बी.एल.शर्मा ‘प्रेम’ एवं कृष्णा शर्मा
फिरोजपुर (अब पाकिस्तान में)
बंटवारे की त्रासदी सात दशक बाद भी भूले नहीं भूलती। जब हिन्दू मां-बहनों पर खुलेआम आततायी मुसलमानों द्वारा अत्याचार किया जा रहा था, घर-दुकान, व्यवसाय को तहस-नहस करके परिवार के परिवार मौत के घाट उतार दिए जा रहे थे।
यहां तक कि मुसलमानों ने गर्भवती महिलाओं तक को नहीं छोड़ा। उनके गर्भ पर वार करके पेट से बच्चा निकालकर सूली पर टांग कर उसकी हत्या की गई। ऐसी निर्दयता भला जीते-जी कौन भूल सकता है!
1940 में मैं संघ का स्वयंसेवक बन गया था। हमारे इलाके में अफरातफरी का माहौल था। हिन्दू पलायन कर रहे थे। पाकिस्तान के मुसलमान स्वयंसेवकों को लक्षित करके हमले कर रहे थे। हालात को समझकर मैंने अपने क्षेत्र के 15 सौ हिन्दुओं को साथ लेकर भारत जाने का निश्चय किया। रास्ते में भी हम पर हमले हुए।
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