राजस्थान में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। कट्टरपंथी मुसलमानों के भय से हिंदू पर्व-त्योहार भी नहीं मना पा रहे हैं। कई दंगों में पीएफआई की संलिप्तता उजागर हुई है। इसके बावजूद कांग्रेस की गहलोत सरकार मुसलमानों का पक्ष लेती है और जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मुख्यमंत्री अपनी राय दे देते हैं। करौली में नवसंवत्सर पर भड़के दंगे पर भी उनका बयान जांच को प्रभावित करने वाला है
राजस्थान में हिंदू समाज कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का शिकार हो रहा है। बीते कुछ वर्षों के दौरान सूबे में हिंदुओं के त्योहार और धार्मिक शोभायात्राओं पर मुसलमानों द्वारा हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पिछले डेढ़ साल में ऐसे करीब 269 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें हत्या, मारपीट, लव जिहाद, अनुसूचित वर्ग पर अत्याचार, अपहरण, दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं। आलम यह है कि सूबे के कई इलाकों में हिंदू समाज खुल कर अपने तीज-त्योहार भी नहीं मना सकता हैं। चाहे टोंक जिले के मालपुरा की घटना हो या जयपुर में हरिद्वार जा रहे यात्रियों की बस को निशाना बनाने की घटना, चाहे जयपुर के एक प्रकाशन की पुस्तक में इस्लामिक आतंकवाद अध्याय पर बवाल हो या झालावाड़ में भड़के दंगे। सभी स्थानों पर जिहादियों ने हिंदुओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और प्रदेश के सौहार्द को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
दरअसल, राजस्थान में कई जिहादी संगठन सक्रिय हैं, जो मुस्लिम युवकों का ब्रेन वाश कर रहे हैं। उन्हें जिहादी घुट्टी पिला रहे हैं। इस कारण इस्लामी कट्टरता अब केवल मुस्लिम बस्तियों-मोहल्लों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि जिहादी अब सार्वजनिक स्थानों पर भी मनमानी करने लगे हैं। नमाज और हिजाब के बहाने कट्टरपंथी स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और पार्कों तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदू समाज की नाराजगी मोल लेने से भी नहीं हिचकते। तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति का आलम यह है कि जांच एजेंसियों की रिपोर्ट आने से पहले ही वे अपनी राय थोप देते हैं। अलवर में नाबालिग मूकबधिर लड़की से सामूहिक बलात्कार पर उन्होंने जो बयान दिया था, उसकी खूब आलोचना हुई थी। अभी करौली में हुई हिंसा पर भी गहलोत का जो बयान आया है, वह जिहादियों को ऊर्जा देने वाला है, जबकि मामले की जांच चल रही है।
शोभायात्रा पर हमला
करौली में नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में हिंदू समाज ने शोभायात्रा निकाली। इसके लिए प्रशासन से बाकायदा अनुमति मांगी गई और निर्धारित मार्ग से शोभायात्रा शुरू हुई। इसमें भगवा ध्वज लिए श्रद्धालु ‘जय श्रीराम’, ‘भारत माता की जय’, ‘वन्देमातरम्’ का उद्घोष कर रहे थे और डीजे पर भक्ति गीत बज रहा था। शोभायात्रा शाम करीब 5:15 बजे रैली फूटाकोट और गणेश गेट के बीच से गुजर रही थी। इसी दौरान हथवाड़ा में मुसलमानों ने मस्जिद और आसपास के घरों की छतों से र्इंट-पत्थरों से शोभायात्रा पर हमला कर दिया। इसके बाद नकाब पहनकर हमलावर घरों से लाठी, तलवार, सरिये और चाकू लेकर निकले और शोभायात्रा पर हमला कर दिया। देखते-देखते दंगाइयों ने हिंदुओं के 13 मकानों में आग लगा दी। हिंदुओं की 35 दुकानें लूट लीं, फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया। उन्होंने 30 से अधिक मोटरसाइकिलों और अन्य वाहनों को भी निशाना बनाया। जिहादियों के सुनियोजित हमले में चार पुलिसकर्मी सहित 45 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने मामले में हिंदू समाज के 17 लोगों को भी नामजद किया है।
हथवाड़ा बाजार, जहां दंगा हुआ, पहले इसका नाम सतवाड़ा बाजार था। यहां सातों दिन बाजार लगता था। पहले यह हिंदू बहुल इलाका था, लेकिन अब वे अल्पसंख्यक हो गए हैं। इस इलाके में मुसलमानों की आबादी 70 प्रतिशत है। इनमें अधिकांश मणियार मुसलमान हैं, जो लाख की चूड़ियां बनाते हैं। करीब एक दशक पहले तक करौली में इस्लामी कट्टरता नहीं थी। बाहर से आने वाले मुल्ला-मौलवियों ने यहां के मुसलमानों में जिहादी विष भर दिया।
पूर्व नियोजित था हमला
करौली दंगा पूर्व नियोजित था। शोभायात्रा पर हमले से एक दिन पहले एक अप्रैल को 25-35 मुस्लिम आटो चालकों ने अंशु जिम में बैठक की। इसे अंशु, अमीनुद्दीन, मौलवी बंदूक हाफिज व कांग्रेस समर्थित पार्षद मतलूब ने संबोधित किया व हमले योजना बनाई। मतलूब, मोइनुद्दीन और अंशु को दंगे का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। 2 अप्रैल को शहर में न तो कोई मुसलमान आॅटो चला रहा था और न ही रेहड़ी लगाई थी। मुसलमानों ने उस दिन दोपहर 12 बजे ही दुकानें बंद कर दी थीं। यही नहीं, हमले के लिए 150 मुसलमान पहले से ही घटनास्थल के पास एक घर में छिपे हुए थे। मतलबू और एक अन्य आरोपी फरार है। तलाशी के दौरान पुलिस व प्रशासन ने मुस्लिम घरों की छतों से टनों पत्थर और दर्जनों लाठी-सरिए, चाकू बरामद किए। धौलपुर-करौली क्षेत्र से भाजपा सांसद मनोज राजोरिया कहते हैं, ‘‘मैंने कलेक्टर व एसपी के साथ मौका मुआयना किया। कई मकानों पर पत्थरों के ढेर मिले हैं। मकानों से करीब दो ट्रॉली पत्थर निकाले गए। इन्हीं में से एक मकान के ऊपर जिम था।’’
प्रशासनिक चूक
दंगे के लिए प्रशासनिक चूक भी बड़ी वजह रही। पुलिस ने निर्धारित यात्रा मार्ग का ड्रोन से न तो सर्वेक्षण कराया, न ही जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक ने ही रैली से पहले इलाके का दौरा किया। शोभायात्रा के दौरान केवल 30 पुलिकर्मियों को तैनात किया गया। हालांकि हिंसा के आधे घंटे बाद ही अधिकारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए थे, लेकिन दंगा नहीं रोक पाए। यही नहीं, संतुलन बनाने के लिए एफआईआर में पीड़ित हिंदुओं को आरोपी बनाया गया।
नैरेटिव गढ़ने की कोशिश
हर बार की तरह करौली दंगे को लेकर भी टुकड़े-टुकड़े गैंग और अर्बन नक्सली नैरेटिव गढ़ने में लग गए हैं। मुस्लिम दंगाइयों के बचाव में सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया जा रहा है कि रास्ता बदल कर जानबूझ कर शोभायात्रा मुस्लिम मोहल्ले से निकाली गई। इसमें शामिल लोग तलवार और त्रिशूल लेकर चल रहे थे। उन्होंने मुस्लिम विरोधी नारे लगाकर मुसलमानों को उकसाया और उनकी दुकानों को आग के हवाले कर दिया। सच यह है कि षड्यंत्रकारी अभी भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए राज्य ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों से पाकिस्तानी चैनल के जरिये झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं कि एक मस्जिद पर हिंदुओं ने पथराव किया और आगजनी की।
खूंटी में मंगला जुलूस पर हमला
झारखंड के खूंटी में रामनवमी से पहले आने वाले मंगलवार को एक जुलूस निकाला जाता है, जिसे मंगला जुलूस कहते हैं। 5 अप्रैल को वहां जुलूस निकाला गया। रात के करीब नौ बजे यह जुलूस मुस्लिम इलाके आजाद नगर से गुजर रहा था, तो जिहादी तत्वों ने अचानक उस पर हमला कर दिया। इन लोगों ने अपने घर की छतों से पत्थर फेंके, जिसमें अनेक हिंदू घायल हो गए। हमला करने वालों में पुरुषों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
कब-कब हुए दंगे
- मार्च 2018 – पाली जिले के जैतारण कस्बे में हनुमान जयंती शोभायात्रा पर पथराव के बाद शहर में हिंसा भड़की। इसमें यात्री बसों सहित करीब आधा दर्जन वाहन, दुकानें और एक मॉल को आग लगा दी गई।
- अगस्त 2018 – सीकर जिले के फतेहपुर में मुसलमानों ने कांवड़ियों से मारपीट की। इसमें तीन कांवड़िये घायल हो गए। कस्बे में तनाव बढ़ने के बाद इंटरनेट बंद कर धारा 144 लगानी पड़ी।
- अगस्त 2019 – जयपुर में दिल्ली रोड स्थित गलता गेट के सामने हरिद्वार जा रही बस पर मुसलमानों की भीड़ ने पथराव किया। इसके बाद दंगा भड़का, जिसमें 9 पुलिसकर्मियों सहित 24 से अधिक लोग घायल हो गए।
- अक्तूबर 2019 – टोंक जिले के मालपुरा कस्बे के सादत मोहल्ले से गुजरने वाली दशहरे की शोभायात्रा पर पथराव। तनाव के बाद कर्फ्यू लगाया गया। रावण दहन प्रशासन को करना पड़ा।
- अप्रैल 2021 – बारां जिले के छबड़ा में हिंदुओं की दुकानों में लूटपाट व आगजनी। वाहनों के साथ तिमंजिला मिनी मार्ट में आग लगा दी गई। इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं। आज तक हिंदुओं को नुकसान की भरपाई नहीं हुई।
- मार्च 2021 – संजीव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में इस्लामिक आतंकवाद अध्याय पर पीएफआई की आपत्ति के बाद प्रकाशक ने लिखित माफी मांगी। फिर भी दुकान में तोड़फोड़ की गई। राज्य की खुफिया इकाई ने पीएफआई का हाथ होने की आशंका जताई।
दंगे में पीएफआई का हाथ!
पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) ने एक अप्रैल को ही कह दिया था कि हिंदू नववर्ष पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से राजस्थान में माहौल बिगड़ सकता है। पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शोभायात्रा के दौरान उद्घोष को प्रतिबंधित किया जाए। साथ ही, कहा था कि मुस्लिम बहुल इलाके से शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी जाए। इसके लिए वैकल्पिक मार्ग निर्धारित किया जाए। प्रश्न है पीएफआई को पहले ही कैसे पता चल गया कि प्रदेश का माहौल बिगड़ने वाला है? राजस्थान विधानसभा में उप-नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ कहते हैं, ‘‘पीएफआई की चेतावनी के बाद भी सरकार की ओर से संज्ञान नहीं लेना, स्पष्ट करता है कि पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठन, जिनके संबंध सिमी जैसे आतंकी संगठन से रहे हैं, को कांग्रेस सरकार की ओर से खुली छूट दी जा रही है। इसी तरह, मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर जिला प्रशासन ने 17 फरवरी को कोटा में हिजाब रैली निकालने की अनुमति दी थी, जिससे तनाव की स्थिति बन गई थी। इससे कांग्रेस और पीएफआई का गठजोड़ उजागर होता है।’’
गहलोत का बयान जांच को प्रभावित करने वाला
राजस्थान में बढ़ रहे मुस्लिम दंगों को रोकने में विफल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ा है। गहलोत कहते हैं, ‘‘राजस्थान में भाजपा अभी से चुनावी मोड में आ गई है। जेपी नड्डा जी के बाद अब अमित शाह जी आने वाले हैं। दंगे होना और जगह-जगह तनाव पैदा करना, ये तमाम बातें चुनावी मोड की शुरुआत है। ये रैलियां करते हैं, धर्म के नाम पर भड़काने वाले नारे लगाते हैं, डीजे बजाते हैं। ये सब कानून विरोधी काम हैं। धार्मिक जुलूस निकालने से आपको कौन रोकता है? आप आराम से निकालें, धर्म का संदेश दें, हर मत-महजब प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। कौन-सा धर्म कहता है कि आप इस तरह से नारे लगाओ कि दूसरे मजहब को मानने वालों को पीड़ा हो और वहां दंगे भड़क जाएं। यह नौबत क्यों आए?’’
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