वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर याचिका में शुक्रवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने दलील में कहा कि वर्शिप एक्ट कहीं से भी लागू नहीं होता है। मुस्लिम पक्ष ने जो दावा किया था कि वक्फ की जमीन संपत्ति है, उसका कोई भी दस्तावेज वो आज भी नहीं दिखा पाए। अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि औरंगजेब ने जो अपनी तलवार से किया था, अब न्यायालय उसका न्याय अपनी कलम से करेगा। मंदिर का स्वरूप बदलने से सच्चाई नहीं छिप सकती। कानून में स्पष्ट है कि एक बार मंदिर बन गया तो वो सदैव के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को क्या स्थिति थी। परिसर में पूजा होती थी। मुस्लिम पक्ष साक्ष्य नहीं दे पाया है कि जमीन उनको किसने दी, क्यों दी? किसके नाम से जमीन है? साक्ष्य हैं तो न्यायालय में क्यों नहीं दिए गए। इन सब बातों से वाद की पोषणीयता साबित होती है। केस सुनने योग्य है। राम जन्मभूमि के केस में सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया गया और कहा कि देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती, मंदिर टूट जाने से उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा।
ज्ञानवापी परिसर में पहले भी पूजा होती रही और 1993 तक व्यास जी पूजा करते थे। जिसे बैरिकेडिंग कर दिया गया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से जो दलीलें रखी गईं, उसमें उन्होंने कोई साक्ष्य नहीं दिया। मामले में आगे की सुनवाई अब सोमवार को होगी।
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