बीआर चोपड़ा की महाभारत में भीम का किरदार निभा कर मशहूर हुए अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती का निधन हो गया है। उन्होंने 74 वर्ष की उम्र में सोमवार रात अंतिम सांस ली। हाल ही में लता मंगेशकर का निधन हुआ और उसके बाद प्रवीण कुमार सोबती के निधन से उनके प्रसंशक आहत हैं। प्रवीण अदाकारी के अलावा खेल जगत का जाना माना नाम रहे।
6 दिसंबर 1947 को पंजाब में जन्मे प्रवीण ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने से पहले एक बेहतरीन एथलीट हुआ करते थे। प्रवीण गोला फेंक और चक्का फेंक यानी हैमर और डिस्क थ्रो में नंबर वन खिलाड़ी रह चुके हैं। खेल की बदौलत ही प्रवीण कुमार को सीमा सुरक्षा बल (BSF) में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी मिल गई थी। वह चार बार के एशियाई खेलों के पदक विजेता 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य रहे थे। और उन्होंने दो ओलंपिक खेलों (1968 मैक्सिको खेलों और 1972 म्यूनिख खेलों) में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। साल 1967 में प्रवीण कुमार को खेल के सर्वोच्च पुरुस्कार 'अर्जुन अवॉर्ड' से नवाजे गया था।
महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान ने अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती के निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए लिखा-'आज सुबह ही एक और दुःखद समाचार मिला। मेरे महाभारत के भाई प्रवीण कुमार जी हम सबको छोड़कर अनंत यात्रा पर निकल गए हैं। विश्वास नही हो रहा। पाजी, आप हमेशा हमारी यादों में रहेंगे।ओम शांति ओम शांति ओम शांति!'
प्रवीण कुमार सोबती ने साल 1981 में आई फिल्म रक्षा से अभिनय जगत में कदम रखा था। इसके बाद वह कई फिल्मों व धारावाहिकों में अभिनय करते नजर आये। लेकिन उन्हें असली पहचान मिली थी बीआर चोपड़ा के धारावाहिक महाभारत में भीम के किरदार से। इस धारावाहिक में उनके किरदार को दर्शकों ने काफी पसंद किया और वह घर -घर में काफी मशहूर हो गए। इसके बार वह कई फिल्मों में नजर आये, अमिताभ बच्चन की फिल्म शहंशाह में मुख्तार सिंह का किरदार प्रवीण कुमार सोबती ने ही निभाया था। करिश्मा कुदरत का, युद्ध, जबरदस्त, सिंहासन, खुदगर्ज, लोहा, मोहब्बत के दुश्मन, इलाका और अन्य जैसी कई फिल्मों में वह नजर आए।
बता दें कि अभिनेता प्रवीण कुमार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने पंजाब में सरकार बनाने वाली सभी पार्टियों से अपनी शिकायत जाहिर की थी। उनका कहना था कि जितने भी खिलाड़ी एशियन गेम्स खेलते हैं या मेडल जीतते हैं, उन्हें पेंशन दी जाती है लेकिन हालांकि इस अधिकार से उनको वंचित रखा गया। प्रवीण कुमार सोबती के स्कूल में हेडमास्टर ने उनकी फिटनेस देखते हुए उन्हें खेल की ओर बढ़ाया था, जिसके बाद वह प्रतियोगिताएं जीतने लगे। इसके बाद साल 1966 की कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए डिस्कस थ्रो के लिए नाम आ गया। जमैका के किंगस्टन में हुए इस गेम में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। बाद में प्रवीण ने बैंकॉक में हुए साल 1966 और 1970 के एशियन गेम्स में दोनों बार गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया।
जानकारी के अनुसार प्रवीण कुमार सोबती काफी समय से बीमार थे और आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे। उनका निधन मनोरंजन जगत की अपूरणीय क्षति है।
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