बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केवल कानून बना देने से जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रायपुर में कहा था कि केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून शीघ्र ही बनाने वाली है। उनके इस बयान के बाद कई मजहबी संगठनों और सेकुलर राजनीतिक दलों ने इस कानून का विरोध किया है।
अब विरोध करने वालों की सूची में नीतीश कुमार का भी नाम शामिल हो गया है। उनका कहना है कि हर काम कानून बना देने से नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कानून बना देने से कुछ नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि यह काम कई देशों ने किया और उसका हाल देख लीजिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कानून से अधिक जागरूकता की जरूरत है।
उन्होंने यह भी बताया कि जनसंख्या नियंत्रण पर बिहार में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस कारण बिहार में प्रजनन दर तीन पर पहुंच गया है। इसे दो पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
दरअसल, नीतीश कुमार उन मजहबी संगठनों के पक्ष में ही बयान दे रहे हैं, जो जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि नीतीश कुमार जैसे सेकुलर नेता अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों को साम्प्रदायिक मानते हैं। वहीं भाजपा इन मुद्दों के समाधान को देशहित में मानती है। इसलिए उसके एजेंडे में ये सारे मुद्दे शामिल हैं।
लोग मानते हैं कि यदि केंद्र में भाजपा को खुद का बहुमत नहीं होता और नीतीश कुमार की पार्टी के समर्थन से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते तो आज भी कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू रहता। नीतीश कुमार को यह भी पता है कि जिस दिन भाजपा चाह लेगी उस दिन जनसंख्या नियंत्रण कानून बन जाएगा। जैसे उनके न चाहते हुए भी जम्मू—कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है। इसके बावजूद जनसंख्या नियंत्रण कानून के विरोध में बोलकर नीतीश कुमार मुसलमानों को यह बताने चाहते हैं कि चिंता मत करिए जदयू उनके साथ है।
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