दुनिया में भारत के कपड़ों की पहचान है। नोएडा एवं गाजियाबाद की कई इकाइयों से कपड़े दुनिया के विभिन्न देशों में निर्यात होते हैं। फिलहाल इस उद्योग को संगठित करने के लिए योगी सरकार नोएडा में पार्क बनाएगी। इससे एक ही जगह निवेशकों को सारी सुविधाएं मिलने से उनकी गुणवत्ता में सुधार होगा। निर्यात में भी वृद्धि होगी।
वित्तीय वर्ष 2021-2022 के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश से निर्यात होने वाले सामानों में टेक्सटाइल की हिस्सेदारी 9 फीसद यानि 12,996 करोड़ रूपये की रही। क्रमशः इलेक्ट्रॉनिक एवं इलेक्ट्रिकल और दूसरे नंबर पर मीट के उत्पादों को छोड़ दें तो प्रदेश से निर्यात होने वाले उत्पादों में कपड़ों का तीसरा नंबर है। वर्ष 2020-2021 की तुलना में निर्यात में करीब 40 फीसद की वृद्धि रही। वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद यह वृद्धि खुद में उल्लेखनीय मानी जाएगी।
मालूम हो कि निर्यात में प्रदेश के टॉप टेन शहरों में गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद की हिस्सेदारी क्रमशः 41 एवं 11 फीसद है। निर्यात करने वाली कपड़े की इंडस्ट्री भी इन्हीं जिलों में है। इनमें से अधिकांश अनियोजित क्षेत्र में हैं। पार्क में रेडीमेड गारमेंट्स की लगभग 115 निर्यातोन्मुखी इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है। एक अनुमान के अनुसार इसमें तीन हजार करोड़ का निवेश आएगा। शीघ्र ही इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जुलाई में शिलान्यास और सितंबर 2025 तक सभी इकाइयों में व्यावसायिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा सरकार की योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर टेक्सटाइल बनाने की भी है। इसके लिए अगले साल सितंबर तक जमीन चिन्हित कर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 2026 तक इनमें उत्पादन शुरू कराने का लक्ष्य है
पीएम मित्र योजना के तहत 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से वैश्विक स्तर का टेक्सटाइल पार्क बनाने की भी योजना है।
नई पॉलिसी, बेहतरीन आधारभूत संरचना, बुनकरों के कौशल विकास और क्लस्टर अप्रोच के जरिए उत्तर प्रदेश को ग्लोबल टेक्सटाइल हब बनाने के क्रम में सरकार ब्रांड यूपी के लिए तैयार माल की मार्केंटिंग पर भी जोर देगी। इस क्रम में सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बड़े खिलाड़ियों मसलन फ्लिपकार्ट, अमेजन के साथ एमओयू करेगी। बुनकरों को अपने उत्पादों को ऑनबोर्ड करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
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