हरिद्वार में दिव्यांग व अर्धविक्षिप्त युवती से दुष्कर्म करने के मामले में एडीजे/एफटीएससी न्यायाधीश कुमारी कुसुम शानी ने आरोपी युवक को दोषी पाया है। विशेष कोर्ट ने युवक को 10 वर्ष कैद व 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार चौहान ने बताया कि 24 मई 2019 को ज्वालापुर क्षेत्र में रास्ते से बुलाकर अपने घर पर ले जाकर उक्त युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था। घटना के बाद पीड़ित युवती रोते हुए अपने घर पहुंची थी। घर पहुंचकर पीड़ित युवती ने अपनी दादी को सारी आपबीती बताई थी। उसके बाद पीड़िता के चाचा ने अभियुक्त बबलू पुत्र जमात अली निवासी कोतवाली ज्वालापुर के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोपी युवक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। शासकीय अधिवक्ता ने सरकार की ओर से आठ गवाह पेश किए।
एफटीएससी कोर्ट ने इस मामले में दिए अपने निर्णय में इंगित किया कि दिव्यांग व अर्धविक्षिप्त युवती के साथ हुए दुष्कर्म जैसे जघन्य मामले की जांच में संबंधित विवेचक की लापरवाही दर्शित होती है। ऐसी स्थिति में एफटीएससी कोर्ट ने उक्त निर्णय की एक प्रति एसएसपी हरिद्वार को भेजने के निर्देश दिए हैं।
एफटीएससी कोर्ट ने जुर्माना राशि में से 40 हजार रुपये पीड़ित युवती को बतौर प्रतिकर राशि देने के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व निर्भया प्रकोष्ठ को भेजकर पीड़िता को उचित प्रतिकर राशि दिलाने के निर्देश दिए गए हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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