पाञ्चजन्य ने 14 जून, 2022 को नई दिल्ली में पर्यावरण संवाद का आयोजन किया। प्रश्न है कि पर्यावरण संवाद के लिए 14 जून क्यों? दरअसल 14 जून को वट पूर्णिमा थी। वट वह वृक्ष है जिसके बारे में मान्यता है कि वह 20 घंटे आक्सीजन देता है। वट स्वयं में पारिस्थितिकी तंत्र लेकर चलता है।
एक कारण और है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चेतना एवं पर्यावरण आंदोलन के प्रारंभिक सम्मेलन के रूप में 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में दुनिया के 119 देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था। इसमें एक ही धरती के सिद्धांत को सर्वमान्य तरीके से मान्यता प्रदान की गई। इस सम्मेलन को भारत ने 14 जून को संबोधित किया था।
वट पूर्णिमा के दिन स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत के उद्बोधन के 50 वर्ष पूरे होने पर पाञ्चजन्य के पर्यावरण संवाद में पूरी दुनिया के पारिस्थिति तंत्र को ठीक रखने के लिए विमर्श हुआ। आशा है, देश-दुनिया के नामी विद्वानों की उपस्थिति में हुआ यह मंथन बनेगा मील का पत्थर
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