जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिसमे हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें एक नाम है तबरेज खान। जो शांतिदूत होने का दिखावा करते हुए पुलिस का साथ दे रहा था। वही इस हिंसा मामले का मुख्य साजिशकर्ता है। इस मास्टरमाइंड के अलावा 2 अन्य लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान अनाबुल और जलील के रूप में हुई है।
आरोपी घटना के बाद से ही पुलिस की आँखों में धुल झोंक रहा था और उनके आगे पीछे घूम रहा था। जहांगीरपुरी हिंसा का यह आरोपी पथराव के बाद अमन का ‘रखवाला’ बन पुलिस के आला अधिकारियों के बीच ही घूमता रहा, ताकि पुलिस को उस पर शक न हो।
शांति कायम करने का रचता रहा ढोंग
हिंसा के बाद वह डीसीपी समेत तमाम आला अधिकारियों के इर्द-गिर्द ही दिखाई देता था। वह मंच से लेकर सड़क तक अक्सर इलाके की डीसीपी उषा रंगनानी के बगल में ही खड़ा या बैठा दिखाई देता था। इतना ही नहीं, शांति कायम करने का ढोंग करते हुए उसने ही इलाके में तिरंगा यात्रा भी आयोजित की थी और पत्र लिखकर पुलिस से इसके लिए अनुमित भी हासिल कर ली थी। उसी समय का एक फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वो ठीक पुलिस के पीछे झंडा लेकर खड़ा दिखाई दे रहा है।
वहीं एक वीडियो हिंसा के बाद का वायरल हो रहा है जिसमे देख सकते है कि जब जहांगीरपुरी में डीसीपी उषा रंगरानी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थी तब वह बगल में बैठकर माइक के जरिए इलाके से पुलिस फोर्स हटाने की गुजारिश कर रहा था। जानकारी के अनुसार तबरेज ने ही मुस्लिम समुदाय के लोगों को ठाणे के बाहर इकठ्ठा कर जमकर नारेबाजी कराई थी और उसने गिरफ्तार किए गए मुस्लिम समुदाय के परिवारवालों को थाने के बाहर उकसाने का काम किया।
अनाबुल व तबरेज ने हिंसा में निभाई सक्रिय भागीदारी
पुलिस के अनुसार सीसीटीवी फुटेज व गिरफ्तार अन्य लोगों के बयान के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अनाबुल व तबरेज ने हिंसा में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। दोनों आरोपियों ने अपने मोबाइल बंद कर लिए थे और अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था।
चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था शातिर
तबरेज पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का सदस्य था, लेकिन बाद में उसने एआईएमआईएम छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली थी। फिलहाल ये दिल्ली नगर निगम की चुनावों की तैयारी कर रहा था। पत्थराव के बाद वह लगातार पुलिस के साथ घूम-घूम कर इलाके में अमन कायम करने की बातें कर रहा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, तबरेज का जहांगीरपुरी पथराव में बेहद एक्टिव रोल था।
दिल्ली दंगों में भी एक्टिव था तबरेज
बरेज का नाम पहले भी इस तरह के मामलों में सामने आ चुका है। बताया जा रहा है कि दिल्ली दंगों में भी तबरेज का नाम सामने आया था। वह शाहीन बाग में भी आजाद चौक से बसें भर-भर के लेकर गया था और जाफराबाद में भी भीड़ इसी ने इकठ्ठा की थी। हालांकि, पुलिस ने केस मजबूत करने के लिए इसे गवाह बना लिया था।
बड़े दंगे की थी साजिश
जानकारी के अनुसार जहांगीरपुरी में जिस तरह से हिंसा कराने की साजिश रची गई थी वो दो साल पहले उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे से बड़ी थीं। इस हिंसा के लिए बकायदा कई बैठकें की गई, साथ ही उपद्रवियों को हथियार भी मुहैया कराए गए थे। हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों को उम्मीद थी कि शोभायात्रा पर पथराव और फायरिंग करते ही भगदड़ में ही कई लोगों की जान चली जाएगी। इसके बाद बड़े स्तर पर हिंसा भड़केगी। हिंसा फैलाने के लिए पीएफआइ के करीब 20 सदस्य लोगों को उकसाने के लिए हिंसा वाले दिन जहांगीरपुरी में मौजूद थे। जहांगीरपुरी में 100 से अधिक पीएफआइ स्टूडेंट् विंग के सदस्य रहते हैं। इनको भी इसमें शामिल करने की योजना थी।
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