देश के गरीब राज्यों में गिनती होने वाले बिहार के लिए एक अच्छी खबर है। कहा जा रहा है कि जमुई जिले के करमटिया गांव के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में भारत के कुल सोने का 44 प्रतिशत हिस्सा छुपा हुआ है। इसकी विस्तृत जानकारी लेने के लिए बिहार सरकार ने यहां सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है। यदि सच में जमुई में इतना सोना मिल गया तो आने वाले समय में बिहार का भाग्य बदल सकता है, वह गरीब प्रदेश की श्रेणी से निकल सकता है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार जमुई जिले में 37.6 टन खनिज—युक्त अयस्क समेत लगभग 22.28 करोड़ टन सोने का भंडार मौजूद है।
बिहार में सोने के भंडार को लेकर गत वर्ष केंद्रीय खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा को बताया था कि भारत के सोने के भंडार में सबसे अधिक भागीदारी बिहार की है। एक लिखित उत्तर में प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि बिहार में 22.28 करोड़ टन स्वर्ण धातु है, जो देश के कुल स्वर्ण भंडार का 44 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी बताया था कि ‘नेशनल मिनरल इन्वेंटरी’ के अनुसार, देश में 1 अप्रैल, 2015 को प्राथमिक स्वर्ण अयस्क के कुल संसाधन 654.74 टन के साथ स्वर्ण धातु 50.18 करोड़ टन होने का अनुमान है और इसमें से बिहार के पास 22.28 करोड़ टन (44 प्रतिशत) अयस्क है, जिसमें 37.6 टन धातु है।
इन दिनों जमुई में प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल के प्राचीन मानव सांस्कृतिक क्रिया-कलापों को खंगालने का कार्य भी चल रहा है। लगभग 10 दिन से चल रहे सर्वेक्षण में पुरातत्व विभाग को शैलचित्रों में मानव, पेड़-पौधे, पक्षी, जानवर, सूर्य, चक्र और अन्य ज्यामितीय चिह्न प्राप्त हो रहे हैं। ज्यादातर आकृतियां शैलचित्र के तौर पर हैं।
वही भगवान महावीर की जन्मस्थली गिद्धेश्वर पर्वतमाला के घने जंगलों में मौजूद शैल आश्रयों में प्राचीन मानव की सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। केंद्रीय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्वीकृति के बाद बिहार संग्रहालय सर्वेक्षण कर रहा है। इसमें प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल तथा प्राचीन काल के प्रमाण पाए गए हैं।
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