प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 फरवरी को पंजाब में रैली करेंगे। इसी दिन वे मिशन पंजाब की शुरुआत करेंगे। वे जालंधर में 2 बजे चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। चुनाव की घोषणा के बाद पंजाब में प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली फिजिकल जनसभा होगी। इसकी जोरदार तैयारियां भाजपा की ओर से की जा रही हैं। पिछली बार 5 जनवरी को फिरोजपुर की रैली सुरक्षा में चूक की वजह से रद्द हो गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को लुधियाना की 6 विधानसभा सीटों के मतदाताओं को वर्चुअल रैली से संबोधित किया था। लुधियाना में 18 जगहों पर उनकी वर्चुअल रैली का प्रसारण किया गया था। इसके बाद उनकी दूसरी वर्चुअल रैली को रद्द कर दिया गया था।
इस बार भाजपा पहली बार अपने दम पर पंजाब में चुनाव लड़ रही है। इसलिए प्रधानमंत्री की यह रैली महत्वपूर्ण है। भाजपा की कोशिश है कि कम से कम इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराए। इसी को लेकर भाजपा काम कर रही है। जानकारों का कहना है कि भाजपा की नजर इस बार के विधानसभा चुनाव पर नहीं है, बल्कि भविष्य को सामने रख कर पंजाब में चुनाव लड़ रही है। इसलिए भी प्रधानमंत्री की रैली के खासे मायने हैं।
भाजपा के एजेंडे में पहली बार पंजाब इतना महत्वपूर्ण हुआ है। इसकी वजह यह है कि अभी तक भाजपा अकाली दल के साथ मिल कर चुनाव लड़ती रही है। हालांकि भाजपा के पदाधिकारियों की लंबे समय से यह मांग रही है कि यहां पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़े। इसके पीछे उनका तर्क यह है कि जब तक भाजपा अपने दम पर पंजाब के मैदान में नहीं आएगी, तब तक उन्हें इसी तरह से दूसरी पार्टियों के पीछे लग कर चुनाव लड़ना पड़ेगा। भाजपा को यह मौका तब मिल गया, जब अकाली दल ने स्वयं ही भाजपा के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया। इस तरह से भाजपा के को मौका मिल गया कि वह पंजाब में अपना दम दिखाए।
हालांकि भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के साथ गठबंधन किया है। लेकिन इस गठबंधन में भी भाजपा ने ज्यादा सीट अपने पास रखी है।
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