मीडिया महामंथन के द्वितीय सत्र में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने चर्चा की। मुख्यमंत्री ने सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण पर कड़ा रुख जताया तो चारधाम के कायाकल्प पर चर्चा की। उन्होंने समान नागरिक संहिता पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या है पलायन। इसका एक बड़ा कारण है चकबंदी। क्या राज्य सरकार ने इस संबंध में कोई निर्णय लिया है? इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार इस विषय पर गंभीर है और संबंधित विभाग से कहा गया है कि राज्य के भू-आलेखों को दुरुस्त किया जाए। यह प्रक्रिया लंबी अवश्य है, लेकिन हम इसे जरूर पूरा करेंगे। इसमें जन सहयोग भी बहुत आवश्यक है।
उत्तराखंड में सरकारी और रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण आम बात हो गयी है। यहां तक कि जंगलों के बीच मजारें और कब्रें बन रही हैं। इस बात पर श्री धामी ने कहा कि इस संबंध में काम शुरू कर दिया गया है। जो जमीन सरकार की है, उसे अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बारे में सभी जिला अधिकारियों को सख्त हिदायत दे दी गई है और ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस विषय पर बेहद गंभीर हूं। मीठा जरूर बोलता हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम कुछ भी देखते रहेंगे। मेरा स्वभाव शांत जरूर है, लेकिन मैं उतनी ही कड़ी कार्रवाई भी करता हूं।
श्री धामी से पूछा गया कि गढ़वाल क्षेत्र में तीर्थों के विकास के लिए अनेक कार्य हो रहे हैं, लेकिन कुमाऊं मंडल के तीर्थस्थलों जैसे- जागेश्वर, ओम पर्वत, हाट कालिका आदि के विकास के लिए क्या योजना है? इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री मोदी जी के दिशानिर्देश पर चारधाम का कायाकल्प हो रहा है। केदारनाथ का एक नया रूप सबके सामने आ गया है। बद्रीधाम में काम शुरू हो गया है। रेल प्रोजेक्ट, रोपवे हमारे धामों तक पहुंच रहे हैं। 2,000 करोड़ रु. से ज्यादा की परियोजना पर काम चल रहा है।
अब हमने कुमाऊं के 17 तीर्थस्थलों का चयन किया है। जागेश्वर, बागेश्वर, नैना देवी, पूर्णागिरि, दूनागिरि, बराही देवी आदि स्थानों पर सड़क और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ‘मानसखंड सर्किट’ के तहत कार्य किया जा रहा है। कैंचीधाम, जो बाबा नीम करौली जी का स्थान है, के विकास का काम भी शुरू होने वाला है। उम्मीद है, कि अगले दो वर्ष में देवभूमि के सभी मंदिर, धाम और गुरुद्वारे तीर्थयात्रियों के लिए सुगम और सुविधाजनक हो जाएंगे।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में इसे एक मुद्दे के रूप में जनमानस के सामने रखा गया था। यही कारण है कि दुबारा सत्ता में आते ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया। एक विशेषज्ञ समिति भी बना दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्री जी ने भी इसे लागू करने की बात कही है। इसलिए हम देश के सभी राज्यों से अपील करते हैं कि वे भी अपने राज्य में इसे लागू करें, एक देश है तो एक कानून होना चाहिए।
श्री धामी से पूछा गया कि उत्तराखंड में एक समस्या नौकरशाहों की भी रही है। ये जिसकी सरकार चाहें बना देते हैं और जिसका चाहे खेल बिगाड़ देते हैं। इस पर उनका क्या अनुभव है? इसके उत्तर में उन्होंने कहा कि यह धारणा अब बदल लीजिए। ऐसा पहले कभी होता होगा। हो सकता है कि पिछले चुनाव में भी कुछ नौकरशाह इसमें लिप्त रहे होंगे, लेकिन जैसा मैंने पहले भी कहा कि मुझे लोग शांत स्वभाव का समझते हैं, वह मेरा व्यवहार है, लेकिन किससे कैसे काम लेना है, यह सब मैं जानता हूं। अब उन्हें भी यह समझ आ गया है कि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता ही यह तय करती है कि वह किसकी सरकार बनाएगी, किसकी नहीं!
श्री धामी से यह भी पूछा गया कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में जब भी बड़े अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई होती है, तो वे लोग उत्तराखंड में छुप जाते हैं। ऐसे में उनकी सरकार क्या कर रही है? इस पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में चौकसी बरती जा रही है। पुलिस को सख्त हिदायत है कि उत्तराखंड को अपराधियों की शरणस्थली नहीं बनने दिया जाएगा। पिछले दिनों पुलिस ने कुछ बड़े अपराधियों को पकड़ कर जेल भी भेजा है। हमारी पुलिस पड़ोस के राज्यों के साथ तालमेल के साथ काम कर रही है, हम यहां अपराध को पनपने नहीं देंगे।
उत्तराखंड में बढ़ते जनसंख्या असंतुलन और राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या मुसलमानों के बसने पर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह समस्या सामने दिख रही है। राज्य सरकार ने पुलिस विभाग के जरिए एक सत्यापन अभियान शुरू किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे और जो भी समाज और राष्ट्रविरोधी तत्व हैं, उन्हें उत्तराखंड में नहीं रहने दिया जाएगा।
श्री धामी से पूछा गया कि कुछ दिन पहले युवाओं ने ‘उत्तराखंड मांगे सशक्त भू-कानून’ नाम से एक अभियान चलाया था। इस पर क्या काम चल रहा है? इसके उत्तर में उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति बनाई गई है। यह समिति सभी जिलाधिकारियों के साथ-साथ समाज के सम्मानित लोगों से भी संवाद कर रही है। यह समिति जो भी अनुशंसा करेगी, उसे ईमानदारी से लागू कराया जाएगा।
इस प्रश्न पर कि आपकी सरकार उत्तराखंड को शिक्षा और पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए क्या कर रही है? श्री धामी ने कहा कि स्थानीय लोगों को पर्यटन और शिक्षा से जोड़ने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। पहाड़ों में निजी विद्यालयों को खोलने, पर्यटन क्षेत्र में ‘होम स्टे’ खोलने के लिए प्रोत्साहन देने जैसे विषय हमारी सरकार की योजना में हैं और इसमें हमें सफलता भी मिल रही है। पहाड़ों की बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी तो हम हर क्षेत्र में आगे बढ़ते जाएंगे। पूछा गया कि आप सैन्य धाम की बात करते रहे हैं। इसको लेकर आपके मन में क्या चल रहा है?
इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है, लेकिन साथ ही साथ यह वीर भूमि भी है। अब तक उत्तराखंड के 1,700 वीरों ने देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया है। हम हमेशा उनका सम्मान करना चाहते हैं। इसलिए देहरादून में शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। इसके लिए सभी बलिदानी परिवारों के घर-आंगन से मिट्टी मंगवाई जा रही है। यह उत्तराखंड का पांचवां धाम होगा। हम चाहते हैं कि लोग वहां जाएं और इन बलिदानियों के प्रति आदर और कृतज्ञता प्रकट करें।
खुला सत्र
एक प्रतिभागी द्वारा श्रीहेमकुंड साहिब के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि श्रीहेमकुंड साहिब के द्वार तक श्रद्धालु रोपवे से जाएं, ऐसी प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा है और इस पर काम भी चल रहा है। एक अन्य ने उत्तराखंड में चिकित्सा सुविधाओं को लेकर प्रश्न पूछा तो उसके उत्तर में उन्होंने कहा कि अनेक मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। एक अन्य प्रतिभागी ने इस समय चल रही चारधाम यात्रा के बारे में पूछा।
इस पर श्री धामी ने बताया कि दो साल बाद चारधाम यात्रा खुली है और क्षमता से ज्यादा श्रद्धालु आ रहे हैं। मेरा अनुरोध है कि आएं जरूर, लेकिन पोर्टल पर बुकिंग जरूर देख लें। यदि आने के बाद किसी यात्री को कष्ट होता है तो व्यक्तिगत रूप से मुझे कष्ट होगा।
उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में 40 श्रद्धालुओं की मृत्यु पर यह भ्रम फैलाया गया कि अव्यवस्था की वजह से ऐसा हुआ, जबकि मृत्यु का कारण यात्रियों का रोगी होना था। कुछ को हृदय रोग, तो कुछ को अन्य रोग थे। इसलिए श्रद्धालुओं से यह अनुरोध है कि यात्रा पर आने से पहले यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि वे उच्च क्षेत्रों की यात्रा कर सकते हैं या नहीं?
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