अफगानिस्तान में इन दिनों पाकिस्तान की नाक में दम करने वाले आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच बात चल रही है। बात इस मुद्दे पर है कि पाकिस्तान आतंकियों की शर्तें मान ले तो पाकिस्तान में टीटीपी तबाही नहीं मचाएगा। टीटीपी अफगान तालिबान के हक्कानी को आका मानता है, लिहाजा बातचीत उसकी सरपरस्ती में चल रही है।
कभी हां, कभी ना की तर्ज पर लंबी खिंचती इस वार्ता से बौखलाकर टीटीपी के आतंकी नेता नूर वली महसूद ने खुली धमकी दे दी है कि यदि पाकिस्तान की हुकूमत के साथ चल रही बात पटरी से उतरती है तो उनका गुट पाकिस्तान पर कहर बरपा देगा। उसके इस बयान के बाद, पहले से डरी बैठी पाकिस्तान की शाहबाज सरकार सांसत में आ गई है।
अपनी धमकी के साथ ही हत्यारे जिहादी नूर वली ने साफ संकेत किया कि यह बातचीत तालिबान की सरपरस्ती में की जा रही है। यानी अब भी बात नाकाम हुई तो पाकिस्तानियों की खैर नहीं। उसने बेधड़क अंदाज में कहा है कि अगर बात नहीं बनी तो वे और जबरदस्त हमले करेंगे।
पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तानी फौज का जानी दुश्मन माना जाता है। इसलिए सरकार नूर वली महसूद की इस धमकी को हल्के में भी नहीं ले सकती। उल्लेखनीय है कि महसूद को राजी करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने 13 मौलवियों का एक दल भी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल भेजा था। लेकिन अभी तक कोई ठोस निकल कर नहीं आया है।
महसूद ने चेतावनी भरे अंदाज में यह भी कह दिया है कि बातचीत किसी पार न पहुुंची तो उनका ठहरा हुआ जिहाद आगे बढ़ेगा और कत्लेआम मचा देगा। ध्यान देने की बात है कि इस आतंकी गुट के साथ पाकिस्तान सरकार कुछ—कुछ दिन बाद संघर्षविराम बढ़ाने की बात करती रही है।
इस पूरे प्रकरण में भारत की दृष्टि से एक दिलचस्प बात यह है कि टीटीपी के जिहादी महसूद ने पाकिस्तान के उस झूट की भी पोल खोल दी है कि ‘उसके गुट को भारत से पैसे मिलते हैं’। साथ ही, महसूद का कहना है कि पिछले दिनों चीनी नागरिकों पर हुए हमले उसके गुट ने नहीं किए थे। उसने तो इसका ठीकरा भी पाकिस्तान की सरकार के सिर फोड़ते हुए कहा है कि सरकार ही ऐसे अपनी आईएसआई की मार्फत ऐसे हमले कराती है, ऐसा करके वह चीन का दोहन करना चाहती है।
आतंकी टीटीपी सरगना ने यह बात भी खुलकर बोल दी है कि पाकिस्ता न चाहे जितना विरोध करे, उनका गुट कबायली इलाके फाटा को खैबर पख्तूनख्वा से अलग करने की मांग नहीं छेड़ेगा। तो आखिर पाकिस्तान के साथ चल रही आतंकी गुट की यह बात पहुंची कहां तक है? इस पर महसूद का कहना है कि बातचीत में अभी तक कोई रास्ता निकलता नहीं दिखा है।
महसूद ने अपने गुट की शर्तों का खुलासा भी किया। उसने कहा कि अगर पाकिस्तान सरकार के साथ किसी समझौते पर पहुंचा जाता है, तो टीटीपी के आतंकियों के विरुद्ध पाकिस्तान में जितने भी मुकदमे चल रहे हैं, वे खत्म हो जाएंगे।
आतंक गुट टीटीपी के सरगना महसूद ने यह कहकर पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभ्य समाज के लिए चिंता की एक बात कही है। उसने कहा कि लोकतंत्र इस्लाम के विरुद्ध है। इसलिए पाकिस्तान की जनता टीटीपी में शामिल होकर उनकी मदद करे, क्योंकि पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना था, लोकतंत्र के नाम पर नहीं। उसने साफ कहा कि पाकिस्तान की सेना की जिम्मेदारी है कि वह टीटीपी को आतंकवाद की काली सूची से बाहर करवाए।
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