सेना ने पर्यावरण की रक्षा के लिए ईको टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स ने उत्तराखंड में लाखों पेड़ लगाकर डेढ़ हजार हेक्टेअर से ज्यादा बंजर पहाड़ी भूमि को हरा-भरा कर दिया है। यह फोर्स फिलहाल सात राज्यों में पर्यावरण संरक्षण अभियान में जुटी हुई है
पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) जिले के हिमालयी क्षेत्र की चंडाक पहाड़ियों पर सेना की वर्दी पहने जवान हर रोज पेड़ लगाते एवं उनकी देखभाल करते हुए दिख जाएंगे। ये प्रादेशिक सेना 130 ईको टास्क फोर्स के जवान हैं जो अब रात-दिन हिमालय के पर्यावरण की चिंता करते हैं।
ईको टास्क फोर्स की स्थापना एक दिसंबर 1982 को हुई थी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यही था कि हिमालय क्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए, एक बड़ी योजना के अंतर्गत सेना के सेवानिवृत्त जवानों को पेड़ लगाने के राष्ट्रीय अभियान पर लगाया जाए।
देश में सात राज्यों में ईको टास्क फोर्स
ईको टास्क फोर्स में सेना से रिटायर होकर आए जवानों को लिया जाता है और उन्हें हिमालय क्षेत्र में अपनी नर्सरी में पौधे उगाने, फिर पौधे लगाने और उसके बाद तीन वर्ष तक पौधों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी उठानी होती है। ईको टास्क फोर्स में कमांडर सेना से प्रतिनियुक्ति पर आते हैं और हिमालय के पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य में अपनी बटालियन के राष्ट्रीय अभियान को आगे बढ़ाते हैं।
उत्तराखंड में पहली बटालियन 1982 में गढ़वाल राइफल्स की देखरेख में देहरादून-मसूरी क्षेत्र के लिए गठित हुई थी। इसके काम को देखते हुए तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन चंद्र जोशी ने पिथौरागढ़ में 1994 में दूसरी ईको टास्क फोर्स बटालियन 130 इन्फैन्ट्री को मंजूरी दी। इसे कुमाऊं रेजिमेंट की देखरेख में राष्ट्रीय अभियान से जोड़ा गया। अभी तक यह आठ सौ हेक्टेअर क्षेत्र को लाखों पेड़ लगा कर हरा-भरा कर चुकी है। इसी तरह देहरादून में तैनात 127 इन्फैन्ट्री बटालियन ईको टास्क फोर्स ने पहले मसूरी क्षेत्र में और उसके बाद बदरीनाथ क्षेत्र के करीब सात सौ हेक्टेअर बंजर क्षेत्र को जंगल में तब्दील कर दिया है। लाखों की संख्या में पेड़ लगाए जा चुके हैं और बंजर हो रहे पहाड़ फिर से हरे-भरे हो चुके हैं।
उत्तराखंड में पहले कुमाऊं और गढ़वाल के हिमालय क्षेत्र में समुद्र तल से दस हजार फुट की ऊंचाई पर दो-दो कंपनियां सेवार्थ थीं। इनके काम को देखते हुए कुछ साल पहले उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चंद्र खंडूडी ने सेना के उच्च अधिकारियों से चर्चा करके यहां चार और कंपनियां तैनात कराईं ताकि हिमालय क्षेत्र में यहीं के पूर्व सैनिकों को रोजगार भी मिल सके और पर्यावरण का संरक्षण भी हो सके। वर्तमान में आठ कंपनियों में एक हजार से ज्यादा पूर्व सैनिक इस राष्ट्रीय हरित अभियान में लगे हैं।
ईको टास्क फोर्स समय-समय पर स्थानीय स्कूली बच्चों और स्थानीय सामाजिक संस्थाओं के साथ तालमेल करके पेड़ लगाने का अभियान चलाती है।
क्षेत्रीय पर्यावरण के अनुकूल प्रजातियां
ईको टास्क फोर्स जहां पेड़ लगाने जाती है, पहले वहां मिट्टी का नमूना लेती है और उसके बाद वहां के अनुकूल पौधों का ही रोपण करती है। हिमालयी क्षेत्र में भोजपत्र, बेलपत्र, देवदार, चिनार, सुरई, अखरोट, बादाम, बांझ, तेजपात आदि के ही पेड़ लगाए जा रहे हैं।
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