बिहार में जहरीली शराब से फिर 11 लोगों की मौत हो गई। घटना बिहारशरीफ में छोटी पहाड़ी इलाके की है। शराबबंदी के बावजूद यहां दो दिन पहले लोगों ने शराब पी और देखते ही देखते 11 लोग मर गए। मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि जहरीली शराब के कारण मौत हुई, वहीं प्रशासन ने साफ कहा कि लोगों की मौत शराब से नहीं हुई है। इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह शराब माफिया को बचा रहा है। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शराबबंदी नीति की समीक्षा भी होनी चाहिए। इसी पर जदयू के प्रवक्ता भड़क गए और उन्होंने जायसवाल पर हमला बोल दिया।
अब मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गई है। उसमें बताया गया है कि लोगों की मौत शराब से ही हुई है। यानी डॉ. संजय जायसवाल का आरोप सही निकला। अब जदयू को जवाब देना चाहिए कि शराबबंदी नीति की समीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए!
दरअसल, जदयू और भाजपा के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं। इनमें एक प्रमुख मुद्दा है जातिगत जनगणना। जदयू वर्षों से मांग कर रहा है कि जाति जनगणना हो। इस मामले में उसके साथ लालू यादव की पार्टी राजद भी है। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि लगभग 100 साल से जाति जनगणना नहीं हो रही है, इसलिए इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। यही कारण है कि जदयू के नेता इस बहाने भाजपा पर हमला करते रहते हैं। हमला करते समय जदयू के नेता यह भूल जाते हैं कि उनके नेता नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से ही मुख्यमंत्री हैं। जदयू को लगता है कि यदि भाजपा से संबंध खराब हुए तो राजद के सहयोग से सरकार बच जाएगी। यही कारण है कि जदयू के नेता कभी और किसी भी बात पर भाजपा पर हमला बोल देते हैं। यही कारण है कि जब—तब भाजपा के नेता भी जदयू को जवाब दे देते हैं।
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