सुनील जगलान
आज हरियाणा राज्य जो कि एक दशक पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए भी जाना जाता था, वह आज बेटियों के सम्मान और प्यार के लिए जाना जाता है। हरियाणा राज्य के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2015 में शुरू किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से राज्य में ज़मीनी स्तर पर बदलाव आए हैं । अब हरियाणा राज्य में हर दूसरे गांव में सीनियर सेकेंडरी स्कूल व लड़कियों के कॉलेज की व्यवस्था होने के साथ, स्किल कॉलेज, महिला पुलिस थाना , सबला योजना , उज्ज्वला योजना, राशन कार्ड पर महिला मुखिया होना, प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बनने पर महिला के नाम होना, सुकन्या समृद्धि योजना सफल होना, जन धन से खाते खुलना , सेल्फ़ हेल्प ग्रुप को सहायता मिलना और महिला खिलाड़ियों के लिए दर्जनों बेहतरीन योजनाएं लागू होने से हरियाणा के लिंगानुपात में सुखद वृद्धि एव बेटियों के लिए सम्मान की भावना बढ़ने के साथ सामाजिक सुरक्षा विश्वास भी पनपा है।
मैंने बेटियों के लिए सेल्फी विद डॉटर अभियान शुरू किया था। मुझे यह प्रेरणा राष्ट्रीय बालिका दिवस पर ही मिली। 24 जनवरी 2012 को मेरी बेटी नंदिनी का जन्म हुआ। बेटी का जन्म हुआ तो अस्पताल की एक नर्स के चेहरे के भाव अजीबो-गरीब थे। अस्पताल से छुट्टी के समय जब नर्स को मिठाई बांटने के लिए दो हजार रुपये दिए तो नर्स ने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि अगर बेटा होता तो हम यह ले सकते थे। आप केवल 100 रुपए ही दे दीजिए, अगर लड़का होता तो इससे भी अधिक ले लेती। फिर रात को गांव में थाली बजी तो सबने सोचा कि सरपंच के घर बेटा पैदा हुआ है और फिर छटी पर कार्यक्रम पर लोगों द्वारा ताने देकर कहना कि ये रीत तो लड़के के लिए ही होती है और इस घटनाक्रम से बीबीपुर (जींद) से बेटी बचाओ अभियान शुरू हुआ।
पहले मैं गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर गया। वहां रजिस्टर में चेक किया तो पता चला कि बीबीपुर का लिंगानुपात बहुत खराब है। फिर देश की पहली महिला ग्राम सभा की, जिसमें पता चला कि कोख में लड़के की चाह में कन्या भ्रूण हत्याएं होती हैं। फिर बेटी बचाओ अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदलने की कोशिश की। गांव में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए खाप पंचायत की, जिसमें इतिहास में पहली बार महिलाओं ने भाग लिया। नौ जून 2015 को जब नंदिनी मोबाइल के कैमरे से सेल्फी ले रही थी तो सेल्फी विद डॉटर का आइडिया दिमाग में आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में इस अभियान का कई बार जिक्र किया।
एक बार नंदिनी ने जब पूछा कि आपका और दादा का नाम ही घर के बाहर है, हमारा नहीं तो 6 जुलाई 2015 को घर के बाहर से अपना और पिताजी का नाम हटाकर नंदिनी के नाम की नेमप्लेट लगाई और इसे अभियान बनाया। 6 साल के भीतर करीब 18 हजार नेम प्लेट ऐसी लग चुकी हैं। विभिन्न राज्य सरकारों ने इस अभियान को आत्मसात किया। जब मैंने कई मीडिया रिपोर्ट में पढ़ा कि लड़कियों को माहवारी अब 11-12 की उम्र में शुरू हो जाती है तो पीरियड चार्ट अभियान शुरू किया जो कि देश दूसरे देशों में भी पसंद किया जा रहा है।
नंदिनी अब सभी अभियानों में शामिल होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मैं भी वहीं आम पुरूष हूं, जो पितृसत्ता देखते व महसूस करते हुए बड़ा हुआ था। मैं भी कभी नहीं बदलता, अगर नंदिनी मेरी जिंदगी में विभिन्न तरह के अहसास के साथ नहीं आई होती। वह पैदा हुई तो कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का अहसास पैदा हुआ। यह सब कोई जादू नहीं है। मुझे देखिए…मुझे अहसास हुआ तो मैं बदल गया, जिस दिन दूसरे पुरुषों को अहसास होगा तो वह बदल जाएंगे।
(लेखक पूर्व सरपंच और सेल्फी विद डॉटर के फाउंडर हैं)
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