इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद को लेकर मथुरा की कोर्ट में दाखिल कई वादों की सुनवाई एक साथ किए जाने तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड को जन्मभूमि की जमीन से हटाने को लेकर दाखिल वादों को चार माह में निस्तारित करने का निर्देश सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा को निर्देश दिया है।
गुरुवार को यह निर्देश हाई कोर्ट के जस्टिस सलिल कुमार राय में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर पारित किया है। इस याचिका में कहा गया कि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड के कब्जा कर लिए जाने को लेकर कई वाद सिविल कोर्ट में लम्बित हैं। याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट यह निर्देश दे कि सभी वाद एक साथ तय किए जाएं। हाई कोर्ट में दाखिल इस याचिका में यह भी मांग की गई थी कि निचली अदालत में याची द्वारा दाखिल सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा की गई जमीन से बेदखल करने के संबंध में दाखिल अंतरिम अर्जी का निस्तारण कराया जाय।
दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य बनाम सुन्नी वक्फ बोर्ड का वाद मथुरा जिला अदालत में चल रहा है। भगवानकृष्ण के भक्त मनीष यादव ने भी एक वाद मथुरा सिविल कोर्ट में दाखिल कर कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान से नाम 13.47 एकड़ जमीन है। इस जमीन के कुछ हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक कथित समझौता, जो 1967 में हुआ, के आधार पर कब्जा कर लिया है। इस वाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड को कब्जा किए हुए हिस्से से हटाने की मांग की गई है। इसको लेकर एक अर्जी सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा के समक्ष दाखिल किया गया है। कहा गया है कि 1967 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा कथित समझौता गलत है। इसे खत्म किया जाना चाहिए।
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