तालिबान हुकूमत ने कहा है कि क्योंकि अफगानिस्तान मुख्य रूप से मुस्लिमों का देश है, इसलिए उनकी सरकार इस्लामी हिजाब के पालन को समाज की मजहबी और रस्मी प्रथाओं के हिसाब से सही मानती है
अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज बंदूकधारी इस्लामवादी तालिबान के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र की उस अपील को ठुकरा दिया है जिसमें उसने तालिबान से अफगानिस्तान की महिलाओं से सख्त प्रतिबंध हटाने को कहा था। इस्लामी कट्टरपंथी जमात तालिबान ने उस अपील को आधारहीन बताया है।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने तीन दिन पहले सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि महिलाओं को लेकर तालिबान की नीतियों ठीक नहीं हैं। तालिबान को इसमें सुधार करते हुए महिलाओं पर लगे कठोर प्रतिबंधों को खत्म करना चाहिए। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को धता बताते हुए, तालिबान हुकूमत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने कहा है कि क्योंकि अफगानिस्तान मुख्य रूप से मुस्लिमों का देश है, इसलिए उनकी सरकार इस्लामी हिजाब के पालन को समाज की मजहबी और रस्मी प्रथाओं के हिसाब से सही मानती है। यानी तालिबान महिलाओं को बुर्के से बाहर नहीं आने देगा, न ही उन्हें खुलेआम सड़क पर चलने देगा, सफर करने देगा।
दूसरे, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने उक्त प्रस्ताव में तालिबान से ये अपील भी की थी कि अफगानिस्तानी महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों और बुनियादी अधिकारों पर रोक लगाने वाले सभी हुक्मों को वापस ले और लड़कियों के स्कूल फिर खोल दे।
गौर करने की बात है कि तालिबान का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रिचर्ड बेनेट पिछले ही दिनों अपने 11 दिन के अफगानिस्तान दौरे से वापस लौटे हैं। बेनेट ने अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के स्तर में गिरावट और सार्वजनिक जीवन से महिलाओं के गायब होते जाने पर बहुत चिंता व्यक्त की थी।
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