गत जनवरी को पटना में ‘पंडित रामनारायण शास्त्री स्मारक न्यास’ द्वारा आर्य श्रेष्ठ रामनारायण की स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। उल्लेखनीय है कि शास्त्री जी का जन्म व मृत्यु तथा उनकी धर्मपत्नी की भी मृत्यु 43 वर्ष पहले 24 जनवरी को ही हुई थी। तभी से इस दिन कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। इस बार के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले। उन्होंने कहा कि समाज में संवेदनशीलता को जागृत रखना चाहिए।
समाज में मूल्यों की स्थापना इसी संवेदनशीलता के कारण हुई है। राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य का आवलंबन किया और समाज में सत्य की प्रतिस्थापना हुई। मयार्दा पुरूषोत्तम राम ने पिता के वचन के लिए सभी कष्ट सहे। लोकनायक ने लोकतंत्र की स्थापना के लिए कष्ट सहे और जेल गए। उन्होंने जीवनपर्यन्त कोई लाभ का पद नहीं लिया। ऐसे श्रेष्ठ लोगों के कारण ही जीवन में मूल्यों का निर्माण हुआ।
उन्होंने कहा कि प्रकृत्ति द्वारा अच्छे कार्य किसी लाभ के बदले नहीं किए जाते। सूर्य की किरणें किसी लाभ के कारण नहीं फैलतीं। नदियां अपने दोनों किनारों को किसी लाभ के प्रयोजन से सिंचित नहीं करतीं। पुष्पों की सुरभि भी उसकी प्रकृति के कारण मिलती है।
ऐसे ही श्रेष्ठ जनों का कार्य भी किसी लाभ के कारण नहीं होता। कुछ मिलने के लिए अच्छे काम करना हमारी संस्कृति नहीं है। अच्छा काम करना हमारा धर्म है। कार्यक्रम में साहित्य सेवा के लिए कवि सत्यनारायण एवं समाज सेवा के लिए सिद्धिनाथ सिंह को सम्मानित किया गया। —संजीव कुमार
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