केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए इसके प्रबंधन को लेकर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस संक्रामक रोग की निगरानी के लिए मंकीपॉक्स के सैंपल पुणे की एनआईवी शीर्ष प्रयोगशाला को भेजे जाएंगे। हालांकि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उसकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क से 21 दिन की अवधि के लिए निगरानी की जानी चाहिए। लक्षणों की शुरुआत होने से मरीज को 21 दिनों तक सघन क्वारंटीन करना चाहिए। हालांकि मंकीपॉक्स का अभी एक भी मरीज भारत में नहीं पाया गया है लेकिन फिर भी इसे नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है। इसके रोकथाम और नियंत्रण के लिए टीकाकरण का आकलन करने के लिए अब अध्ययन चल रहा है।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स चेचक की तरह होने वाला एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों में खोजा गया था। चूंकि एक बार बंदर के बीच यह बीमारी फैली थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। इस रोग का प्रकोप मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में देखा जाता है।
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