उत्तराखंड में इस बार वोट प्रतिशत 65.10 रहा, जबकि 2017 में 65.64 प्रतिशत मत पड़े थे। अभी सरकारी कर्मचारियों जो पोलिंग ड्यूटी पर गए और पोस्टल बैलेट वोटों का प्रतिशत जोड़ा जाएगा तो पिछले बार के करीब ही मतदान होने की तस्वीर सामने आएगी।
उत्तराखंड में मतदान किसके पक्ष में ज्यादा या कम हुआ, ये बात 10 मार्च को ही साफ हो पाएगी। मतदाताओं ने बड़ी खामोशी से वोटिंग की है, जिससे प्रत्याशियों में भी बेचैनी देखी जा रही है। राजनीतिक दलों के नेता भी तनाव में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ सीटों पर बेहद करीबी मुकाबला हुआ है। उत्तराखंड के पिछले चुनाव में भी पांच सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर एक हजार से भी कम रहा था। छह सीटों पर एक हजार से दो हजार के बीच का अंतर रहा, जबकि पंद्रह सीटों पर दो से पांच हजार से कम वोटों से हार-जीत हुई थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही होगा? इस बारे में राजनीतिक जानकरों की यही राय है।
चुनाव को करीब से देखने वाले मनमोहन भट्ट कहते हैं कि इन चुनावों में आम आदमी पार्टी, बसपा, सपा को जो भी वोट मिलेगा वह कांग्रेस और बीजेपी का गणित बिगाड़ देगा। भट्ट का मानना है कि चुनाव बहुत करीबी हुआ है। एक तरफ बीजेपी को मोदी का सहारा था दूसरी तरफ कांग्रेस एंटी इनकम्बेंसी से चुनाव में सफलता की उम्मीदें रही हैं। पिथौरागढ़ के पत्रकार कोमल मेहता बताते हैं कि बीजेपी सरकार की वापसी होगी। उनका मानना है कि मोदी फैक्टर, पहाड़ों में असरदार रहा है। हरिद्वार के चुनावी विश्लेषक अविक्षित रमन बता रहे हैं कि मैदानी क्षेत्रों में हरिद्वार और उधमसिंह नगर में ध्रुवीकरण के आधार पर मतदान हुआ, जबकि देहरादून जिले में सरकार विरोधी माहौल देखा गया।
राजनीतिक समीक्षक योगेश राणा कहते हैं कि मत प्रतिशत पिछली बार के बराबर ही है। इसलिए बीजेपी की राह आसान दिख रही है। राणा का कहना था कि यदि मत प्रतिशत ज्यादा हो तो सरकार विरोधी वोट पड़ना माना जाता है। नैनीताल जिले में लालकुआं सीट पर कांग्रेस के हरीश रावत और बीजेपी के मोहन बिष्ट में कड़ा मुकाबला हुआ है। हरीश रावत भी ये कहते हैं कि मतदाताओं के मन की थाह लेना कोई आसान नहीं है। बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ इसमें फेल हो जाते हैं। रावत कहते हैं कि जनसभाओं की भीड़ के आधार पर उनका मानना है कि कांग्रेस सत्ता में आ रही है। जब उनसे ये पूछा गया कि भीड़ तो बीजेपी की जनसभाओं में भी थी तो वो बगले झांकने लगते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं की मेहनत और मतदाताओं के जनसमर्थन से इस बार बीजेपी की सरकार में वापसी हो रही है। मोदी जी के प्रति लोगों का विश्वास बीजेपी को सत्ता में ला रहा है। बहरहाल दस मार्च तक सभी राजनीतिक दलों को नींद नहीं आने वाली है। चुनाव परिणाम ही राजनेताओं के भविष्य को तय करते हैं। इस बार मुकाबला रोचक है।
मतदान प्रतिशत उत्तराखंड में
2000 | 54.34 |
2007 | 63.10 |
2012 | 66.85 |
2017 | 65.64 |
2022 | 65.10 |
मतों की हिस्सेदारी
चुनाव | 2002 | 2007 | 2012 | 2017 |
बीजेपी | 25.45 | 31.90 | 33.13 | 46.51 |
कांग्रेस | 26.91 | 29.59 | 33.79 | 33.49 |
बसपा | 10.93 | 11.76 | 12.19 | 6.98 |
अन्य | 16.30 | 10.81 | 12.34 | 10.04 |
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