भारत में श्वेत क्रांति जारी है। पशु नस्ल सुधार के साथ आधुनिक तरीके से पशुपालन के कारण देश में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। 6 वर्ष में भारत का दूध उत्पादन 35.04 प्रतिशत बढ़ कर 20 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच गया। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोकसभा में जब यह जानकारी दी तो महसूस हो रहा था कि दूध के मामले में अपना देश विश्व का सिरमौर बन रहा है। 2025 तक भारत मेें 30 करोड़ मीट्रिक टन दूध उत्पादन का अनुमान है। 2014 से सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वदेशी नस्लों के संवर्धन और संरक्षण, गोवंश के आनुवंशिक उन्नयन, दूध उत्पादन और गोवंशों की उत्पादकता में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन दूध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इससे डेयरी किसानों के लिए दूध उत्पादन अधिक लाभदायक हो गया है।
दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर
वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश 31.36 मिलियन टन के साथ देश का प्रमुख दूध उत्पादक। वित्त वर्ष 2015-16 और 2020-21 के दौरान राज्य में 18.84 प्रतिशत (4.97 मिलियन टन) दूध उत्पादन बढ़ा। प्रयागराज स्थित सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय के एमएससी कृषि के छात्र रोहित चौहान ने बताया कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है। बीते 4 साल के दौरान प्रदेश में अमूल सहित 6 बड़ी कंपनियों ने 172 करोड़ रुपये की लागत से डेयरी प्लांट लगाए हैं, जबकि 7 अन्य को स्थापित करने का काम चल रहा है। इसके अलावा, 15 निवेशकों ने इकाइयां स्थापित करने की पेशकश की है। चौहान ने बताया कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है, जो भारत के कुल दूध उत्पादन का 17 प्रतिशत से अधिक दूध उत्पादन करता है। राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दुधारू पशुओं के संरक्षण के लिए कदम उठाया है। कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद जिलों में ग्रीनफील्ड डेयरी स्थापित की जा रही हैं, जबकि झांसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज में चार पुरानी डेयरी को अद्यतन किया जा रहा है।
यही नहीं, राज्य सरकार ने सभी जिलों में गौ संरक्षण केंद्रों की स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और बेसहारा गायों के संरक्षण और रख-रखाव के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में कई डेयरी प्लांट शुरू हुए हैं, जिनमें पूर्वांचल एग्रीको, श्रेष्ठ फूड, देसी डेयरी, न्यू अमित फूड, क्रीमी फूड और सीपी मिल्क फूड शामिल हैं। इन्होंने गाजीपुर, बिजनौर, मेरठ, गोंडा, बुलंदशहर और लखनऊ में प्लांट लगाए हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गौ संरक्षण केंद्र और गोवंश वन विहार का निर्माण कर रही है। ऐसे 118 केंद्रों का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। निराश्रित गोवंश सहयोग योजना के तहत 66,000 से अधिक गायों को इच्छुक पशुपालकों को सौंपा गया है। साथ ही, राज्य सरकार ने गोकुल पुरस्कार और नंदबाबा पुरस्कार भी शुरू किया है। यह पुरस्कार देशी गायों के दूध के उच्चतम उत्पादक को दिया जाता है। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में 12 लाख से अधिक पंजीकृत डेयरी किसानों को के्रडिट कार्ड भी दे रही है, जिससे राज्य में पशुधन की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
हरियाणा भी पीछे नहीं
देश के कुल दुग्ध उत्पादन में हरियाणा का योगदान करीब 5.5 प्रतिशत है। राज्य में गौ पालन, खासकर स्थानीय नस्ल की गायों पर बहुत जोर दिया जा रहा है। हरियाणा डेयरी विकास संघ के अध्यक्ष रणधीर सिंह ने बताया कि साहीवाल गाय सहित देसी गायों की डेयरी पर सरकार की ओर से 25 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहस है। इसी तरह, राज्य सरकार डेयरी को भी बढ़ावा दे रही है। राज्य में देसी गायों के दूध का भाव अलग से तय किया गया है। इससे पशुपालकों का डेयरी की ओर खासा रुझान हो रहा है। नजदीकी केंद्रों पर पशुओं को चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। लगभग प्रत्येक गांव में पशुधन के नि:शुल्क इलाज के लिए चिकित्सालय की स्थापना की गई है। यहां समय-समय पर बांझपन निवारण शिविरों तथा कृमिनाशक दवा वितरण शिविर भी लगाए जाते हैं। इसमें विभाग द्वारा बड़े पशुओं में फैलने वाले घातक रोगों जैसे- मुंहखुर, गलघोंटू, ब्रुसेलोसिस तथा छोटे पशुओं, जैसे भेड़ व बकरी में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बचाव के लिए नि:शुल्क टीकाकरण किया जाता है। साथ ही, जागृति शिविर लगाकर पशुपालकों को टीकाकरण के प्रति जागरूक किया जाता है ताकि पशुधन स्वस्थ रह सके।
हिसार स्थित जिला पशु रोग निदान प्रयोगशाला में जिले भर से पशुपालकों या पशु चिकित्सकों द्वारा भेजे गए गोबर, खून, मूत्र की मुफ्त जांच की जाती है। इसके अलावा, टी.बी., जे.डी. व ब्रुशैला जैसी बीमारियों की जांच भी मुफ्त की जाती है। राज्य की मनोहर लाल सरकार गाय व भैसों में नस्ल सुधार व दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान सुविधा भी दे रही है। इस योजना के तहत उत्तम नस्ल के नन्दियों के वीर्य से गाय व भैंसों को कृत्रिम विधि से गर्भाधान कराया जाता है। इससे नस्ल सुधार के साथ दूध उत्पादन बढ़ा है। इसके लिए सरकार ने संस्था से 30 रुपये तथा घर पर सुविधा देने के लिए प्रति गर्भाधान 100 रुपये शुल्क तय किया है। इसके अलावा, राज्य सरकार गौशालाओं का पंजीकरण कराती है और अनुदान भी देती है। इसके अंतर्गत इच्छुक गौशालाओं का आवेदन पंचकूला स्थित हरियाणा गौ-सेवा आयोग भेजकर पहले उनका पंजीकरण करवाया जाता है। फिर हरियाणा गौ-सेवा आयोग तथा चेन्नई स्थित भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड से अनुदान दिलवाया जाता है।
संरक्षण और संरक्षण कार्यक्रम
हरियाणा में देसी गाय (हरियाना एवं साहीवाल) को बढ़ावा देने के लिए ग्राम स्तर पर दुग्ध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसमें पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि वितरित की जाती है। इसके अलावा, इन नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मिनी डेयरी योजना के तहत पशुपालकों को तीन या पांच दुधारू गायों की खरीद पर सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान राशि भी दी जाती है। हरियाणा की मुर्राह भैंस, जिसे काला सोना भी कहा जाता है, भंसों की सबसे उत्तम नस्ल है। सूबे के पशुपालकों को उत्तम मुर्राह दुधारू भैंस पालने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए भी ग्राम स्तर पर दुग्ध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और प्रोत्साहन राशि वितरित की जाती है। प्रतियोगिता में शामिल उच्च कोटि की भैंसों से जन्मे एक साल के कटड़ों को पशुपालन विभाग 20,000 से 30,000 रुपये या इससे भी अधिक कीमत पर खरीद लेता है। इसके बाद इन्हें हिसार स्थित राजकीय कटड़ा फार्म में रखा जाता है, जिसे बाद में इच्छुक ग्राम पंचायतों को न्यूनतम मूल्य पर दिया जाता है। यही नहीं, राज्य सरकार 50 दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी योजना चला रही है। इसके तहत बैंक से ऋण स्वीकृत होने के बाद हाईटेक डेयरी स्थापित करवाई जाती है। साथ ही, स्वीकृत ऋण की 75 प्रतिशत राशि पर लगने वाला ब्याज विभाग द्वारा लाभार्थी को दिया जाता है। इसी तरह, 3/5/10 दुधारू पशुओं की मिनी डेयरी योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों और शहरी-ग्रामीण शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को बैंकों से ऋण दिलाकर स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत लाभार्थी को 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
20 हजार करोड़ रुपये के दूध उत्पादन का लक्ष्य
हरियाणा सरकार ने सालाना 20,000 करोड़ रुपये के दूध का कारोबार करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल, राज्य में दुग्ध उत्पादन कारोबार 10,000 करोड़ रुपये का है। इसके सरकार दो लाख नए परिवारों को पशुपालन से जोड़ कर उन्हें दूध उत्पादन के लिए प्रेरित करेगी। साथ ही, हर जिले में बड़े पशु अस्पताल खोलेगी और 50 से अधिक पशु कॉल सेंटर स्थापित करेगी। दुग्ध व कृषि उत्पादों के लिए प्रसंस्करण इकाई भी लगाएगी ताकि किसानों को गांव के पास ही व्यवसाय से जोड़ा जा सके। दुग्ध उत्पादों की बिक्री के लिए वीटा के 5,000 नए केंद्र भी खुलेंगे। इसके जरिये युवाओं को व्यवसाय से जोड़ा जाएगा। 7 वर्षों के दौरान दूध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसके कारण रोजाना प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1142 ग्राम हो गई है, जो 2014 में 740 ग्राम थी। साथ ही, पशुधन बीमा योजना के लिए बीमा कंपनियों पर निर्भरता खत्म करने के लिए एक ट्रस्ट बनाएगी, जिसके तहत पशुधन का बीमा किया जाएगा। इससे भी युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
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