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‘‘सहकारिता की गतिविधि प्राचीन समय में भारत से ही चली है, लक्ष्मण राव इनामदार वर्तमान में सहकार भाव के प्रणेता थे। उन्होंने 1978 में सहकार भारती की स्थापना की और सहकारिता आंदोलन को भाव के साथ आगे बढ़ाने की दिशा में प्रशंसनीय कार्य किया है। इसी भाव के साथ देश में अब सहकारिता के क्षेत्र में हम एक बड़ी छलांग लगाने जा रहे हैं। लक्ष्मण राव के भाव को आधार मानते हुए उत्तर भारत में अब सहकारिता के काम को आगे बढ़ाया जाएगा।’’ उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। वे गत दिनों गुरुग्राम स्थित एनसीडीसी के प्रांगण में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक स्वाभिमानी राष्टÑ तभी बन सकता है, जब समाज सरकार पर आश्रित न होकर आपसी सहयोग और सहकार के माध्यम से सक्षम बने। निष्क्रिय बैठे रहने और अपनी हर जरूरत के लिए सरकार की राह देखते रहने वाला समाज हमको नहीं चाहिए। स्वावलंबी व स्वाभिमानी समाज ही राष्टÑ को उन्नति की ओर ले जा सकता है। सहकारिता में स्पर्धा की बजाए सहयोग की भावना रहनी चाहिए। सहकारिता किसी पर उपकार नहीं, बल्कि किसी को स्वावलंबी बनाने का कार्य है। नई पीढ़ी स्वयं कुछ करने की सोच रखती है, उसे बस कहीं से साथ की आवश्यकता है, उनको पंख देने का काम सहकार भारती को करना है। युवा परिश्रम करने के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित केंद्रीय कृषि व सहकारिता मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि बिना संस्कारवान कार्यकर्ता के सहकार का काम नहीं हो सकता। लक्ष्मण राव इनामदार जिन्हें हम सब वकील साहब के नाम से जानते हैं, उन्होंने ऐसे ही नेतृत्व देने वाले कार्यकर्ता सहकार के क्षेत्र में तैयार किए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि लक्ष्मण राव इनामदार सहकार भारती के पहले महासचिव थे, इससे पूर्व वे गुजरात के प्रान्त प्रचारक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हीं के तैयार किये स्वयंसेवक हैं जो आज देश का मान बढ़ा रहे हैं। इस अवसर पर उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ़ बजरंग लाल गुप्त सहित सहकार भारती के कार्यकर्ता व अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे। (विसंकें, गुरुग्राम)
‘‘मुस्लिम समाज मुख्यधारा मेें समरस हो, यही चाहते थे मुजफ्फर जी’’
‘‘हिंदुस्थानी मुस्लिम समाज मुख्य धारा में समा जाए। मुस्लिम मोहल्ले मिनी पाकिस्तान नहीं, हिंदुस्थान के नाम से पहचाने जाएं, यह मुजफ्फर जी की इच्छा थी।’’ उक्त बात रा.स्व.संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने मुजफ्फर हुसैन जी को श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस्लाम आतंकवाद का नहीं, बल्कि सलामती का मजहब है। विचारवान लोगों को यह सोच समाज में रखनी चाहिये, ऐसी उनकी भावना थी। मुस्लिम समाज देशप्रेम से जुड़ जाए, इसलिये वे हमेशा कोशिश करते रहे। इसी उद्देश्य से मुस्लिम राष्टÑीय मंच की स्थापना की गई, जिसकी नींव मुजफ्फर जी ने रखी। आज मुस्लिम समाज में कट्टरतावाद का प्रभाव बढ़ गया है। संघर्ष, हिंसाचार की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे वातावरण में उनके लिखे लेख समाज के लिये आशा की किरण बनें। कोंकण प्रांत संघचालक डॉ़ सतीश मोढ़ ने भी स्व. मुजफ्फर हुसैन को श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। (विसंकें, मुंबई)
‘‘हमें लोगों को स्वावलंबी-स्वाभिमानी बनाना है’’
पिछले दिनों मुंबई के घाटकोपर विभाग की ओर से कुर्ला पूर्व की विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी में राष्टÑोत्थान सेवा संगम आयोजित किया गया। संगम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुहासराव हिरेमठ उपस्थित थे। संगम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपना कार्य समाज तक पहुंच जाए तो लोगों के मन में भी सेवाभाव जागृत हो जाता है। सेवाकार्य करते समय एक बात ध्यान में रखना जरूरी है। हमें लोगों को स्वावलंबी तथा स्वाभिमानी बनाना है। आज जो सेवा लेने वाला है, वह कल दाता बने, यह हमारा कर्तव्य है क्योंकि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि त्याग और सेवा यह भारत के आदर्श गुण हैं। जो गुण अपने स्वभाव में बसे हों, वे गुण कभी सिखाने की जरूरत नहीं होती। सिर्फ सही वक्त पर उन गुणों को उजागर करने की आवश्यकता होती है। इन गुणों की वजह से ही एक सर्वसामान्य व्यक्ति भी संकट के क्षणों में असामान्य कर्तृत्व कर जाता है। उन्होंने कहा कि यह सेवाभाव जात-पात-वर्ण-वर्ग के आधार पर नहीं, बल्कि मानवता पर आधारित है। (विसंकें, मुंबई)
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