देहरादून में पाञ्चजन्य का दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें वक्ताओं ने बताया कि उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों के चारों ओर मुस्लिम आबादी बस गई है। हरिद्वार, ऋषिकेश और अब आगे पहाड़ों पर ये आबादी अन्य धार्मिक स्थलों की तरफ बढ़ रही है।
देहरादून संवाद कार्यक्रम में हरिद्वार से आये पत्रकार और तीर्थ पुरोहित समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले अविक्षित रमन ने कहा हम पिछले कई सालों से हरिद्वार प्रशासन का ध्यान इस ओर दिला रहे हैं कि ये कौन लोग हैं जोकि गंगा किनारे अवैध रूप से झोपड़ियां डाल कर बस गए हैं। वोट बैंक की लालच में राजनीतिज्ञ इस मामले में चुप हो जाते हैं। आज ये हालात हो गए हैं कि हरिद्वार के कुम्भ क्षेत्र में ही हजारों बाहरी लोग आकर बसे हए हैं। ये बिजनौर नजीबाबाद के नहीं हैं, इनकी भाषा अलग है ये रोहिंग्या और बंग्लादेशी मूल के लोग हैं। उन्होंने कहा कि हरिद्वार नगर निगम का “बाइलॉज “कहता है कि यहां गैर हिन्दू ज़मीन या संपत्ति नहीं खरीद सकता और ये खरीद नहीं रहे बल्कि नदी-जंगल की जमीन पर अवैध कब्जे कर रहे हैं। रमन कहते हैं कि हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा जनसंख्या अंसतुलन हुआ है।
राज्य समीक्षा के पत्रकार शैलेश नौटियाल कहते हैं कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के साथ साथ मुस्लिम आबादी के नियंत्रण के लिए जनसंख्या नियंत्रण की भी बेहद जरूरत है। समाज सेवी डॉ कुलदीप दत्ता ने कहा कि एक योजनाबद्ध तरीके से हिमालय शिवालिक की तलहटी में मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है। उत्तराखंड, असम, बंगाल, बिहार इसके उदारहण हैं। दत्ता ने ये भी कहा कि अंग्रेजों ने ऋषिकेश और हरिद्वार में गैर हिंदुओं के बसने पर रोक लगाई थी तो अब हमारी सरकार क्यों नहीं लगा सकती।
देहरादून संवाद में सभी वक्ता इस बात को लेकर चिंतित थे कि जिस तरह से राज्य में रोहिंग्या और बंग्लादेशी मूल के लोगों की घुसपैठ हो रही है। वो एक दिन उत्तराखंड की राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक दशा और दिशा बदल देगी। कार्यक्रम में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और अन्य वरिष्ठ सहयोगी भी मौजूद रहे, जिन्होंने उत्तराखंड की इस विकराल रूप लेती समस्या को करीब से समझा। कार्यक्रम का संचालन पाञ्चजन्य के उत्तराखंड ब्यूरो दिनेश मानसेरा ने किया।
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री
देहरादून संवाद के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष जब ये विषय रखा गया तो उन्होंने कहा कि यहां जो लोग बाहर से आए हैं, हमने उनका सत्यापन का अभियान शुरू कराया है। संदिग्ध लोगों की पहचान जरूरी है। इस मामले में जो भी सख्त कदम उठाने होंगे, राज्य सरकार उन्हें जरूर उठाएगी।
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