उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से समाजवादी पार्टी के विधायक प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की बदली राह अब नए मोड़ पर है। बीते एक हफ्ते में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को ट्विटर पर फालो करने के साथ ही राम भक्ति की ओर अग्रसर शिवपाल सिंह यादव ने अब अपने ट्विटर हैंडल का कवर पेज ही बदल दिया है। शिवपाल सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जुड़ाव में बदलाव का स्पष्ट संकेत देते हुए ट्विटर हैंडल पर नई तस्वीर में ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर लगाई और कैप्शन में लिखा, हैं तैयार हम। ब्लैक एंड व्हाइट प्रोफाइल तस्वीर से लोग उनके भविष्य के एक्शन के बारे में अनुमान लगा रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पहली बार शिवपाल सिंह यादव ने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से नाराजगी जाहिर की है।
मुलायम को लेकर पहली बार नाराज दिखे शिवपाल
दरअसल शनिवार शाम इटावा में पत्रकारों से बात करते हुए शिवपाल ने कहा, अच्छे दिन जल्द आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वह बहुत जल्द अपनी राजनीतिक योजनाओं के बारे में जानकारी साझा करेंगे। कुछ पत्रकारों ने जब शिवपाल यादव से सवाल किया कि मुलायम सिंह यादव भी आए हुए हैं, क्या आप उनसे मिलेंगे? इस सवाल के जवाब में शिवपाल ने सबको चौंकाते हुए तपाक से कहा, ”आप जाकर मिल लो।” अखिलेश से पहले भी शिवपाल का झगड़ा हुआ है, लेकिन उस दौर में भी शिवपाल और मुलायम के बीच प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवपाल यादव इस बात को लेकर खफा हैं कि उनका जब भी भतीजे से टकराव हुआ है, मुलायम पुत्र मोह से ही बंधे दिखे हैं, जबकि शिवपाल ने दशकों तक मुलायम के साथ मिलकर जमीन पर मेहनत करके सपा को मजबूती दी थी।
इस कारण मुलायम से नाराज है शिवपाल
मुलायम के साथ दिन-रात एक कर सपा के लिए जमीन तैयार करने वाले शिवपाल यादव इस बार मुलायम सिंह से बीते विधानसभा चुनावों को लेकर नाराज नजर आ रहे है। दरअसल शिवपाल यादव 2022 विधानसभा चुनाव में अपना दमखम दिखाने को पूरी तरह तैयार थे। उन्होंने करीब 100 सीटों पर उम्मीदवार भी तय कर लिए थे। लेकिन अंत समय पर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अखिलेश का साथ देने को कहा। शिवपाल यादव ने भी मुलायम सिंह की बात का सम्मान रखते हुए सपा से गठबंधन कर अखिलेश को सीएम बनाने के लिए अपनी पार्टी कुर्बान कर दी। लेकिन अखिलेश ने चाचा शिवपाल को अंत समय तक गुमराह रखा और फिर बाद में उन्हें सिर्फ एक सीट दी वह भी शिवपाल की अपनी जसवंतनगर सीट जिस पर शिवपाल का पहले से ही दबदबा कायम है। वहीं अखिलेश ने शिवपाल को सपा के चुनाव चिह्न पर ही लड़ने को मजबूर किया। जिसका दर्द चुनाव प्रचार के दौरान ही कई बार शिवपाल की जुबान पर आ गया था। उन्होंने कहा था कि बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्होंने अपनी पार्टी कुर्बान की, लेकिन उन्हें महज एक सीट दी गई।
समाजवादी पार्टी के सिंबल पर इटावा के जसवंतनगर के जीते शिवपाल सिंह यादव को भरोसा था कि उनको समाजवादी पार्टी का विधायक माना जाएगा, लेकिन जब उनको समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया तो फिर उन्होंने भी अपनी अलग राह चुनने का मन बना लिया।
बीजेपी के रास्ते राज्यसभा जा सकते है शिवपाल
बरहाल शिवपाल के अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के साथ अपने सभी संबंध तोड़ने और उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन या विलय का विकल्प चुनने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हाल ही में शिवपाल यादव ने ट्विटर पर पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को फॉलो करना शुरू किया। इसके बाद चैत्र नवरात्रि में अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम का दर्शन करने की इच्छा भी जताई। बता दें कि कि उत्तर प्रदेश से इसी वर्ष जुलाई में राज्य सभा की 11 सीटें खाली हो रही हैं। इसमें से 7 से 8 सीटों पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है। अब कयास ये लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल यादव भाजपा की मदद से राज्यसभा जा सकते हैं। जिसके बाद जसवंतनगर सीट से अपने बेटे आदित्य यादव को मैदान में उतार सकते हैं शिवपाल।
अपर्णा के बाद मुलायम परिवार से शिवपाल की नई धारा
बरहाल ट्विटर हैंडल पर शिवपाल की नई तस्वीर नए कदम बढ़ाने का साफ संकेत है। उनके इस संकेत से तो लग रहा है कि उनकी राहत अब भतीजे यानी अखिलेश यादव से जुदा होने जा रही है। लगता है कि सयासी मजबूरी ने खून और परिवार के रिश्तों को बेगाना बना दिया है। शिवपाल सिंह यादव ने ट्विटर पर अपना कवर पेज बदल कर बड़े सियासी बदलाव के संकेत दे दिए हैं। उनके इस कदम से तो लग रहा है कि मुलायम सिंह यादव के परिवार से अपर्णा के बाद अब एक और सियासत की नई धारा निकलने वाली है।
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