भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर जो युवक हिंसा कर रहे हैं, वे सेना के लिए फिट नहीं है। जिन लोगों ने बसों को जलाया और सडक़ पर उत्पात मचाया है। सेना उन लोगों को भर्ती करने में रुचि नहीं रखती। जनरल मलिक के मुताबिक हमें यह समझना होगा कि सशस्त्र बल एक स्वयंसेवी बल हैं। यह एक कल्याणकारी संगठन नहीं है और इसमें देश के लिए लडऩे वाले सबसे अच्छे लोग होने चाहिए, जो देश की रक्षा कर सकें।
एक सवाल के जवाब में जनरल मलिक ने कहा कि युवकों के मन जो आशंका हैं, सरकार को उनका दूर करना होगा। क्योंकि ये योजना अभी घोषित हुई है, इसलिए काफी संख्या में लोगों की इसकी पूरी जानकारी नहीं है। सरकार की ओर से इस योजना के बारे में रिटायर्ड सेना अधिकारियों को भी पूरी जानकारी देनी होगी। युवकों द्वारा धरने प्रदर्शन करने के सवाल पर जनरल मलिक ने कहा कि युवकों की बात भी सुननी चाहिए, अगर योजना से उनको कोई तकलीफ है तो उसको दूर किया जाना चाहिए।
मलिक ने कहा कि केवल सेना के बजट को देखते हुए ही यह योजना नहीं बनाई गई है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए यह योजना दो साल में तैयार की गई है। क्योंकि भविष्य में टेक्नालॉजी का प्रयोग अधिक होगा। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए सीनियर सैन्य अधिकारियों ने यह योजना जारी है।
दो साल से सेना में भर्ती रुके होने के सवाल पर जनरल मलिक ने कहा कि इस स्कीम के तहत हर साल 46 हजार युवाओं की भर्ती की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर साल करीब 50 हजार सेना के जवान सेवानिवृत्त होते हैं, इसलिए इन खाली होने वाले पदों को भरने के लिए यह स्कीम गई है। यहां तक चार साल की नौकरी के बाद भविष्य की चिंता की बात है तो सेना के उम्मीदवारों को नौकरियों की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों में प्रवेश का आश्वासन दिया है। बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
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