ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मामले में जिला जज के न्यायालय में आज हिन्दू पक्ष की ओर से तर्क प्रस्तुत किया जाएगा। मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलीलों को पूरा किया गया। उनकी ओर से कहा गया कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 ज्ञानवापी मामले में लागू होता है। हिंदू पक्ष की ओर से अपनी दलीलों में स्पष्ट करना है कि वाद सुनने योग्य है या नहीं। यानी वाद की पोषणीयता को लेकर दोनों पक्षों में बहस हो रही है। आगे की सुनवाई आज होगी।
51 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलों को रख चुका है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि अगर मुस्लिम कहीं पर नमाज पढ़ते हैं तो वो मस्जिद ही हो, ये जरूरी नहीं। वो सड़क, ट्रेन, बस कहीं भी नमाज पढ़ते हैं। हमारा वाद सुनने योग्य है। मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता अभय यादव ने केस को खारिज करने की मांग की। हिंदू पक्ष अब वाद की पोषणीयता को लेकर आज अपने पक्ष को रखेगा। हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहां विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 लागू नहीं होता है। ये कहीं भी जरूरी नहीं कि मुसलमान जहां पर नमाज पढ़ रहा हो तो वो मस्जिद ही हो।
18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं द्वारा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन पूजन और विग्रहों को संरक्षित करने को लेकर याचिका दी गयी थी। न्यायालय द्वारा ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया गया था। अधिवक्ता कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष ने वहां शिवलिंग मिलने का दावा किया। साथ ही ज्ञानवापी परिसर में हिंदू धर्म से जुड़ी कलाकृतियां और मंदिर के शिखर मिलने का भी दावा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज के यहां वाद की पोषणीयता को लेकर सुनवाई चल रही है।
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