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अर्थायाम : कड़क करेंसी

करेंसी बाजार के मामले में भारत दुनिया के पसंदीदा बाजारों में एक है और यही कारण है कि इसका आकार धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है। अब इस बाजार की ओर आम निवेशकों का भी रुझान बढ़ रहा है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
May 5, 2022, 07:13 pm IST
in भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। भारत कब यहां तक पहुंचेगा, इसे छोड़कर ऐसे बाजार के बारे में सोचिए जिसमें रोजाना 5 ट्रिलियन डॉलर की ट्रेडिंग हो! यह है करेंसी बाजार। इस सबसे बड़े वित्तीय बाजार के अपने सियासी और कूटनीतिक महत्व भी हैं। जब तक डॉलर अंतरराष्ट्रीय बाजार की मुद्रा बना हुआ है, अमेरिका का चोटी की अर्थव्यवस्था बने रहना लगभग तय है। दरअसल, अमेरिका का जो जादू पूरी दुनिया पर छाया हुआ है, आज उसके जितने भी कारक हैं, उनमें एक उसकी मुद्रा भी है।

आज करेंसी ट्रेडिंग का माध्यम भी है और ट्रेड का विकल्प भी। स्टॉक और इक्विटी ट्रेडिंग के बारे में हर कोई जानता है। लेकिन यह ऐसी हाई कैपेसिटी मार्केट है जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं। इसी मार्केट को करेंसी ट्रेडिंग/मार्केट कहते हैं। विदेशी मुद्रा में होने वाले कारोबार से लोगों को लाभ कमाने का मौका मिलता है। कोई सही अवसर तलाशने व लाभ के लिए उनका उपयोग करने में सक्षम हो तो करेंसी मार्केट से अच्छा पैसा बना सकता है। मगर उससे पहले करेंसी मार्केट के बेसिक फीचर्स को समझना जरूरी है।

करेंसी मार्केट का महत्त्व
भारत की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार है। यहां के बाजार में आकार, नवाचार की गुंजाइश और वित्तीय बाजार की क्षमता के कारण कई अंतरराष्ट्रीय दिग्गज एंटरप्राइज मौजूद हैं। भारत की मजबूत व स्थिर वित्तीय प्रणाली अत्यधिक नियंत्रित माहौल से धीरे-धीरे अधिक उदार सिस्टम में बदल गई। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत एफडीआई के लिए सबसे आकर्षक गंतव्यों के मामले में चीन और अमेरिका जैसे देशों की लिस्ट में शामिल है। आसान नियमों पर चल रहे भारतीय बाजार जबरदस्त अवसर और ज्यादा मुनाफे की संभावनाओं से भरे हैं। यहां आसान नियमों का मतलब ढुल-मुल नहीं, बल्कि सुचारु है। इस ऊजार्वान माहौल में भारत में करेंसी मार्केट दिन-रात दुनिया भर के विभिन्न खरीदारों/निवेशकों के बीच ट्रेडिंग के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रहा है।

यदि आप किसी ब्रोकर के माध्यम से करेंसी मार्केट में ट्रेड कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह ब्रोकर एक्सचेंज के साथ रजिस्टर हो और अच्छी प्रतिष्ठा वाला हो। ये भी पहले से जान लें कि ब्रोकर कमीशन किस तरह लेगा। ब्रोकर द्वारा आवश्यक शुरुआती डिपॉजिट राशि बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही सुनिश्चित करें कि डिपॉजिट और विदड्रॉल प्रोसेस सुविधाजनक हो।

 

भारत में विदेशी करेंसी मार्केट या करेंसी ट्रेडिंग अंतरराष्ट्रीय करेंसियों के ट्रेड के लिए एक्सचेंज की जगह है। ट्रेडिंग के उच्च स्तर से ही भारत की करेंसी मार्केट की आज के समय में एक खास पहचान बन सकी है। हर देश में करेंसी मार्केट होती है। सब को मिलाकर अंतरराष्ट्रीय करेंसी मार्केट कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय करेंसी मार्केट एक ऐसी मार्केट है जिसमें दुनिया भर के प्रतिभागी विभिन्न करेंसियों को खरीदते और बेचते हैं। इन प्रतिभागियों में बैंक, कॉपोर्रेशन, केंद्रीय बैंक, इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म, हेज फंड, खुदरा विदेशी करेंसी ब्रोकर और निवेशक शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय करेंसी मार्केट बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डेब्ट, निवेश, कॉर्पोरेट अधिग्रहण और वैश्विक ट्रेड सहित वैश्विक लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में मदद करती है।

सबसे बड़ा वित्तीय बाजार
अंतरराष्ट्रीय करेंसी मार्केट दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है, जिसकी औसत दैनिक ट्रेड मात्रा 5 ट्रिलियन डॉलर है। इस मार्केट में लेन-देन एक एक्सचेंज पर नहीं होता है, बल्कि दुनिया भर के बड़े बैंकों और दलालों के वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क पर होता है। सवाल है कि करेंसी मार्केट या विदेशी मुद्रा बाजार की जरूरत क्यों पड़ी? इसे विदेशी ट्रेड के नतीजे के रूप में जरूरी हुए करेंसी के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए तैयार किया गया था।

वैश्विक करेंसी मार्केट विदेशी कारोबार को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है क्योंकि यह कंपनियों को विश्व स्तर पर अपना सामान बेचने और उनकी स्थानीय मुद्रा में भुगतान करने की अनुमति देता है। करेंसी मार्केट शेयर बाजार से इस मायने में अलग है कि इसमें क्लियरिंग (एक फाइनेंशियल मार्केट में खरीदार और विक्रेता के बीच एक निर्दिष्ट मध्यस्थ) शामिल नहीं होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक पक्ष अपने दायित्वों का अनुपालन करता है, लेन-देन एक मध्यस्थ के बिना पार्टियों के बीच सीधे होता है। करेंसियां सिंगल प्राइस के साथ नहीं आती हैं बल्कि उनकी कीमत अन्य मुद्राओं के संदर्भ में तय होती है।

डॉलर की तूती
अमेरिकी डॉलर को दुनिया की आरक्षित मुद्रा माना जाता है क्योंकि वहां की एक स्थिर अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली है। कई उत्पादों, वस्तुओं और निवेशों का लेन-देन डॉलर में किया जाता है। यही वजह है कि इसमें अधिकांश प्रमुख लेनदेन और करेंसी एक्सचेंज शामिल होते हैं। जिन देशों में स्थिर बाजार या मुद्रा विनिमय दर नहीं है, वे निवेश को आकर्षित करने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए डॉलर में व्यापार करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि कई अन्य करेंसी पेयर हैं जिनका वैश्विक स्तर पर कारोबार होता है। भारत में करेंसी मार्केट में केवल फ्यूचर एंड आॅप्शन सेगमेंट का ट्रेड कर सकते हैं। करेंसी फ्यूचर में ट्रेड एनएसई, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, एमसीएक्स-एसएक्स और यूनाइटेड स्टॉक एक्सचेंज जैसे एक्सचेंजों द्वारा पेश किए गए प्लेटफार्मों पर किया जाता है। करेंसी ट्रेड का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होता है। करेंसी मार्केट में ट्रेड करने के लिए शेयर बाजार जैसी कोई कैश या इक्विटी फॉर्म नहीं होती। इसलिए, आपको केवल किसी ब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोलने की जरूरत होगी और डीमैट खाता खोलने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

सही ब्रोकर चुनें
यदि आप किसी ब्रोकर के माध्यम से करेंसी मार्केट में ट्रेड कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह ब्रोकर एक्सचेंज के साथ रजिस्टर हो और अच्छी प्रतिष्ठा वाला यानी नामी हो। ब्रोकर द्वारा पेश किए जाने वाले लीवरेज और मार्जिन आॅप्शन भी महत्वपूर्ण होते हैं। आपके मार्जिन खाते में 10:1 लीवरेज आपको 10,000 रुपये की मार्जिन जमा के साथ 1 लाख रुपये की करेंसी पॉजिशन लेने की सुविधा दे सकता है। वहीं ब्रोकर आपको 100:1 के बड़े मार्जिन की भी पेशकश कर सकता है। यह लाभ कमाने के मामले में अच्छा लग सकता है, लेकिन प्रतिकूल स्थिति में नुकसान को भी बढ़ा सकता है। ये भी पहले से जान लें कि ब्रोकर कमीशन किस तरह लेगा। ब्रोकर द्वारा आवश्यक शुरूआती डिपॉजिट राशि बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही सुनिश्चित करें कि डिपॉजिट और विदड्रॉल प्रोसेस सुविधाजनक हो।

ट्रेडिंग स्टाइल
फॉरेक्स सट्टेबाजों के बीच कई विभिन्न प्रकार की लोकप्रिय ट्रेडिंग रणनीतियां हैं। इन्हीं में से एक है स्कैल्पिंग, जो सरल रणनीतियों में से एक है। इसमें आप किसी अन्य अवधि में पॉजिशन लेते समय कई बार ट्रेड करते हैं। स्कैलपर्स जीडीपी, बेरोजगारी दर और मुद्रास्फीति जैसी महत्वपूर्ण खबरों पर नजर रखते हैं और एक ही दिन में कई बार छोटे-छोटे लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। दूसरी तरफ पॉजिशनल ट्रेडिंग में, आप अपनी लंबी पॉजिशन और बड़े मार्केट मूवमेंट से लाभ प्राप्त करते हैं। आपकी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी जो भी हो, आपको लाभ कमाने पर नजर रखनी चाहिए और नुकसान से बचने या उसे कम करने के लिए नियमित रूप से बाजार की गतिविधियों पर निगरानी रखनी चाहिए।

दो तरह की कम्युनिटी
फॉरेन करेंसी मार्केट में दो अलग-अलग ट्रेडिंग कम्युनिटीज होती हैं। पहली इंटरबैंक एफएक्स मार्केट, जिसमें बैंकों और इंस्टीट्यूशंस का एक नेटवर्क होता है जो आपस में करेंसियों में ट्रेड करते हैं। ये लेन-देन आम तौर पर बहुत अधिक मात्रा में होती हैं। विभिन्न व्यापारिक बैंकों के करेंसी डेस्क लगातार लेन-देन करते हैं, जिससे मुद्रा विनिमय दर एक समान रहती है। दूसरी ओर होते हैं रिटेल ट्रेडर। हालांकि इनमें ट्रेड वॉल्यूम इंटरबैंक मार्केट से कम होती है क्योंकि प्रति लेनदेन मूल्य कम रहता है। करेंसी की कीमतें अत्यधिक अस्थिर होती हैं क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के आर्थिक और राजनीतिक कारणों से प्रभावित होती है। लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं ब्याज दरें, अंतरराष्ट्रीय ट्रेड, मुद्रास्फीति और राजनीतिक स्थिरता। सरकारें अपने केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप के माध्यम से अपनी करेंसियों के मूल्य को प्रभावित करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में भाग ले सकती हैं। बड़ा प्रभाव पैदा करने के लिए वे या तो कीमत कम करने के लिए अपनी घरेलू करेंसी की बाजार में बाढ़ ले आती हैं या कीमत बढ़ाने के लिए उसे खरीदती हैं। बड़े कॉर्पोरेशंस द्वारा भारत में बड़े मार्केट आॅर्डर करेंसी ट्रेडिंग मार्केट को अस्थिर बना सकते हैं। किसी देश के निर्यात राजस्व में वृद्धि से विदेशी मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होती है। आयात बढ़ने से मांग बढ़ती है। इन कारणों से करेंसी पर प्रभाव पड़ता है। ये हस्तक्षेप करेंसी की कीमतों में उच्च अस्थिरता का कारण बन सकते हैं।

करेंसी ट्रेडिंग के फायदे
लिक्विडिटी वह सुविधा है जिसके साथ आप बाजार में अपनी एसेट के लिए खरीदार या विक्रेता ढूंढते हैं। ट्रेडिंग वॉल्यूम जितना अधिक होगा, लिक्विडिटी उतनी ही अधिक होगी और आपके ट्रेड के सफल होने की संभावना भी ज्यादा होगी। फॉरेक्स मार्केट को दुनिया में सबसे अधिक लिक्विड फाइनेंशियल मार्केट कहा जाता है। इसका मतलब यह भी है कि बहुत अधिक प्राइस मूवमेंट के बिना बड़ी मात्रा में करेंसियों को खरीदा या बेचा जाता है। दुनिया भर के ट्रेडर, बड़े और छोटे, आसानी से करेंसियों में ट्रेड कर सकते हैं, जिससे फॉरेक्स सभी निवेशकों के लिए वास्तव में सुलभ मार्केट बन जाता है। मुद्रा बाजार के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि कोई एक इकाई इसे नियंत्रित नहीं करती है। दुनिया भर से कई प्रतिभागी इस बाजार को तैयार करते हैं, यही वजह है कि एक खिलाड़ी/ मुट्ठी भर निवेशक यहां कीमतों में हेरफेर नहीं कर सकते हैं। करेंसी मार्केट किसी को भी ट्रेड करने और आगे बढ़ने की सुविधा देती है। आपको किसी विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। केवल एक रजिस्टर्ड ब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोलें, कुछ शुरुआती पूंजी जमा करें और ट्रेड शुरू करें। आॅनलाइन ट्रेडिंग ने चीजों को सरल बना दिया है, जिससे आपको डेटा कनेक्शन की मदद से फॉरेक्स मार्केट तक आसानी से एक्सेस मिल जाता है। फॉरेक्स मार्केट आयातकों और निर्यातकों को एक खास सुविधा देती है।

जिन लोगों की कमाई विदेशी विनिमय दर पर निर्भर करती है, उन्हें प्रतिकूल फॉरेक्स रेट मूवमेंट के खिलाफ हेजिंग का मौका मिलता है। करेंसी मार्केट के मुख्य लाभों में से एक यह है कि ट्रेडर्स को बाजार के हाई और लो दोनों में ट्रेड करने की सुविधा मिलती है। ट्रेडर्स आर्बिट्राज करके भी पैसा कमा सकते हैं। जैसा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज आदि में करेंसी डेरिवेटिव का कारोबार होता है। आम तौर पर इन एक्सचेंजों पर समान करेंसी कॉन्ट्रैक्ट की कीमतों में मामूली अंतर होता है, जिससे लाभ का अवसर पैदा होता है। करेंसी ट्रेडिंग का विचार आपको उत्साहित कर सकता है। लेकिन जोखिम यहां भी है। इसलिए निवेश से पहले जोखिम को जरूर ध्यान में रखें।

स्मार्टफोन से निवेश
अधिकतर फॉरेक्स ब्रोकर्स आज ट्रेडर्स को अपने स्वामित्व वाले आॅनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं जो लेटेस्ट तकनीक से लैस होते हैं। अपने स्मार्टफोन के साथ अपने ट्रेडिंग खाते तक एक्सेस और सेकंडों में आॅर्डर देकर दुनिया भर में करेंसी मूवमेंट पर रीयल-टाइम डेटा प्राप्त करना कुछ ऐसे फायदे हैं जो तकनीक के सहारे मिलते हैं। तकनीकी प्रगति ने ऐसे प्लेटफॉर्म प्रदान करके करेंसी मार्केट को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है जिस पर अधिक लोग ट्रेड कर सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म अनुभवी और शौकिया ट्रेडर्स, दोनों की इच्छा को पूरा करते हैं। बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा का फॉरेन एक्सचेंज रेट पर प्रभाव पड़ता है। टेक्नोलॉजी की प्रगति ने सिम्प्लिफाइड ट्रेडिंग टूल्स के माध्यम से विदेश व्यापार को काफी आसान बना दिया है। कुछ सॉफ्टवेयर अब सट्टा (बहुत लाभ की आशा से ट्रेड करने वाले) खरीदारों को सुविधा देते हैं, जबकि अन्य एक ट्रेडर के जोखिम को निर्धारित कर सकते हैं। और से सारी चीजें केवल एक स्मार्टफोन और इंटरनेट की मदद से संभव हैं।

Topics: अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणालीअमेरिकी डॉलरट्रेडिंग स्टाइलकरेंसी मार्केट शेयर बाजारभारत की अर्थव्यवस्थाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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