उत्तर प्रदेश के छठवें और सातवें चरण का चुनाव नजदीक आ चुका है। राज्य के पूर्वांचल क्षेत्र में होने वाले इस चुनाव में आतंकवाद का मुद्दा हावी हो गया है। अमदाबाद शृंखलाबद्ध विस्फोट की सुनवाई पूरी होने के बाद आतंकियों को सजा सुनाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र्र मोदी के बयान के बाद अब ‘साइकिल बम’ की चर्चा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक-दो नहीं, बल्कि आतंकी हमलों के 14 मुकदमों में समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने बहुत सारे आतंकवादियों पर से मुकदमे वापस लेने का फरमान सुना दिया था। ये लोग धमाके कर रहे थे और सपा सरकार इन आतंकवादियों पर मुकदमा तक नहीं चलने दे रही थी।’ दरअसल, जिन आतंकवादियों के खिलाफ सपा सरकार, मुकदमों को वापस लेना चाहती थी, उन्हीं मुकदमों की सुनवाई पूरी होने पर अदालत ने आतंकियों को सजा सुनाई।
जीतने का रहा है योगी का रिकॉर्डयोगी आदित्यनाथ महज 26 वर्ष की आयु में पहली बार वर्ष 1998 में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। जब वे पहली बार सांसद बने थे, तब उनकी जीत का अंतर कम था। उसके बाद हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ता ही गया। वे 2014 तक लगातार पांच बार सांसद निर्वाचित हुए। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पूरे राज्य में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई जिसमें भाजपा को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ। योगी आदित्यनाथ को विधानमंडल दल का नेता चुना गया और उन्होंने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। योगी आदित्यनाथ को अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वर्ष 2008 के सितम्बर माह में आजमगढ़ जनपद के चौक में योगी आदित्यनाथ के ऊपर जानलेवा हमला हुआ। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे। योगी आदित्यनाथ कन्वर्जन रोकने के लिए भी काफी चर्चित रहे। अपने साफ और स्पष्ट बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाले योगी आदित्यनाथ ने सफलतापूर्वक मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल पूरा किया और अब वे जनता के बीच हैं। योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। वे पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ सपा ने स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी शुभावती शुक्ल को चुनाव मैदान में उतारा है। उपेन्द्र्र दत्त शुक्ल करीब चार दशकों तक भाजपा से जुड़े थे। गोरखपुर की इस विधानसभा सीट पर भाजपा के डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल लगातार विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। |
कृषि के क्षेत्र में बड़े कदम
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आतंकवाद पर सपा की किरकिरी
बात आतंकवाद की शुरू हुई है तो सपा और बसपा के शासनकाल पर नजर दौड़ानी होगी। रामपुर जनपद में 31 दिसंबर, 2007 की रात लोग अंग्रेजी नववर्ष की तैयारी में जुटे थे, जब एके-47 जैसे स्वचालित हथियारों से गोलियां चलने लगीं। लोगों ने सोचा कि नए वर्ष के जश्न में लोग पटाखे दाग रहे हैं। मगर कुछ ही देर में मालूम हुआ कि पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर पर हमला कर दिया है। इस हमले में सीआरपीएफ के तीन हवलदार और चार सिपाहियों को जान गंवानी पड़ी। इस आतंकी घटना को अंजाम देने वाले चार आतंकियों-मो. शरीफ, सबाउद्दीन, इमरान एवं फारुख – को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई तथा जंग बहादुर खान को आजीवन कारावास एवं फहीम अंसारी को दस वर्ष की सजा सुनाई। इनमें इमरान और फारुख पाकिस्तान के, फहीम मुंबई का और सबाउद्दीन बिहार का निवासी है।
2012 में सपा सरकार बनने पर इन आतंकवादियों पर से मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया गया। जब ये खबरें अखबारों में छपीं, तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस पर सख्त टिप्पणी की थी। तब सपा सरकार को मुकदमे वापस लेने का इरादा छोड़ना पड़ा था। 12 साल तक सुनवाई चली। ढाई सौ तारीखें पडीं। 54 गवाहों में से 34 की गवाही हुई और तब इन आतंकियों को सजा सुनाई गई।
किसानों को ऋण माफी का भरोसा31 अक्तूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर के बावजूद फरवरी, 1985 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सूर्य प्रताप शाही ने विजय हासिल की थी। प्रदेश में जब पहली बार भाजपा सरकार बनी, तब शाही मंत्री बने। उन्हें गृह विभाग का दायित्व दिया गया। उसके एक वर्ष बाद शाही स्वास्थ्य विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए। वर्ष 1997 में भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2017 में जब भाजपा सरकार बनी तब सूर्य प्रताप शाही को कृषि मंत्री बनाया गया। कृषि मंत्री बनने के बाद सूर्य प्रताप शाही के विभाग में अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। अपने संकल्प पत्र में भाजपा ने वादा किया था कि किसानों का ऋण माफ किया जाएगा। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद 86 लाख लघु-सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का ऋण माफ कर सरकार ने अपना वादा निभाया। इसके लिए सरकार ने 36 हजार करोड़ रुपये का खर्च वहन किया। सूर्य प्रताप शाही के खिलाफ सपा ने ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी को उतारा है। दोनों नेता एक-दूसरे के पुराने विरोधी हैं। परिसीमन के पहले यह कसया विधानसभा सीट हुआ करती थी। परिसीमन के बाद कसया विधानसभा सीट पथरदेवा सीट हो गई है। |
हरदोई की जनसभा में प्रधानमंत्री ने यूं ही आतंकवाद के मुद्दे पर सपा को निशाने पर नहीं लिया। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ''जितने भी धमाके हुए, सब सपा के चुनाव निशान साइकिल पर रखकर किए गए और मैं हैरान हूं कि आतंकियों ने साइकिल को क्यों पसंद किया। वर्ष 2006 में काशी में संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हमला किया गया, तब उत्तर प्रदेश में सपा सरकार थी। वर्ष 2013 में सपा सरकार ने शमीम अहमद नाम के आतंकी पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने का फैसला ले लिया था। वर्ष 2007 में अयोध्या के न्यायालय परिसर में बम धमाके हुए थे। सपा सरकार ने तारिक काजमी नाम के आतंकी पर से मुकदमा वापस लेने की तैयारी कर ली मगर न्यायालय ने सपा सरकार की साजिश नहीं चलने दी और उस आतंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।’’
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सपा और बसपा पर आरोप लगाया कि इन सरकारों ने आतंकियों के साथ नरम व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि ‘सपा और बसपा को यह बताना होगा कि आतंकियों के विरुद्ध मुकदमे वापस लेकर, ये लोग किसकी मदद कर रहे थे।’ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि सपा का अमदाबाद शृंखलाबद्ध विस्फोट मामले से सीधा संबंध है। अनुराग ठाकुर ने अखिलेश यादव और सपा नेता शादाब अहमद की फोटो भी जारी की है। शादाब अहमद, आतंकी मोहम्मद सैफ का पिता है। सैफ को अमदाबाद मामले में न्यायालय ने सजा सुनाई है। शादाब के साथ अखिलेश की फोटो वायरल होने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘मैं क्यों अब्बा जान कहता था? क्योंकि मैं इन लोगों के बारे में देखा करता था। आज आतंकवादी के अब्बा के साथ फोटो पूरा देश देख रहा है।’ भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि ‘अखिलेश यादव अपराधियों एवं आतंकियों के समर्थक रहे हैं। वे जब मुख्यमंत्री थे तो अपने कार्यालय में फांसी की सजा पाए सैफ के पिता से मिले थे। अखिलेश ने मुजफ्फरनगर के आरोपी को राज्य विमान भेजकर लखनऊ बुलाया था। अखिलेश बदमाशों और आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेकर कौन-सा साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ा रहे थे।’
पूर्वांचल का विकास
पूर्वांचल का विकास भी इस चुनाव का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बसपा शासनकाल में पूर्वांचल का विकास नहीं हुआ। सपा शासनकाल में इटावा आदि कुछ खास जनपदों में विद्युत आपूर्ति की जाती थी, प्रदेश के अन्य जनपदों की जनता भीषण गर्मी में त्राहि-त्राहि करने को विवश थी। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि ‘इटावा में अगर मैं विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था नहीं करूंगा तो कौन करेगा।’ देश की पहली सल्फर मुक्त चीनी मिल का लोकार्पण किया जा चुका है तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित किया जा चुका है। पिछड़ा हुआ पूर्वांचल अब विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।
पूर्वांचल के जनपद पिछड़ेपन और माफियाओं के लिए कुख्यात हो गए थे। सपा शासनकाल में वर्ष 2006 में मऊ में दंगा हुआ था। उस समय जनता ने नारा लगाया था ‘जिस गाड़ी में सपा का झंडा, उस पर है मुख्तार का गुंडा।’ बीते दशकों में मऊ को माफिया मुख्तार अंसारी के नाम से जाना जाने लगा था। अमदाबाद विस्फोट हो या मुंबई विस्फोट काण्ड, कोई ना कोई आतंकी आजमगढ़ का जरूर निकलता था। जौनपुर, बलिया एवं गाजीपुर आदि जनपदों के लोग रोजगार के लिए दिल्ली-मुंबई आदि शहरों में पलायन करने के लिए विवश हो चुके थे।
दिग्गजों को हराने का माद्दाउपेन्द्र तिवारी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति में कदम रखा। छात्र राजनीति के बाद तिवारी ने बलिया जनपद की फेफना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की लहर में उपेंद्र तिवारी ने सपा के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी को हराया। चुनाव हारने के बावजूद अम्बिका चौधरी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तुरंत बाद शपथ ली और राजस्व विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाये गए। उपेन्द्र तिवारी, 2017 में भी बलिया जनपद की फेफना विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए और भाजपा की सरकार में राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार बनाये गए। तिवारी के खिलाफ सपा ने एक बार फिर संग्राम सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। संग्राम सिंह ने पहला विधानसभा चुनाव, फेफना से 1991 में लड़ा था और पराजित हुए थे। अभी तक वे एक बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं जब मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से समझौता करके चुनाव लड़ा था। |
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद विकास की गति और तेजी से बढ़ रही है। यमुना एक्सप्रेस-वे और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पहले से ही तैयार हैं। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां पर एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा नेटवर्क है। पर्यटन विभाग ने मां विंध्यवासिनी देवी कॉरिडोर के विकास के लिए 140 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की है। इसका शिलान्यास हो चुका है। विंध्य क्षेत्र में मां अष्टभुजा एवं मां कालीखोह मंदिर पर्वत शृंखला पर स्थित होने से श्रद्धालुओं को दर्शन में कठिनाई होती थी। इसे देखते हुए यूपी सरकार ने 13.14 करोड़ रुपये की लागत से रोप-वे का निर्माण कराया है। भारतीय पर्यटक सांख्यिकी के अनुसार वर्ष 2020 में भारतीय पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश, देश में प्रथम स्थान पर रहा। वर्ष 2019 में इस सम्बन्ध में राज्य का द्वितीय स्थान था। विदेशी पर्यटकों की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर था।
सरयू परियोजना के साथ ही साथ बीते साढ़े चार दशक से लटकी 18 सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण किया गया है। वर्ष 1971-72 में शुरू सरयू नहर परियोजना पर 1978 से 2017 तक कुल 5,189 करोड़ रुपए व्यय किए गए। वहीं योगी सरकार ने महज पांच वर्ष में कुल 4,613 करोड़ रुपये का व्यय कर इसे पूरा कराया। इस परियोजना से 14.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन की सिंचाई की जा सकती है जिससे लगभग 30 लाख किसानों को सीधा लाभ होगा। इस परियोजना में शामिल बड़ी-छोटी 992 नहरों की कुल लंबाई 6,623 किलोमीटर है। इसमें से वर्ष 1978 से 2017 तक 2 हजार किलोमीटर की लंबाई में 290 नहरों पर ही काम पूरा हुआ था जबकि 2017 से वर्ष 2021 तक 702 नहरों का कार्य पूर्ण किया गया जिनकी कुल लंबाई 4,623 किलोमीटर है।
वर्ष 2013 में सपा सरकार ने शमीम अहमद नाम के आतंकी पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने का फैसला ले लिया था। 2007 में अयोध्या के न्यायालय परिसर में बम धमाके हुए थे। सपा सरकार ने तारिक काजमी नाम के आतंकी पर से मुकदमा वापस लेने की तैयारी कर ली मगर न्यायालय ने सपा सरकार की साजिश नहीं चलने दी और उस आतंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
नरेन्द्र मोदी ने 22 जुलाई, 2016 को गोरखपुर खाद कारखाने का शिलान्यास किया। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा में तेजी से कार्य शुरू कराया और बीते 7 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री ने इस खाद कारखाने का लोकार्पण किया। इसके निर्माण पर करीब 8 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इसकी उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इससे पूर्वांचल के साथ ही बिहार व राज्य से लगे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। खाद आयात करने पर जो विदेशी मुद्रा का दबाव था, वह कम होगा।
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