आज जब समूचा देश गर्व और उत्साह के साथ आजादी के अमृत महोत्सव की तैयारियों में तल्लीन है, इसी पावन बेला में अर्थात 7 अगस्त को आठवां हथकरघा दिवस मनाया गया। वास्तव में भारत की समृद्ध हथकरघा परंपरा को जीवंत रखते हुए इसे उत्सव रूप में मनाने का यह विशेष दिन है । हमारी सनातन संस्कृति और परंपरा से जुड़ा हथकरघा सामाजिक आर्थिक विकास का संवाहक रहा है, यह हमारे लोकजीवन में रचा-बसा एक विशेष उपक्रम है । हथकरघा बुनकरों और इससे सम्बद्ध श्रमिकों को सशक्त बनाने का संकल्प ही हथकरघा दिवस का लक्ष्य है। दशकों से देश में हथकरघा क्षेत्र की उपेक्षा और बदहाली को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का निर्णय लिया था और चेन्नई में 2015 में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। लगभग 117 वर्ष पूर्व 1905 में अत्याचारी ब्रिटिश सत्ता के अधीन बंगभंग के विरोध में इसी दिन भारतीयों ने स्वदेशी की भावना को अभिव्यक्त किया था। महात्मा गांधी का चरखा आजादी के आंदोलन का हथियार और देश के असंख्य बुनकरों की सामूहिक शक्ति का प्रतीक था, 15 अगस्त 1947 को एक बार पुनः चरखा चलाकर गांधीजी ने हथकरघा को जीविका का औजार बनाने का ही संदेश दिया था ।
वास्तविक कौशल का विकास
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्देश्य केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के इन शब्दों में निहित है -” 2014 के बाद पहली बार हमारे मेहनतकश बुनकरों के वास्तविक कौशल को विकसित कर बुनकरों को उनका उपयुक्त श्रेय दिया जा रहा है। उन्हें और प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया, ताकि बुनकरों को भारत के विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।” हथकरघा उद्योग भारत में रोजगार का स्वदेशी और परंपरागत माध्यम होने के साथ महिला सशक्तीकरण का सबसे बड़ा क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र के उपरांत हथकरघा ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बहुतायत में श्रमिक संलग्न हैं, हो भी क्यों न, यही असंगठित हथकरघा क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार देने वाला कुटीर उद्योग है। हथकरघा क्षेत्र में जनभागीदारी के अनुपात पर नजर डालें तो 50 प्रतिशत से अधिक बुनकरों की जनसंख्या केवल देश के उत्तर-पूर्व राज्यों में है जिसमें भी अधिकांश संख्या महिलाओं की है।
उत्पाद से बुनकरों का विशेष लगाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यह कहते हैं कि – “गरीबी से लड़ने के लिए हथकरघा एक अस्त्र हो सकता है, जैसे स्वतंत्रता के संघर्ष में स्वदेशी एक हथियार था। खादी और हथकरघा उत्पाद भी वही उत्साह प्रदान करते हैं, जैसा कि मां के प्रेम से मिलता है।” तो वे हथकरघा के विषय में गांधी की सोच को ही क्रियान्वित करने के पक्ष में दिखाई पड़ते हैं। अपनी इस बात को पुष्ट करते हुए देश के प्रधान जनसेवक नरेंद्र मोदी विकास की आस में दूर अंतिम पंक्ति में खड़े हथकरघा क्षेत्र के बुनकर का भावुक चित्र खींचते हैं, वे कहते हैं- “साड़ी जैसे एक उत्पाद को बनाने में एक बुनकर का सारा परिवार शामिल होता है। परिवार इस साड़ी को ऐसे बनाता है, जैसे एक मां अपनी बेटी को बड़ा करती है और जब एक बार यह तैयार हो जाती है, तो परिवार इसकी विदाई की तैयारी इस प्रकार करता है, जैसे विवाह के बाद एक वधू की विदाई की जाती है।”
क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ष 2019-20 की चौथी हथकरघा जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि हथकरघा क्षेत्र में 35.42 लाख के लगभग कामगार कार्यरत हैं, 2009-10 की जनगणना में हथकरघा क्षेत्र में लगभग 43.3 लाख बुनकर तथा संबद्ध कामगार कार्यरत थे। यदि हम इससे और पीछे जाएं तो 1995-96 में यह संख्या 65 लाख के लगभग दिखाई पड़ती है । हथकरघा क्षेत्र के लिए नितनवीन कार्य योजना और लक्ष्य निर्धारण की बात करते हुए केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि “उद्योग जगत और सरकार भारत की विकास गाथा में भागीदार हैं और अब अपेक्षाकृत बड़े तथा साहसिक लक्ष्य के साथ वस्त्र क्षेत्र में वैश्विक चैंपियन बनने का समय आ गया है। आजादी के अमृत महोत्सव की इस अवधि में, हम सभी को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से अपने प्रयासों को एक दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए, वस्त्र उद्योग को 100 अरब डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए ।”
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने इस बार राजधानी दिल्ली के दिल्ली हाट में ‘माई हैंडलूम माई प्राइड’ नामक प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें वस्त्र और रेल राज्य मंत्री दर्शना विक्रम जरदोश ने महिला सांसदों हेमा मालिनी, नवनीत कौर राणा, महुआ मोइत्रा के साथ हथकरघा हाट में विशेष हथकरघा एक्सपो का उद्घाटन किया। जरदोश ने कहा, “हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।”
हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए ठोस प्रयत्न जारी
वास्तव में मोदी सरकार द्वारा हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए ठोस प्रयत्न जारी हैं, जिन्हें कोरोना महामारी ने बेशक बाधित भी किया है। इस पर केन्द्रीय मंत्री गोयल सार्वजनिक तौर पर बता चुके हैं कि- “कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में हमें नुकसान हुआ है लेकिन हमने कई सबक भी सीखे हैं। बुद्धिमान कठिन परिस्थितियों से भी बहुत कुछ सीखते हैं, हमने आपदा को अवसर में बदल दिया है।” केंद्र सरकार द्वारा हथकरघा क्षेत्र से जुड़े बुनकरों और श्रमिकों के विकास के लिए दर्जनों कल्याणकारी योजनाएं जैसे क्लस्टर योजना, बुनकर स्वास्थ्य बीमा योजना, बुनकर सब्सिडी योजना, पॉवरलूम सब्सिडी योजना, पीएम मुद्रा योजना, हथकरघा संवर्धन सहायता योजना इत्यादि शुरू की हैं ,लक्ष्य एक ही है -उन बुनकरों और कामगारों को योजनाओं का लाभ देना जो या तो स्वतंत्र रूप से या स्व-सहायता समूहों के अंतर्गत कार्य संलग्न हैं। हथकरघा को व्यापक रूप में प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा बुनकरों अथवा उत्पादकों को सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) पर पंजीकरण की सुविधा है, जिससे वे सीधे केंद्र सरकार के विभागों को हथकरघा उत्पादों की आपूर्ति कर सकें। जीईएम प्लेटफॉर्म पर ऑन-बोर्ड उत्पादों को सीधे सरकार को बेचने के लिए 1.50 लाख बुनकर सामने आए। ऋण राशि के 20 प्रतिशत की दर से (अधिकतम 25,000 रुपए प्रति बुनकर) और प्रति हथकरघा संगठन ऋण राशि के 20 प्रतिशत की दर से (अधिकतम 20 लाख रुपए) रखी गई है। सरकार ने मुद्रा योजना के अंतर्गत 50 हजार रूपये से लेकर दस लाख रूपये तक के ऋण की सुविधा बुनकरों के लिए उपलब्ध की है।
योजना और तकनीक से बढ़ेंगे अवसर
केंद्र सरकार हर स्तर पर ठोस प्रयास कर रही है और राज्यों के साथ मिलकर बुनकरों के कल्याण और हथकरघा क्षेत्र को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने को प्रतिबद्ध दिखाई देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हथकरघा क्षेत्र की शक्ति से देश के वस्त्र उत्पादों में वृद्धि के साथ गुणवत्ता बढ़ाने का जो आह्वान किया था ,उसके प्रभावी परिणाम निकल रहे हैं, यह स्वीकारते हुए केन्द्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल आत्मविश्वास के साथ कहते हैं -” वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई योजना पीएलआई एमएमएफ और तकनीकी वस्त्र उद्योग में भारत की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाएगा। 10,683 करोड़ रुपये की योजना से 7.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्कों की मंजूरी से अत्याधुनिक तकनीक, निवेश आकर्षित होगा और प्रति पार्क 1 लाख प्रत्यक्ष और 2 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।” गोयल के दावे के समर्थन में आंकड़े भी तो देश के सम्मुख हैं ही -अप्रैल-नवंबर 2021 में अप्रैल-नवंबर 2019 की समान अवधि की तुलना में वस्त्र निर्यात 45 प्रतिशत बढ़कर 16.7 बिलियन डॉलर हो गया।
खादी है सशक्त उदाहरण
आठवें हथकरघा दिवस से पूर्व केन्द्रीय वस्त्र राज्यमंत्री दर्शना जरदोश द्वारा सभी महिला सांसदों को बुनकरों को प्रोत्साहित करने और इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया गया, जहां भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) लिमिटेड द्वारा विशेष हथकरघा एक्सपो आयोजित किया, जिसमें 14 राज्यों के कुल 55 संत कबीर और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की। 5 अगस्त से शुरू यह प्रदर्शनी 11 अगस्त तक जनता के लिए खुली रही। ऐसी प्रदर्शनियों से, हथकरघा बुनकर न केवल उचित दरों पर अपने उत्पादों को बेचते हैं, बल्कि भविष्य में उत्पाद में सुधार के लिए रंग, डिजाइन और बुनाई इत्यादि के संबंध में ग्राहकों की पसंद से भी परिचित होते हैं। आजादी के 75 वें वर्ष में हमारी परंपरा,आजादी की लड़ाई और अर्थव्यवस्था से जुड़ा हथकरघा उद्योग देश के सक्षम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में पुनः ऊंचाई पर पहुंचेगा ऐसा पूर्ण विश्वास है। पीएम मोदी के आह्वान पर खादी की बिक्री में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई थी, यह पूरे देश के साथ दुनिया ने भी देखा है। कुछ ऐसा ही प्रयत्न आजादी के अमृत महोत्सव में पड़ने वाले आठवें हथकरघा दिवस पर भी अपेक्षित है जिससे इस परंपरागत उद्योग का संवर्धन भी सुनिश्चित हो और इस पर आश्रित करोड़ों लोगों का भी भला हो।
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