मेरठ के एक गन हाउस से पिछले दस महीनों में दो लाख कारतूस बिक गए,ये कहां गए?किसने इन्हें खरीदा इसकी जांच के लिए यूपी पुलिस की सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हुई है।
जानकारी के मुताबिक 22 अप्रैल को आगरा के पास टुंडला रेलवे स्टेशन से शादाब और फैजान के पास से 700 कारतूस बरामद हुए थे। कारतूस की इस खेप को बरामद करने वाली जीआरपी ने स्थानीय पुलिस और फिर बाद में केंद्रीय रेलवे पुलिस के अधिकारियों के साथ एक सयुंक्त ऑपरेशन चला कर अमरोहा से प्रतीक सक्सेना नाम के शख्स को गिरफ्तार किया और इसके पास से 20 हज़ार कारतूस मिले तो मामला और गंभीर हो गया। इसके अलावा प्रतापगढ़ के आशीष मिश्र को 4000 कारतूस अवैध रूप से रखने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। पुलिस एजेंसियों की कुल 12 टीमें इसकी जांच में लगी हुई है कि आखिर कौन कौन कारतूसों का सौदागर है।
फिलहाल जांच आगे बढ़ती हुई मेरठ के एक गन हाउस तक पहुंची तो जानकारी मिली कि पिछले दस महीनों में इस गन हाउस से दो लाख से ज्यादा कारतूसों की बिक्री दिखाई गई है, अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार ये कारतूस किसे बेचे गए? जांच में मालूम हुआ है प्रतीक सक्सेना के गुर्गे यूपी बिहार और अन्य प्रदेशों में फैले हुए है जो पेशेवर अपराधियों तक ये कारतूस पहुंचाते हैं।
जानकारी मिली है कि कारतूस बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ आंध्रप्रदेश के नक्सली गुटों तक पहुंच रहे है। पुलिस को अभी फिरोज नाम के शख्स की तलाश है जोकि इस कारतूस के धंधे का मास्टर माइंड बताया जारहा है।
पिछले भोपाल में भी गन हाउस में 90 हज़ार कारतूस का हिसाब किताब नही मिला था तो प्रशासन को दुकान सील करनी पड़ी थी। रेलवे पुलिस यूपी पुलिस ने ये सूचनाएं यूपी एटीएस से भी साझा की है। जांच अभी प्रगति पर है और इसमे अभी और भी खुलासे होने की संभावना है। जीआरपी के पुलिस अधीक्षक मुश्ताक अहमद ने बताया कि इस केस पर जांच प्रगति पर है अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी एक बार सारे तथ्य सारे विषय सामने आ जाये तो बताना उचित रहेगा।
पुलिस प्रशासन की लापरवाही
शहरों में शस्त्र और कारतूस की दुकानों में हर छह माह में पुलिस के सीओ और एसडीएम स्तर के अधिकारियों द्वारा दस्तावेज चेक करने का नियम है जिसका अनुपालन नही होता और कारतूस विक्रेता ,अपराध की दुनिया मे कारतूस बेच कर अवैध कमाई करते है।
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