इन दिनों बिहार की राजनीति में एक ऐसी गंध महसूस की जा रही है, जो आने वाले समय में न तो इस राज्य के लिए ठीक रहेगी और न ही भारत के लिए। यह गंध हैदराबाद वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के नेता और कार्यकर्ता फैला रहे हैं। अब उनके साथ अन्य दलों के मुस्लिम नेता भी दिखने लगे हैं। इन्हें भड़काने का काम वे नेता भी कर रहे हैं, जिन्हें ‘कुर्सी’ से आगे कुछ दिखाई ही नहीं देती है। इस कारण ये लोग सदन से लेकर सड़क तक बवाल खड़ा करने के लिए बारह बहाने ढूंढते रहते हैं। इसी कड़ी में पिछले दिनों बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने संघ को लेकर गंभीर टिप्पणी की। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने एक मुस्लिम युवक की हत्या का उल्लेख करते हुए कहा था, ''संघ के कारण पूरे देश में तनाव बढ़ रहा है।''
तेजस्वी की इन टिप्पणियों का उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने जबर्दस्त विरोध किया है और कहा है कि एक देशभक्त संगठन को लेकर की गई इस तरह की निराधार बातें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस समय भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। ऐसे राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक संगठन पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। हम सब इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि तेजस्वी से पहले कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान,भाकपा माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम और एआईएमआईएम के विधायक भी संघ को लेकर आपत्तिजनक बातें की हैं।
इन लोगों ने एक मुस्लिम युवक की हत्या को बहाना बनाया है। बता दें कि 32 वर्षीय मोहम्मद खलील आलम का अधजला शव 18 फरवरी को मिला था। वह समस्तीपुर जिले के मुसरी घरारी थानान्तर्गत रूपौली गांव का निवासी था। खलील आलम के बड़े भाई मोहम्मद सितारे के अनुसार 16 फरवरी की सुबह को खलील किसी काम से घर से निकला था। शाम को जब उसकी पत्नी ने उसके नंबर पर कॉल कर उसे दूध और सब्जी लेते हुए घर आने को कहा, तब उधर से किसी अन्य ने जबाव दिया कि वह अब घर नहीं लौटेगा। इस संबंध में मुसरी घरारी थाने में 17 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। खलील जदयू का कार्यकर्ता भी था और एक एनजीओ भी चलाता था। लिहाजा पुलिस तुरंत सक्रिय हुई। पुलिस ने एक एसआईटी का गठन कर खोजबीन शुरू की। इसी दौरान कल्याणपुर थाना क्षेत्र से एक आरोपी अनुराग झा और उसके एक साथी विपुल को पुलिस ने धर दबोचा। विपुल की निशानदेही पर आलम का शव बरामद किया गया। इसके बाद तो सेकुलर और मुस्लिम नेता इस हत्याकांड को लेकर संघ विचार परिवार पर हमलावर हो गए, जबकि आरोपियों का संघ से दूर-दूर का भी नाता नहीं है। और सबसे बड़ी बात यह कि खलील आलम पर आरोप है कि उसने नौकरी लगवाने के लिए अनेक लड़कों से ठगी की थी। जब नौकरी नहीं लगी तो जिन लोगों से उसने पैसे लिए थे, वे उससे मांगने लगे। पैसे न लौटाने के कारण ही उसका अपहरण किया गया और बाद में हत्या कर दी गई। समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक हृदयकांत भी मानते हैं कि आलम की हत्या ‘मॉब लिचिंग’ नहीं है। इसके बावजूद कुछ नेता आलम की हत्या को 'मॉब लिचिंग' करार देकर विधानसभा से लेकर सड़क तक हंगामा कर रहे हैं और इसके लिए संघ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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