैं। पहला, अनुशासित जीवन, दूसरा कर्तव्य के प्रति समर्पण। चाहे पुलिस हो, नागरिक, शासक या प्रशासक हो, नागरिक कर्तव्य से कोई अछूता नहीं हो सकता। हर कोई अगर नागरिक के कर्तव्यों को निभाएगा तो हम समय से पहले इच्छित लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
आत्मनिर्भर भारत के उज्ज्वल भविष्य का बीज
आज महर्षि अरविंद की जयंती भी है, जिन्होंने कहा था – स्वदेशी से स्वराज, स्वराज से सुराज। हम कब तक दुनिया के और लोगों पर निर्भर रहेंगे। आत्मनिर्भर भारत हर नागरिक, हर सरकार, समाज की हर इकाई का दायित्व है। यह समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है। इस संकल्प में ‘आत्मनिर्भर’ भारत के उज्जवल भविष्य के बीज देख रहा हूं। दुनिया के लोग प्रौद्योगिकी लेकर हिन्दुस्थान आ रहे हैं। भारत मैन्यूफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक सामान का उत्पादन, मोबाइल फोन के उत्पादन में देश तेजी से प्रगति कर रहा है। ब्रह्मोस दुनिया में जा रहा है। हमारी मेट्रो कोचेज, हमारी वंदे भारत ट्रेन विश्व के लिए आकर्षण बन रही है। हमें ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है। आज प्राकृतिक खेती भी आत्मनिर्भरता का एक मार्ग है। भारत ने अंतरिक्ष को खोल दिया है। हम दुनिया में ड्रोन की सबसे प्रगतिशील नीति लेकर आए हैं। मैं निजी क्षेत्र का आह्वान करता हूं आइए, हमें विश्व में छा जाना है। आत्मनिर्भर भारत का ये भी सपना है कि दुनिया की आवश्यकताएं पूरा करने में भारत पीछे नहीं रहेगा।
हिन्दुस्थान की राजनीति और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए हमें इस परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिला कर योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाना होगा। इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो करोड़ों समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। इस सामर्थ्य को लेकर के हमें आगे बढ़ना है। सबका प्रयास ये परिणाम लाने वाला है। टीम इंडिया की भावना ही देश को आगे बढ़ानेवाली है।
जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय अनुसंधान
लाल बहादुर शास्त्री जी का जय जवान-जय किसान का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा। अब अमृतकाल के लिए एक और अनिवार्यता है, वह है जय अनुसंधान। जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय अनुसंधान- इनोवेशन। हम 5जी के दौर में कदम रख रहे हैं। हिन्दुस्थान के चार लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स गांवों में विकसित हो रहे हैं। यह अपने-आप में टेक्नोलॉजी हब बनने की भारत की ताकत है। भारत के आर्थिक विकास की संभावनाएं मजबूती से धरातल से जुड़ी हुई हैं। छोटे किसानों व छोटे उद्यमियों, लघु, कुटीर व सूक्ष्म उद्योग, रेहड़ी-पटरी व घरेलू कामगार, आॅटो रिक्शाचालक समाज के इस बड़े तबके का सामर्थ्यवान होना भारत के सामर्थ्य की गारंटी है।
सिरमौर बनी नारीशक्ति
अमृत काल के लिए हमारे मानव संसाधन, हमारी प्राकृतिक संपदा का अनुकूलतम लाभ कैसे हो, इस लक्ष्य को लेकर चलना है। आज अदालतों में नारीशक्ति ताकत के साथ नजर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्र में नारीशक्ति जनप्रतिनिधि के रूप में समर्पित भाव से गांवों की समस्याओं को सुलझाने में लगी है। ज्ञान का क्षेत्र हो या विज्ञान का, नारीशक्ति सिरमौर नजर आ रही है। जीवन के हर क्षेत्र में, खेल के मैदान में या युद्ध भूमि में, भारत की नारीशक्ति एक नए सामर्थ्य, नए विश्वास के साथ आगे आ रही है। भारत की 75 साल की यात्रा में नारीशक्ति का जो योगदान है, उससे कई गुना योगदान मैं आने वाले 25 साल में देख रहा हूं।
भ्रष्टाचार और परिवारवाद के विरुद्ध निर्णायक जंग
दो विषयों की चर्चा करना चाहता हूं। एक है भ्रष्टाचार और दूसरा है भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। एक तरफ भारत जैसे लोकतंत्र में लोग गरीबी से जूझ रहे बेघर लोग हैं। दूसरी ओर वे लोग हैं जिनको चोरी का माल रखने की जगह नहीं है। हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है। जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े, वह स्थिति हम पैदा करेंगे। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ हम एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं। बड़े-बड़े भी बच नहीं पाएंगे। मुझे इसके खिलाफ लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर लेकर जाना है। आप मुझे आशीर्वाद दीजिए, ताकि मैं इस लड़ाई को लड़ पाऊं। जब मैं भाई-भतीजावाद, परिवारवाद की बात करता हूं तो लोगों को लगता है कि सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात करता हूं। दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिन्दुस्थान की हर संस्था में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। इसके कारण देश की प्रतिभा का नुकसान होता है। जिनके पास अवसर की संभावनाएं हैं, वे परिवारवाद, भाई-भतीजावाद के कारण बाहर रह जाते हैं। यह भी भ्रष्टाचार का एक कारण बन जाता है। इस परिवारवाद, भाई-भतीजावाद के प्रति हमें हर संस्था में जागरूकता पैदा करनी होगी, तब हम संस्थाओं को बचा पाएंगे।
राजनीति में भी परिवारवाद ने देश के सामर्थ्य के साथ सबसे ज्यादा अन्याय किया है। हिन्दुस्थान की राजनीति और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए हमें इस परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिला कर योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाना होगा। इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो करोड़ों समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। इस सामर्थ्य को लेकर के हमें आगे बढ़ना है। सबका प्रयास ये परिणाम लाने वाला है। टीम इंडिया की भावना ही देश को आगे बढ़ानेवाली है।
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