झारखंड के खूंटी में रामनवमी के अवसर पर निकाले गए जुलूस पर उस समय हमला किया गया जब हिंदू श्रद्धालु मुस्लिम—बहुल इलाके से गुजर रहे थे। इस हमले में मुसलमान पुरुषों के साथ—साथ बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।
—रितेश कश्यप
झारखंड में जिहादियों का दुस्साहस किस कदर बढ़ गया है उसका एक उदाहरण है खूंटी में रामनवमी से पहले निकाले जाने वाले मंगला जुलूस पर हुआ हमला। अब एक विशेष बात यह देखने को मिल रही है कि ऐसे हमलों में मुस्लिम महिलाएं और बच्चे भी शामिल हो रहे हैं।
आपको बता दें कि हर वर्ष रामनवमी से पहले आखिरी मंगलवार को हिंदुओं द्वारा मंगला जुलूस निकाला जाता रहा है। मंगलवार यानी 5 अप्रैल को पूरे झारखंड में इस तरह के जुलूस पांच स्थानों पर निकाले गए। चूंकि ऐसे जुलूस निकालने की परम्परा बहुत ही पुरानी है इसलिए इसमें लोग बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं। बच्चों के साथ—साथ महिलाएं भी शामिल होती हैं। खूंटी जैसी जगह पर इस तरह के हमले की आशंका बहुत ही कम रहती है। इसके बावजूद हमले हुए, जो एक चिंतन का विषय है।
सामाजिक कार्यकर्ता मदन मंडल कहते हैं कि खूंटी में हिंदुओं की श्रद्धा पर ही हमला नहीं किया, बल्कि जिहादियों ने सरकारी शह पर हिंदुओं को चुनौती दी है कि अब वे अपने मुहल्ले से किसी हिंदू को निकलने नहीं देंगे। यही कारण है कि रात के लगभग नौ बजे के आसपास जुलूस आजाद रोड के पास पहुंचा तो कुछ जिहादियों ने अपने घरों की छतों से पत्थरों से हमला कर दिया। इस घटना में जुलूस में शामिल कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। हमले के विरोध में 6 अप्रैल को खूंटी बंद का आह्वान किया गया तो उस समय भी अनेक जगहों पर जिहादियों ने हमले किए।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस घटना में पुलिस के काफी समझाने के बाद भी पथराव करने वाले जिहादी मानने को तैयार नहीं थे। बंद को सफल बनाने के लिए विभिन्न रामनवमी अखाड़ों से निकले हुए लोगों पर जिहादियों ने अपने घरों की छतों से ही पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। जिहादियों ने अपने घरों की छतों पर पहले से ही पत्थर इकट्ठा कर रखे थे।
इस मामले में आश्चर्य और दुख की बात यह रही कि प्रशासन ने एक भी जिहादी को गिरफ्तार नहीं किया, उल्टे तोरपा थाना क्षेत्र के दो हिंदू युवकों को ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके विरोध में तोरपा के भाजपा विधायक कोचे मुंडा थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि इस पूरे मामले में जिहादियों पर कड़ी कार्रवाई न करके पुलिस हिंदुओं को ही परेशान करने का काम कर रही है।
लोग यह भी कहने लगे हैं कि जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है तब से झारखंड में जिहादी हरकतें कुछ ज्यादा ही होने लगी हैं। आपको पता होगा कि पिछले दिनों सरस्वती पूजा के विसर्जन के दौरान हजारीबाग के बरही प्रखंड में कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों ने 17 वर्षीय रूपेश पांडे की हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे झारखंड में कई दिनों तक हंगामा होता रहा। रूपेश पांडे का दोष सिर्फ इतना था कि वह सरस्वती विसर्जन के जुलूस में शामिल होने के लिए गया था जो कट्टरपंथियों को अच्छा नहीं लगा। इस मामले में भी अब तक पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यही कारण है कि जिहादी घटनाएं चरम पर हैं।
लोगों का मानना है कि हेमंत सोरेन सरकार की तुष्टीकरण नीति से पूरा झारखंड झुलस रहा है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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