गृहमंत्री शंकरराव चव्हाण ने झारखण्ड को अलग राज्य बनाने की बात की है। आपको क्या लगता है……
…(बात काटते हुए) ये अलग राज्य थोड़े ही बन रहा है, यह तो गरीबों को लड़ाने की कोशिश हो रही है। मतलब कि अगर अलग राज्य बनाने में लोेगों को स्वर्ग में पहुंचाया जा सकता है तो फिर कर दो सबके टुकड़े-टुकड़े। उत्तराखण्ड, मिथिलांचल, गोरखालैंड-सब बना दो।
लेकिन गृहमंत्री जी ने ऐसा बयान आखिर कुछ सोचकर ही दिया होगा। इसके पीछे आप क्या राजनीति देखते हैं?
यह बड़ा भारी षड्यंत्र है, अन्तरराष्ट्रीय षड्यंत्र। विश्व के सर्वश्रेष्ठ खनिज क्योंकि इन इलाकों में पाए जाते हैं इसलिए विदेशी ताकतों की नजरें इस पर गड़ी हैं। ये विदेशी शक्तियां झगड़ा डालेंगी। यहां का काम बन्द करवा देंगी या सारा माल उड़ा कर ले जाएंगी। कांग्रेस ऐसी ताकतों को बढ़ावा दे रही है। वह चाहती है यहां भी अलग देश बनाओ का नारा लगे ताकि उसे बीच में कूदने का मौका मिल जाए और बिहार में केन्द्र का शासन लागू हो जाए।
कांग्रेस कहती है कि झारखंड मसले पर आपका स्टैंड (मत) क्लीयर (स्पष्ट) नहीं है?
अरे ई कोई बस या टेम्पो स्टैंड थोड़ी ही है कि क्लीयर कर दें। जो हम मानते हैं वह मानते हैं।
झारखंड से जुड़े लोग कहते हैं कि अलग राज्य नहीं बना तो खून की नदियां बह जाएंगी। आप कहते हैं कि मेरी लाश पर बंटवारा होगा।
कौन खून की नदी बहाएंगे? ई लोग सब गंदे नाले में बह जाएंगे, पता नहीं चलेगा। खून की नदी क्या बहाएंगे।
आखिर आप इस समस्या का क्या हल देखते हैं?
हम तो पहले ही कह चुके हैं कि स्वायत्त झारखंड विकास परिषद् का गठन हो। हम इसके लिए काउंसिल बिल भी पास कर चुके हैं। उसमें परिषद् को बहुत अधिकार दिए गए थे। लेकिन केन्द्र नहीं चाहता कि उसके पास इसने अधिकार रहें।
यदि कांग्रेस उत्तर भारत को तोड़ना चाहती है तो क्यों नहीं उत्तर भारत की गैर-कांग्रेसी सरकारें एक साथ मिलकर उसके खिलाफ खड़ी हो जातीं?
(तुनक कर) अरे, हम जो बोल रहे हैं उसे सुनिए, बाकी की बातें बाकियों से पूछिए। (संयत होकर) मतलब है कि जहां-जहां कांग्रेस ने हाथ डाला वहां-वहां स्थिति बिगड़ी, देश की हालत खराब हुई। समय रहते हम बिहार वालों को बताना चाहते हैं कि जिन राज्यों को छोटा कर दिया गया वहां भी कोई तरक्की नहीं हुई। वे राज्य भी भीख मांग रहे हैं।
खबर आई थी कि आप अपने मंत्रियों से चपरासियों जैसा व्यवहार करते हैं?
मतलब है कि खबर उल्टी छप गई होगी। अरे हम तो अपने चपरासियों से मंत्रियों जैसा व्यवहार करते हैं। आप पूछिए न इनसे। इतना कहने के बाद लालू यादव खड़े हो गए। झारखंड के अलावा दूसरे प्रश्न पूछना उन्हें शायद पसंद नहीं आ रहा था। एक अंगड़ाई ली और बोले-ओके जी.. अब सोएगा।
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