चुनाव जब घोषित हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी अपने भाषणों में विकास की बात करते थे। साथ ही वो राष्ट्रवाद के विषय पर बोलते हुए सैनिक परिवारों के स्वाभिमान की बात जरूर करते थे। ये महसूस किया गया कि वो शुरू में हिंदुत्व की बात करने में हिचक महसूस करते थे। सम्भवतः वो प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं इसलिए विवादास्पद मुद्दे से बचते रहे।
उत्तराखंड में राजनीति तुष्टीकरण की शुरुआत कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और सहसपुर के मुस्लिम नेता अकील अहमद के बयान से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने उन्हें वायदा किया है कि कांग्रेस सरकार आने पर सेलाकुई में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी। इस बयान के आते ही बीजेपी को एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो अभी तक शांत बैठे हुए थे वो भी कांग्रेस पर हमला बोलकर,उनकी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति पर सवाल उठाने लगे। धामी ने जहां जहां भी जनसभाएं की वहां उन्होंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे को उठाया। गृह मंत्री अमित शाह जब उत्तराखंड आये तो उन्होंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साथ साथ पिछली हरीश रावत की सरकार में जुम्मे की नमाज की छुट्टी करने के विषय को उठाकर, कांग्रेस पर एक और तुष्टीकरण का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री मोदी जब श्रीनगर, अल्मोड़ा और रुदपुर जनसभा करने आये तो उन्होंने भी इशारों इशारों में कांग्रेस को विश्वविद्यालय बनाने पर घेर दिया और कहा कि कांग्रेस ने न जाने क्या क्या वोटो के लिए किया।
श्री मोदी ने हरिद्वार हरकी पैड़ी की गंगा की धारा को कांग्रेस ने नहर घोषित करने पर भी सवाल उठाए और केदारनाथ बद्रीनाथ धाम में विकास कार्यों में रोड़े अटकाने के आरोप लगाए। कांग्रेस ने जब मुस्लिम तुष्टीकरण की बात कही तो बीजेपी ने बद्री केदार हरिद्वार की बात करके कांग्रेस को हिन्दू विरोधी साबित करने में कोई कसर नही छोड़ी। चुनाव प्रचार से दो दिन पहले बीजेपी ने अपना दृष्टि पत्र सबके सामने रखा और उसमे पहला बिंदु यही था कि देव भूमि में जनसंख्या असंतुलन पर सरकार एक मजबूत भू कानून बनाएगी,बाद में पीएम मोदी ने अपनी जनसभा मे भी कहा कि देव भूमि के स्वरूप से छेड़छाड़ की इजाजत किसी को नही दी जाएगी। उनका इशारा साफ था कि देव नगरों में जिस तरह से अल्पसंख्यक आबादी बढ़ रही है उससे सरकार को चिंता है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टिहरी आकर अपने सम्बोधन में कांग्रेस को तुष्टीकरण की राजनीति करने पर घेरा। वो साफ साफ कह गए कि कांग्रेस ने मन बना लिया है कि वो हिन्दू विरोधी है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने एक ओर घोषणा कर दी कि वो सरकार में वापसी करेंगे तो पहला काम यूनिफार्म सिविल कोड बिल लाने का करेंगे। बीजेपी का ये मास्टर स्ट्रोक बुद्धिजीवी वर्ग में असरदार साबित हो रहा है। गोआ में ये बिल लागू है उत्तराखंड में समान नागरिक कानून लागू होने से तुष्टीकरण की राजनीति पर रोक लगेगी।
कांग्रेस ने चारधाम चार काम का चुनावी अभियान चलाया लेकिन उसमे विकास का और पूर्व सैनिक कल्याण का कहीं जिक्र नही किया जबकि बीजेपी ने उत्तराखंड में चल रही एक लाख चालीस हजार हज़ार रु की योजनाओं का लेखा जोखा सामने रख दिया और ये भी मतदाताओं को बताने की कोशिश की है कि यदि डबल इंजन की सरकार नहीं आयी तो इन योजनाओं का क्या हाल होगा, ऐसा वो पिछले अनुभवों के आधार पर सोच विचार कर लें।
बरहाल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले बने माहौल में बीजेपी की हवा बनती दिख रही है,कांग्रेस भी संघर्ष की स्तिथि में है उसकी ये हालात सिर्फ एक अकील अहमद के बयान से हुई जहां से कांग्रेस की उल्टी गिनती शुरू हुई।
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