जहां एक तरफ पूरा देश द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में साथ खड़ा दिख रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू का राष्ट्रपति पद पर बैठना पसंद नहीं आ रहा। उनमे से एक है इंडिया टुडे के महाप्रबंधक इंद्रनील चटर्जी। 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद जब लोग देश में खुशियां मना रहे थे तो वहीं इंद्रनील चटर्जी को ये रास नहीं आया और उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान करते हुए एक फेसबुक पोस्ट की जिसमे उन्होंने लिखा कि “जिस तरह मैं समलैंगिक विवाह का समर्थन नहीं करता, उसी तरह मैं एक आदिवासी राष्ट्रपति का समर्थन नहीं करता। कुर्सियां सभी के लिए नहीं होती हैं। इससे एक सम्मान जुड़ा होता है। क्या हम एक सफाईकर्मी को दुर्गा पूजा करने की अनुमति देते हैं ?
इंद्रनील चटर्जी की ये पोस्ट देखते देखते वायरल हो गई और जिसके बाद इंद्रनील ने अपना फेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया। इंद्रनील चटर्जी के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह इंडिया टुडे ग्रुप में डिप्टी जनरल मैनेजर और ईस्ट के रीजनल हेड हैं। हालंकि पोस्ट के वायरल होने के बाद इंडिया टुडे ग्रुप ने इंद्रनील की टिप्पणियों पर खेद जताते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया। इंडिया टुडे के ग्रुप चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर दिनेश भाटिया ने एक बयान जारी कर इंद्रनील चटर्जी के पोस्ट को आहत करने वाला और मानवीय शालीनता के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ बताया।
इंद्रनील चटर्जी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि “जिस तरह मैं समलैंगिक विवाह का समर्थन नहीं करता, उसी तरह मैं एक आदिवासी राष्ट्रपति का समर्थन नहीं करता। कुछ कुर्सियाँ सभी के लिए नहीं होती हैं। इससे एक सम्मान जुड़ा होता है। क्या हम एक सफाईकर्मी को दुर्गा पूजा करने की अनुमति देते हैं? क्या मदरसे में कोई हिंदू पढ़ा सकता है? यह कुछ और नहीं बल्कि रबड़ स्टाम्प संवैधानिक प्रमुख बनाने का सत्ताधारी दल का बेहद घटिया सामाजिक-राजनीतिक हथकंडा है, ताकि विपक्षी दलों को ठेंगा दिखाकर कानून आसानी से पारित किया जा सके। आज हमने रायसीना हिल्स की उस कुर्सी को ही नहीं बल्कि एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी, एस राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, डॉ. शंकर दयाल शर्मा और राजेंद्र प्रसाद जैसे लोगों को भी अपमानित किया है।”
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