आए दिन हम सब दहेज के आरोप मेें किसी पर हुए मुकदमे की बातें सुनते रहते हैं। ऐसे मुकदमे कुछ असली भी होते हैं, तो कुछ नकली भी। नकली मुकदमों के कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसी ही एक घटना झारखंड के जमशेदपुर में हुई है। उल्लेखनीय है कि आज से 23 दिन पहले जमशेदपुर के कारोबारी राहुल अग्रवाल ने सात मंजिले एक भवन से कूद कर जान दे दी थी। मरने से पहले राहुल ने एक वीडियो बनाकर लोगों को बताया था कि उन पर ससुराल वालों ने दहेज का फर्जी मुकदमा दायर कर दिया है। इस कारण उनका जीवन तबाह हो रहा है। राहुल ने अपने ससुर, अपनी सास, पत्नी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। राहुल ने यह भी कहा था कि उन्हें अपने बच्चों से मिलने नहीं दिया जा रहा था।
राहुल ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि जब तक सच बाहर न आ जाए और आरोपियों को सजा न मिल जाए तब तक मेरी अस्थियों को बैेंक के लॉकर में रखा जाए, उन्हें नदी में प्रवाहित न किया जाए। राहुल की अंतिम इच्छा को देखते हुए उनके परिजनों ने उनकी अस्थियों को बैंक लॉकर में रख दिया है। पिछले 23 दिन से उनके परिजन और जमशेदपुर के आम लोग राहुल को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि प्रशासन ने आरोपियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है और वे खुलेआम घूम रहे हैं। जैसे—जैसे लोगों तक राहुल की खबर पहुंच रही है, वे उन्हें न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। बिष्टुपुर, जमशेदपुर के निवासी अर्जुन पांडे कहते हैं कि झूठे मुकदमों से लोगों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बात सही है कि अनेक लोग दहेज के लिए सारी हदें पार कर देते हैं। ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन दहेज कानून के जरिए किसी को परेशान करना भी तो ठीक नहीं है। इसलिए ऐसे मामलों की सचाई जल्दी सामने लाने के लिए कोई ठोस तंत्र बनना चाहिए।
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