एक जनजातीय महिला पहली बार भारत की राष्ट्रपति बनने जा रही है। यह हैं द्रौपदी मुर्मू। सत्तारूढ़ राजग ने इन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है, इसलिए इनके जीतने की पूरी संभावना है
गत 21 जून की शाम भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू का नाम तय किया है। यह खबर कुछ ही देर में पूरी दुनिया में फैल गई। लोग द्रौपदी मुर्मू के बारे में और जानकारी लेने के लिए सक्रिय हो गए। कुछ ही देर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई दी और कहा, ‘‘मुझे विश्वास है, वे एक महान राष्ट्रपति बनेंगी।’’
राजग और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बहुत ही चौंकाने वाला फैसला है। इस निर्णय से स्वयं द्रौपदी मुर्मू भी चकित रह गई। उन्होंने कहा कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन राष्ट्रपति बनूंगी। उनकी यह सोच स्वाभाविक है। ओडिशा में मयूरभंज जिले के एक गरीब जनजाति परिवार में 20 जून, 1958 को जन्मीं द्रौपदी मुर्मू का यहां तक पहुंचना ही आठवें आश्चर्य से कम नहीं है। उनका बचपन बहुत ही गरीबी में बीता। उन्होंने घोर अभाव के बीच पढ़ाई की और ओडिशा सरकार में लिपिक की नौकरी करने लगीं। बाद में वे राजनीति में आई और पहला चुनाव पार्षद का जीता। इसके बाद रायरंगपुर सीट से दो बार भाजपा की विधायक बनीं।
देश के ऐसे एक बड़े समाज घटक की महिला को देश के सर्वोच्च पद पर बिठाने की जो पहल राजग सरकार ने की है, उसके लिए हम प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी और राजग के सभी घटक दलों का अभिनंदन करते हैं। यह देश के 12 करोड़ से ज्यादा जनजाति समाज की उपेक्षा का परिमार्जन करने वाला ऐतिहासिक कदम है।’’
2002 से 2004 तक ओडिशा सरकार में मंत्री रहीं। 2006 से 2009 तक ओडिशा में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष पद को संभाला। 2015 में उन्हें झारखंड के राज्यपाल का दायित्व दिया गया। 2020 तक वे इस पद पर रहीं। इस दौरान उन्होंने अपनी दृढ़ता का परिचय दिया और राज्य सरकार के कई पारित विधेयकों पर यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि ये जनता के हित में नहीं हैं। उसके बाद उन विधेयकों को वापस किया गया। उनकी इन्हीं खूबियों ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है।
उनके राष्ट्रपति बनने की आहट से ही भारत का पूरा जनजाति समाज नाच रहा है। अखिल भारतीय कल्याण आश्रम ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का स्वागत किया है। कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराडी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार किसी जनजातीय महिला को राष्टÑपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कल्याण आश्रम का मानना है कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में संथाल जनजाति की एक महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का निर्णय ऐतिहासिक है। भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का अभिन्न घटक और एक गौरवशाली परंपरा का वाहक होने के बावजूद देश के जनजाति समाज को वर्षों से उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है।
देश के ऐसे एक बड़े समाज घटक की महिला को देश के सर्वोच्च पद पर बिठाने की जो पहल राजग सरकार ने की है, उसके लिए हम प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी और राजग के सभी घटक दलों का अभिनंदन करते हैं। यह देश के 12 करोड़ से ज्यादा जनजाति समाज की उपेक्षा का परिमार्जन करने वाला ऐतिहासिक कदम है।’’
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