आवरण कथा/कर्नाटक  :कांग्रेसी पैंतरा समाज तोड़ो, वोट लो !
May 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आवरण कथा/कर्नाटक  :कांग्रेसी पैंतरा समाज तोड़ो, वोट लो !

by
Mar 26, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 26 Mar 2018 12:12:12

राहुल-सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक बार फिर समाज को तोड़ने का कुचक्र रचा है। वोटों के लिए मनभेद खड़े करने के प्रयास किए जा रहे हैं वहीं  हिंदुत्व में विविधता को बिखराव का आधार बनाने की कोशिश

राकेश सैन  

पंचतंत्रकी एक कहानी है कि जब कोई व्यक्ति दर्जी से सुई को पगड़ी में और कैंची को पैरों में रखने का कारण पूछता है तो जवाब मिलता है कि सुई चूंकि जोड़ती है तो वह पगड़ी में सम्मान पाती है। कैंची काटने का काम करती है, विभाजन पैदा करती है सो वह पैरों में स्थान पाती है। देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने देश की 500 से अधिक रियासतों को एकजुट कर सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया। सभी जानते हैं कि देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए उन्होंने साम, दाम, दंड, भेद सहित हर नीति को अपनाया, राष्ट्रहित में उन्होंने निजी जीवन के सिद्धांतों को भी एकबारगी भुला दिया।
कांग्रेस आज राहुल-सोनिया के नेतृत्व में कैंची की भूमिका में दिखने लगी है, मतों के लिए मनभेद खड़े करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हिंदुत्व में विविधता को बिखराव का आधार बनाने का प्रयास हो रहा है। हिंदू समाज का अभिन्न अंग है शिवभक्त लिंगायत समाज, परंतु कांग्रेस की कैंची इस समाज को हिंदुत्व की मुख्यधारा से काटकर देश में बिखराव का नया बखेड़ा खड़ा करने के प्रयास में है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने हिंदू समाज के अभिन्न घटक लिंगायत समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का फैसला किया है और अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है।  
कांग्रेस ने अलगाव के बीज को खाद-पानी देकर विषबेल का रूप दिया और अब वह इस पर विभाजन के फलों की खेती के प्रयास फलीभूत करने के सपने देख रही है। अगर अलगाव के इस षड्यंत्र को रोका नहीं गया तो भविष्य में इस विभाजन की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हिंदू समाज अपने भीतर विभाजन कदापि स्वीकार नहीं करेगा और इस तरह के प्रयास करने वाले राजनीतिक दल को देशद्रोही ही मानेगा।
कौन हैं लिंगायत,क्या है मुद्दा
वीरशैव संप्रदाय या लिंगायत मत, हिन्दुत्व के अंतर्गत दक्षिण भारत में प्रचलित एक मत है। इसके उपासक लिंगायत कहलाते हैं। यह शब्द कन्नड़ शब्द लिंगवंत से व्युत्पन्न है। ये लोग मुख्यत: पंचाचार्यगणों एवं बसव की शिक्षाओं के अनुगामी हैं। वीरशैव का शाब्दिक अर्थ है-जो शिव का परम भक्त है। किंतु समय बीतने के साथ वीरशैव का तत्वज्ञान दर्शन, साधना, कर्मकांड, सामाजिक संघटन, आचार-नियम आदि अन्य संप्रदायों से भिन्न होते गए। यद्यपि वीरशैव देश के अन्य भागों—महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु में भी पाए जाते हैं किंतु उनकी सबसे अधिक संख्या कर्नाटक में है। शैव लोग अपने धार्मिक विश्वासों और दर्शन का उद्गम वेदों तथा 28 शैवागमों से मानते हैं। वीरशैव भी वेदों में अविश्वास नहीं प्रकट करते, किंतु उनके दर्शन, कर्मकांड तथा समाज सुधार आदि में ऐसी विशिष्टताएं विकसित हो गई हैं जिनकी व्युत्पत्ति मुख्य रूप से शैवागमों तथा ऐसे अंतर्दृष्टि संपन्न योगियों से हुई मानी जाती है जो वचनकार कहलाते हैं। 12वीं से 16वीं शती के बीच लगभग तीन शताब्दियों में कोई 300 वचनकार हुए हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध नाम बासव का है जो कल्याण के 12वीं शताब्दी के राजा विज्जल के प्रधानमंत्री थे। वे योगी-महात्मा ही न थे बल्कि कर्मठ संगठनकर्ता भी थे जिन्होंने वीरशैव संप्रदाय की स्थापना की। बासव का लक्ष्य ऐसा आध्यात्मिक समाज बनाना था जिसमें जाति, पंथ या स्त्री-पुरुष का भेदभाव न रहे। वह कर्मकांड संबंधी आडंबर का विरोधी था और मानसिक पवित्रता एवं भक्ति की सच्चाई पर बल देता था।
वीरशैवों का संप्रदाय शक्ति विशिष्टाद्वैत कहलाता है। वीरशैवों ने एक तरह की आध्यात्मिक अनुशासन की परंपरा स्थापित कर ली है जिसे शतस्थल शास्त्र कहते हैं। यह मानव की साधारण चेतना के अंगस्थल के प्रथम क्रम से लिंगस्थल के सर्वोच्च क्रम पर पहुंच जाने की स्थिति का सूचक है। साधना अर्थात् आध्यात्मिक अनुशासन की समूची प्रक्रिया में भक्ति और शरण यानी आत्मार्पण पर बल दिया जाता है। वीरशैव महात्माओं को कभी-कभी शरण या शिवशरण कहते हैं यानी ऐसे लोग जिन्होंने शिव की शरण में अपने आपको अर्पित कर दिया है। उनकी साधना शिवयोग कहलाती है। इसमें संदेह नहीं कि वीरशैवों के मंदिर, तीर्थस्थान आदि वैसे ही होते हैं जैसे अन्य संप्रदायों के, अंतर केवल उन देवी-देवताओं में होता है जिनकी पूजा की जाती है। जहां तक वीरशैवों का सबंध है, देवालयों या साधना के अन्य प्रकारों का उतना महत्व नहीं है जितना इष्ट लिंग का है, जिनकी प्रतिमा शरीर पर धारण की जाती है। आध्यात्मिक गुरु प्रत्येक वीरशैव को इष्ट लिंग अर्पित कर उसके कान में पवित्र षडक्षर मंत्र ओम् नम: शिवाय फूंक देता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रत्येक वीरशैव में सत्यपरायणता, अहिंसा, बंधुत्वभाव जैसे उच्च नैतिक गुणों के होने की आशा की जाती है। वह निरामिष भोजी होता है और शराब आदि मादक वस्तुओं से परहेज करता है। बासव ने इस संबंध में जो निर्देश जारी किए थे, उनका सारांश यह है-चोरी न करो, हत्या न करो और न झूठ बोलो, न अपनी प्रशंसा करो, न दूसरों की निंदा, अपनी पत्नी के सिवा अन्य सब स्त्रियों को माता के समान समझो।
इन शिक्षाओं से स्पष्ट होता है कि लिंगायत समाज किसी भी दृष्टि से हिंदुत्व से अलग नहीं है। अलगाववादी तर्क देते हैं कि लिंगायत वैदिक संस्कृति में विश्वास नहीं रखते तो उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि हिंदुत्व में इसकी बाध्यता भी नहीं है। लिंगायत समाज के हिंदुत्व से अलग होने के कोई तर्क नहीं बल्कि पीछे राजनीतिक चालबाजियां हैं, हिंदुत्व को कमजोर करने की साजिश है जिसे कांग्रेस, ईसाई मिशनरियां व जिहादी ताकतें मिलकर रच रही हैं।  देश में चल रही अल्पसंख्यकवाद की राजनीति ने ही सिख पंथ, बौद्ध संप्रदाय व जैन समाज को हिंदुत्व की मुख्यधारा से अलग किया। हिंदू धर्म के प्राण-पोषक नानक, बुद्ध व महावीर को निर्दयी राजनीति ने प्रशासनिक तौर पर अलग कर दिया। दुनिया में वैदिक धर्म की पताका फहराने वाले आर्य समाज को मुख्यधारा से काटने का प्रयास हुआ और अब वही षड्यंत्र लिंगायत समाज को लेकर होता दिख रहा है। दुर्भाग्य से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक तरफ अपने शिवभक्त होने का दावा करते हैं तो दूसरी ओर शिवभक्त समाज की जड़ों पर ही प्रहार करते दिख रहे हैं। कांग्रेस का यह विभक्तकारी कदम उसकी हिन्दू-विरोधी छवि को और दृढ़ करने का काम करेगा।  

  
मुद्दा पुराना, मुद्रा नई
  2012-13 में अखिल भारत वीरशैव महासभा के संस्थापक और कांग्रेस विधायक एस. शिवशंकरप्पा ने लिंगायत को अलग पंथ  का दर्जा देने की मांग की थी। वीरप्पा मोइली और सोनिया गांधी ने इसका समर्थन किया था, पर संप्रग सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।

 महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से एक माह पहले सिद्धारमैया की तरह ही सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि लिंगायत और वीरशैव एक हैं और इनमें कोई अंतर नहीं है।

224 में से 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव
6.5 करोड़ की आबादी वाले राज्य में लिंगायत समुदाय 17%
9 मुख्यम्ांत्री दिए हैं अब तक कर्नाटक को इस समुदाय ने  

यह था रुख
गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार आॅफ सोशल स्टडीज डिविजन के 14 नवंबर, 2013 के एक पत्र के मुताबिक, वीरशैव-लिंगायत को अलग-अलग पंथ के रूप में वर्णित करने का मामला बहुत पुराना है और विभाग ने दो से अधिक बार इसका विस्तृत मूल्यांकन किया है। सरकार ने लगातार यह विचार किया है कि वीरशैव-लिंगायत हिंदुओं का एक संप्रदाय है, न कि एक स्वतंत्र पंथ है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन

तुर्किये को एक और झटका: स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का किया आह्वान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

मिर्जापुर के किसान मुन्ना लाल मिश्रा का बेटा राजकुमार लंदन में बना मेयर, गांव में खुशी की लहर

पेट में बच्चा था… पर रहम नहीं आया! : दहेज में कार ना मिलने पर बेरहम हुआ नसीम, बेगम मरियम को मार-पीटकर दिया 3 तलाक

अमृतसर में नहीं थम रहा जहरीली शराब का कहर : दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मृतकों की संख्या, अब तक 24 की मौत

उत्तराखंड : जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में भी डेमोग्राफी चेंज, लोगों ने मुखर होकर जताया विरोध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन

तुर्किये को एक और झटका: स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का किया आह्वान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

मिर्जापुर के किसान मुन्ना लाल मिश्रा का बेटा राजकुमार लंदन में बना मेयर, गांव में खुशी की लहर

पेट में बच्चा था… पर रहम नहीं आया! : दहेज में कार ना मिलने पर बेरहम हुआ नसीम, बेगम मरियम को मार-पीटकर दिया 3 तलाक

अमृतसर में नहीं थम रहा जहरीली शराब का कहर : दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मृतकों की संख्या, अब तक 24 की मौत

उत्तराखंड : जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में भी डेमोग्राफी चेंज, लोगों ने मुखर होकर जताया विरोध

‘ऑपरेशन केलर’ बना आतंकियों का काल : पुलवामा-शोपियां में 6 खूंखार आतंकी ढेर, जानिए इनकी आतंक कुंडली

सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद, भारत सरकार का बड़ा एक्शन, तुर्किये को एक और झटका

आतंकी आमिर नजीर वानी

आतंकी आमिर नजीर वानी की मां ने कहा था सरेंडर कर दो, लेकिन वह नहीं माना, Video Viral

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies