नेपाल-भारत के बॉर्डर पर विभाजन करती शारदा और अन्य सहायक नदियों के किनारे बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी की बसावट हो रही है। खबर है कि ये रोहिंग्या मुस्लिम हैं, जिन्हें बर्मा और बांग्लादेश से खदेड़ा गया है।खास बात ये है कि इन्हें बसाने में नेपाल की मुस्लिम संस्थाएं सक्रिय हैं।
भारत-नेपाल के उत्तराखंड और यूपी बॉर्डर पर रोहिंग्या मुस्लिमों की बसावट किये जाने की जानकारी सामने आ रही है। खबर है कि खनन करने वाले ये मजदूर रोहिंग्या हैं और ये यहां झोपड़ियां झाले डालकर ‘नो मेंस लेंड’ बस रहे हैं। जब नदी में खनन नहीं होता है तो ये नेपाल में जाकर फसल, सब्जी फल काटने की मजदूरी करते हैं और धीरे-धीरे वहीं डेरा डाल रहे हैं। अपनी असल पहचान छुपा कर ये लोग उर्फ हिन्दू नामों का सहारा लेकर काबिज हो रहे हैं। जैसे किसी का नाम इदरीस है तो वो अपना नाम यहां भोला बताता है।
नेपाल में भारत से लगे सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम जाकर अपनी बसावट कर रहे हैं, कुछ माह पहले म्यामांर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों की एक बस्ती होने की खबर पता चली थी। नेपाल के खुफिया अधिकारियों ने इस बारे में जांच पड़ताल की तो जानकारी में आया कि ये बंगाल और बिहार के रास्ते नेपाल में आकर बसे थे। नेपाल ने इन सभी को अपने यहां से निर्वासित कर दिया था। बताते हैं कि ये लोग भारत-नेपाल के बीच बहने वाली नदियों में नो मेन्स लैंड पर झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं और नदियों में खनन मजदूरी कर रहे हैं। भारत के यूपी के इलाकों से नेपाल के क्षेत्रों में भी ऐसे लोग 2019 से लगातार आकर बस रहे हैं। ये लोग पहले मजदूरी करने या बाग बगीचों की फसल को खरीदने के बहाने नेपाल आते हैं फिर यहीं टीन शेड डालकर बस जाते हैं।
नेपाली पुलिस ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों की भी पहचान की है। अब वो इन्हें म्यांमार वापस भेजती है तो इनकी जटिल कानूनी अड़चने उन्हें झेलने पड़ रहे है क्योंकि म्यांमार में सैनिक हुकूमत है और वहां की फौजी सरकार खुद ही रोहिंग्या मुस्लिमों को अपने देश से बाहर करने के संरक्षण में लगी हुई है। खबर है कि नेपाल में इस्लामी संघ नेपाल नाम की संस्था, मुस्लिम वर्ल्ड लीग और ओग्रेनाइजेशन वर्ल्ड असेम्बली ऑफ मुस्लिम यूथ नाम की ये तीन संस्थाएं सक्रिय हैं, जो योजनाबद्ध तरीके से नेपाल-भारत की नदियों की दोनों तरफ मुस्लिम रोहिंग्या आबादी को बसाने में लगे हैं। ऐसी भी खबर है इन्हें पीछे से पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई मदद कर रही है। ये संस्थाएं नो मेन्स लैंड पर मुस्लिमों को बसाकर मस्जिद और मदरसे स्थापित करने का काम भी साथ-साथ कर रही हैं। उत्तराखंड से लगे कंचनपुर और कैलाली जिले में ताजा जनसंख्या आंकड़े, आंखे खोल देने वाले हैं कि यहां के मूल निवासी माने जाते गोरखा आबादी में 2012 से 2022 के दौरान कमी आ गयी है और यहां मुस्लिम आबादी में करीब चार प्रतिशत की वृद्धि सामने आई है।
नेपाल के प्रधानमंत्री को भी है जानकारी
नेपाल-भारत सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी से नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भी चिंतित हैं। उन्होंने अपना पिछला चुनाव भी इसी मुद्दे पर लड़ा था कि वो नेपाल को फिर से हिन्दू राष्ट्र का दर्जा देंगे। हाल ही में जब देउबा भारत के दौरे पर आए तो पशुपति नाथ से काशीनाथ के जय घोषों के बीच यही संदेश दिया गया कि भारत-नेपाल में हिंदुत्व विचार चाहता है। पीएम देउबा का बनारस में भगवान काशीनाथ की पूजा करना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वार्ता करना इस ओर संकेत करता है कि नेपाल भी हिंदुत्व की राह पर फिर से आगे बढ़े।
नेपाल में बढ़ती मुस्लिम आबादी
जानकारी के मुताबिक नेपाल में मुस्लिम आबादी भी तेजी से बढ़ रही है। 2006 में हिन्दू राष्ट्र से धर्म निरपेक्ष देश बनने के वक्त नेपाल में मुस्लिम आबादी करीब चार प्रतिशत थी, जो अब 5 प्रतिशत से ज्यादा हो रही है। कुरान नेशनल न्यूज़ एजेंसी के अनुसार नेपाल में मुस्लिम आबादी तेज़ी से बढ़ रही है। इस्लामिक सोसाइटी नेपाल के अध्यक्ष खुर्शीद आलम कहते हैं कि दो करोड़ छियासी लाख की नेपाल की आबादी में अब 12 लाख से ज्यादा मुस्लिम हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक ज्यादातर मुस्लिम भारत से लगे नेपाली तराई इलाके में बसे हैं और यहां और भी तेजी से बसावट हो रही है।
सिद्धार्थनगर में भी सूचनाएं
यूपी के सिद्धार्थ नगर की पुलिस और जिला प्रशासन को 22 सदिंग्ध मुस्लिमों की सूची नेपाल प्रशासन ने साझा की है। खबर है कि ये लोग 2015 में दिहाड़ी मजदूरी करने नेपाल जाते थे और अब ये नेपाल और भारत में आलीशान कोठियों और संपत्ति के मालिक बन गए हैं। डीएम सिद्धार्थनगर ने आयकर विभाग को इन संदिग्ध लोगों के बारे में सूचनाएं साझा की है। खबर है कि ये लोग नेपाल और भारत में मजदूरों को काम दिलाने के नाम पर मुस्लिम लेबर को बसाने का धंधा कर रहे हैं।
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