श्रीलंका इस समय आर्थिक रूप से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। भारत और श्रीलंका के बीच संबंध न केवल सांस्कृतिक बल्कि आत्मिक भी हैं। श्रीलंका के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन सीलोन वर्कर्स कांग्रेस के अध्यक्ष सेंथिल थोंडामन से बातचीत की गई। वह श्रीलंका में उवा प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री थे। उनकी पार्टी सीलोन वर्कर्स कांग्रेस के दो संसद सदस्य भी हैं। वह जल्लीकट्टू के प्रशंसक हैं और दुनिया भर में इसके बारे में जागरूकता फैलाई है। बातचीत के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर राय व्यक्त की-
श्रीलंका संकट से जूझ रहा है। आप वर्तमान स्थिति को कैसे देखते हैं और भविष्य क्या है?
श्रीलंका वाकई मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हालांकि, हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और एक नई सरकार के साथ हमारी मौजूदगी है। हमें यह देखना होगा कि वे इस मुद्दे से कैसे निपटते हैं। हम आशावादी हैं, लेकिन रातो-रात समाधान नहीं निकलेगा। इसमें समय लगेगा। मुझे लगता है कि अगर सरकार अपने कार्यों को साथ रखेगी तो चीजें बेहतर होंगी।
राजपक्षे परिवार का कड़ा विरोध था। कि रानिल विक्रमसिंघे को भी जनता के विद्रोह का सामना करना पड़ा। इस पर आप क्या कहेंगे?
जनता में राजपक्षे परिवार के खिलाफ गुस्सा था और लोगों ने अपना गुस्सा निकाला। लोग भोजन और सभी आवश्यक वस्तुओं की कमी से जूझ रहे थे। कई प्रकार की समस्याओं से पीड़ित थे। नौकरियां नहीं थीं। यहां तक कि बेरोजगारी सर्वकालिक उच्च स्तर पर थी। विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम था। ईंधन और खाद्य पदार्थों सहित आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं किया जा सकता था। इससे अराजकता फैल गई और इसके लिए सरकार को जिम्मेदार पाया गया। जहां तक रानिल विक्रमसिंघे का संबंध है, वह देश के सबसे अनुभवी सांसदों में से एक हैं। उन्हें कुछ समय दिया जाना चाहिए और देखते हैं कि चीजें कैसे बदल रही हैं।
क्या आपकी पार्टी सरकार में शामिल हो रही है?
हमारे पास दो सांसद हैं और फिलहाल हम कैबिनेट में नहीं हैं। आने वाले दिनों में हमें उस प्रस्ताव के बारे में देखना होगा। चलिए, इंतजार करते हैं।
श्रीलंकाई संकट पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया कैसी थी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने ‘पड़ोसी पहले की नीति’ के तहत हमारी मदद की। भारत सरकार द्वारा समय पर हमारी सहायता की गई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका संकट को नजदीक से देख रहे थे। उनकी तत्परता और विशिष्ट रुचि की वजह से हमें संभलने में मदद मिली। हमें भारत सरकार द्वारा सभी आवश्यक चीजें प्रदान की गईं। श्रीलंका के लोग नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का बहुत सम्मान करते हैं।
आप चीन और भारत के लोगों के साथ संबंधों को कैसे आंकते हैं?
दोनों बिल्कुल अलग हैं। भारत और श्रीलंका में एक गर्भनाल है और हम सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से एक-दूसरे से बंधे हैं। लोग भारतीयों को अपना भाई मानते हैं और भारत के लिए प्यार और सम्मान चीन के लोगों से बिल्कुल अलग है। चीन एक ऐसा देश है, जिसके साथ हमारे व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन भारत के साथ संबंध बिल्कुल अलग हैं। श्रीलंका के लोगों के लिए भारतीय भाई के समान हैं।
लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) के श्रीलंका में वापस आने की खबरें थीं। उसी पर आपकी टिप्पणी?
मुझे नहीं लगता कि श्रीलंका में लिट्टे के फिर से सक्रिय होने की कोई संभावना है। वर्तमान में श्रीलंका में इस तरह की कोई राजनीतिक साजिश नहीं है और लिट्टे को लेकर लगाया जा रहा कयास असत्य है और इस तरह की रिपोर्ट जमीनी तस्वीर नहीं देती है।
सीलोन वर्कर्स कांग्रेस की मुख्य गतिविधियां क्या हैं?
सीलोन वर्कर्स कांग्रेस श्रीलंका में सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन है। हम एक राजनीतिक दल के रूप में कार्य कर रहे हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद श्रीलंका में भारतीय मूल के लोगों के नागरिकता अधिकारों के लिए अथक संघर्ष कर रहे हैं। हमने श्रीलंका में भारतीय मूल के लोगों को नागरिकता दिलाई। सीलोन वर्कर्स कांग्रेस ने 1965 से इस मुद्दे को उठाया और भारतीय मूल के लोगों को नागरिकता का अधिकार मिला और अंतिम बैच को 2003 में नागरिकता मिली। यह हमारी प्रमुख उपलब्धियों में से एक रही है।
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