छल से दो परिवारों को ईसाई बनाने के बाद शिवनाथपुर गांव के ग्रामीणों ने चर्च के विरोध में लगाए नारे और ईसाई बने लोगोें का किया सामाजिक बहिष्कार
झारखंड में चर्च के लोग वर्षों से छल-कपट के जरिए हिंदुओं को ईसाई बनाने में लगे हैं। इस कारण राज्य के अनेक जिलों में ईसाइयों की आबादी लगभग 50 प्रतिशत हो गई है जिससे अनेक तरह की समस्याएं खड़ी हो रही हैं। इनका असर हिंदू समाज पर पड़ रहा है। इन सबको देखते हुए अब गांवों में चर्च के लोगों का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। इसके साथ ही जो लोग ईसाई बन रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है।
एक ऐसी ही घटना गुमला जिले के शिवनाथपुर डहूटोली गांव में हुई। बता दें कि कुछ दिन पहले इस गांव के दो परिवार के कुछ लोगों को ईसाई बनाया गया था। जब इसकी जानकारी हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं को हुई तो वे लोग वहां पहुंचे और लोगों को समझाया। इसके बाद गांव वालों ने ईसाई बने लोगों से कहा कि वापस अपने मूल धर्म में आ जाओ।
वे लोग लाख मनाने के बाद भी नहीं माने तो ग्रमीणों ने इन लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा, लेकिन पुलिस का रवैया ठीक नहीं रहा। उसने कन्वर्जन कराने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न कर, उलटे गांव वालों को धमकाया। हमारे सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कुछ ग्रामीणों से कहा, ‘‘तुम लोग अपने गांव में हिंदू कार्यकर्ताओं को क्यों आने देते हो!’’ इसका कुछ ग्रामीणों ने विरोध किया और पुलिस से उनकी बहस भी हुई। एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जिस पुलिस का काम अवैध कन्वर्जन रोकने का है, वह कन्वर्जन करने वालों को ही बढ़ावा दे रही है।
बैठक में अड़े दोनों पक्ष
ईसाई बने इन परिवारों में से एक है स्व. जटा उरांव का और दूसरा बंधन उरांव का। स्व. जटा उरांव की पत्नी बिरसमुनि उरांव, उसके 6 बच्चे और बंधन उरांव, बंधन की पत्नी राजमुनि उरांव और उसके 5 बच्चों को कुछ दिन पहले अंधविश्वास और चंगाई सभा के नाम पर ईसाई बना दिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीण भड़क गए। उन्होंने 29 जून को एक बैठक बुलाई, जिसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारी भी उपस्थित हुए। काफी देर तक चली इस बैठक में ईसाई बने दोनों परिवार शामिल नहीं हुए। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने इन दोनों परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा कर दी। इसके बाद ईसाई बने परिवारों के लोग खुद अपने घरों में ताला बंद कर गांव से बाहर चले गए।
पुलिस ने कन्वर्जन कराने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न कर, उलटे गांव वालों को धमकाया। हमारे सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कुछ ग्रामीणों से कहा, ‘‘तुम लोग अपने गांव में हिंदू कार्यकर्ताओं को क्यों आने देते हो!’’
इसी क्रम प्रशासन की ओर से एक और बैठक 2 जुलाई को आयोजित की गई। बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी मनीषचंद्र लाल, इंस्पेक्टर एस.एन. मंडल, प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनीला खलखो, अंचल अधिकारी अरुणिमा एक्का, सिसई थानेदार अनिल लिंडा, पुसो थानेदार मिचराय पाडेया, शिवनाथपुर की मुखिया फ्लोरेंस देवी, घाघरा के मुखिया इंद्रपाल भगत सहित तीन गांवों की ग्रामसभा, पड़हा के राजा, बेल, कोटवार सहित दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीण शामिल हुए। चार घंटे तक चली इस बैठक में ईसाई बने दोनों परिवारों ने गांव वालों की बात नहीं मानी। इस कारण पड़हा समाज भी इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने पर डटा रहा।
अंतत: बैठक विफल रही और प्रशासनिक अधिकारी उक्त परिवार के लोगों को अपने साथ सिसई ले गए। सामाजिक कार्यकर्ता सहदेव महतो कहते हैं, ‘‘झारखंड में छल-कपट से कन्वर्जन करना अपराध है, लेकिन पुलिस ऐसे लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती है। इसलिए कन्वर्जन करने वालों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।’’
शिवनाथपुर गांव के बंधु उरांव ने बताया कि कन्वर्जन के लिए बहकाने का काम गांव के ही प्रवीण मिंज और उसकी पत्नी सीतामुनि मिंज कर रही थी। सीतामुनि सैंदा गांव की रहने वाली है। उसने सबसे पहले ईसाई बनकर डहूटोली के प्रवीण मिंज से शादी की। उसी के बहकावे में एक वर्ष से दोनों परिवार के लोग चंगाई सभा में जाया करते थे और अब इन्हें दिग्भ्रमित कर ईसाई बना दिया गया है।
इस पूरे घटनाक्रम में एक और बात पता चली कि प्रशासन की ओर से यह दबाव बनाया जा रहा है कि जनजातीय समाज के गांवों में हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं को प्रवेश न करने दिया जाए। इन बातों से अब साफ होता जा रहा है कि कैसे प्रशासन इन जनजातीय समाज के लोगों को बरगलाने का काम कर रहा है। घाघरा पंचायत के सोमेश्वर उरांव ने बताया कि एक तरफ तो भोले-भाले जनजातीय समाज के लोगों को ईसाई मिशनरी के लोग भ्रमित करके ईसाई बना रहे हैं, दूसरी ओर जो लोग इनका विरोध कर रहे हैं, उन्हें पुलिस और प्रशासन की ओर से धमकाया जा रहा है। इसका मतलब तो यही निकलता है कि प्रशासन ही कन्वर्जन को बढ़ावा देकर जनजाति संस्कृति को समाप्त करने का काम कर रहा है।
प्रशासन का ढीला रवैया
इतना सब कुछ होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन का रवैया आश्चर्यजनक रहा। गुमला के उपायुक्त सुशांत गौरव का कहना है कि इस मामले की जानकारी उन तक नहीं आई है, लेकिन आने पर निष्पक्ष जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मनीषचंद्र का कहना है, ‘‘इन दोनों परिवारों ने स्वेच्छा से ईसाई मत को अपनाया है और ये लोग अपने समाज में नहीं रहना चाहते हैं। इसके बाद भी गांव वालों ने उनके घरों में ताला लगा दिया।’’ मनीषचंद्र के अनुसार संविधान में बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी मत या मजहब को अपना सकता है, इसकी उसे पूरी स्वतंत्रता है। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि झारखंड में तो कानून है कि कोई व्यक्ति मत परिवर्तन करने से पहले उपायुक्त को आवेदन देगा। इसमें तो ऐसा हुआ नहीं है। फिर प्रशासन की ओर से दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है! इस पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच हो रही है। जैसे ही इसकी पुष्टि होगी, कार्रवाई की जाएगी।
सिसई प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी सुशीला खालको ने बताया कि इन दोनों परिवारों ने बिना सूचना के लोहरदगा के एक चर्च में जाकर मत परिवर्तन किया है। इसकी जांच-पड़ताल की जा रही है और संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी ओर हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों का आरोप है कि प्रशासन जान-बूझकर कन्वर्जन कराने वालों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करता है।
हिंदू जागरण मंच के झारखंड प्रदेश परावर्तन प्रमुख संजय वर्मा ने शिवनाथपुर की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘‘पूरे झारखंड में आए दिन कन्वर्जन की घटनाएं हो रही हैं। जिस प्रशासन को कन्वर्जन करवाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वह उन लोगों की ही बात कर रहा है, जो बहुत ही दुखद है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अब एक अच्छी बात यह देखने को मिल रही है कि कन्वर्जन कराने वालों के विरुद्ध समाज आवाज उठाने लगा है। उम्मीद है कि पुलिस और प्रशासन में बैठे लोग समाज की भावना के अनुरूप कन्वर्जन करने वालों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करेंगे।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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