टेरर फंडिंग मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एनआईए की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजा गया है। इससे पहले 19 मई को कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया था।
यासीन मलिक ने 10 मई को अपना गुनाह कबूल कर लिया था। कोर्ट ने 16 मार्च को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
#WATCH | Terror funding case: Yasin Malik produced in the courtroom in NIA court, Delhi, ahead of the sentencing order. pic.twitter.com/ymfkN6PK4d
— ANI (@ANI) May 25, 2022
एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में किया गया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।
यासीन बोला- भीख नहीं चाहिए
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यासीन मलिक के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। इस दौरान यासीन ने कहा कि अगर वह किसी भी आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल पाया जाता है तो वह राजनीति से सन्यास ले लेगा। किसी भी चीज के लिए भीख नहीं मांगेगा।
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