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जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र एवं विश्व संवाद केन्द्र, देहरादून द्वारा ‘19-20 जनवरी, 1990 की वह काली रात कभी नहीं भुलाई जा सकती, जब कश्मीर घाटी से बलपूर्वक हिन्दुओं को निष्कासित कर दिया गया था’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन देहरादून में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि जो दर्द आज कश्मीर के लोग झेल रहे हैं, वह केवल उनका दर्द नहीं है, यह दर्द पूरे भारत का दर्द है और इस दर्द को पूरा भारत महसूस करता है। भारत का विभाजन 1947 में हुआ और कश्मीर से हिन्दुओं का विस्थापन 1990 में हुआ। लेकिन दोनों में मूलभूत अन्तर यह था कि विभाजन के वक्त लोगों को पता था कि हमें अपना स्थान, अपना घर छोड़ना है और फिर हम वहां कभी नहीं लौटेंगे। परन्तु जब कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन हुआ तो उन्हें यह पता नहीं था कि वे यहां वापस नहीं आएंगे। वे इस आशा से अपने घरों में ताला लगाकर आए कि वे दोबारा वापस अपने घर आएंगे, किन्तु वे आज तक अपने घर वापस न जा सके। जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के संयोजक श्री सुशील ने इस अवसर पर कहा कि जिस तरह शरीर के किसी अंग में पीड़ा होती है तो पूरे शरीर को दर्द होता है। उसी प्रकार यदि देश के किसी भाग में कोई परेशानी है तो वह उस क्षेत्र की परेशानी न होकर पूरे देश की समस्या है जिससे हम सबको एक साथ मिलकर लड़ना है और इस समस्या से अपने देश के अंग को उबारना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री निश्चिन्त दत्ता ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र मित्तल किया।
विसंकें, देहरादून
‘विदेशी आक्रांताओं ने समाज तोड़ने का किया कार्य ’
‘मकर संक्रांति के दौरान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसके बाद से दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं। समाज से धुंध, अंधकार छंटने लगता है। यह नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का पर्व है। इसीलिए राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सहभोज के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे समाज में व्याप्त छुआछूत, भेदभाव जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए सभी साथ बैठें, मन की मलिनता दूर हो, लोगों में समानता का भाव पैदा हो, समाज में समरसता का संचार हो।’ उक्त बातें प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री रामाशीष सिंह ने कहीं।
वे पिछले दिनों गोरखपुर विश्वविद्यालय की अमृता कला वीथिका में आयोजित मकर संक्रांति उत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में किसी जाति के ऊंचा या नीचा होने का सवाल कभी नहीं उठा, क्योंकि यहां जातियां ऊंची या नीची थी ही नहीं। लेकिन विदेश से आए आक्रमणकारियों ने हमारे समाज को तोड़ने के लिए हमारे अंदर ऐसे भाव भरे, जिससे समाज में विघटन पैदा हो, लोग आपस में लड़ें। इससे विदेशियों को भारत में राज करना आसान हो जाए।
उन्होंने कहा कि चर्च पोषित ईसाई मिशनरी व कम्युनिस्ट ताकतें विश्व के अन्य देशों में तो परस्पर बैरी की तरह कार्य करती हैं, लेकिन भारत में वे संयुक्त मोर्चा बना कर हिन्दू समाज को तोड़ने का कार्य करती हैं। आज हिन्दू उनके षड्यंत्रोें को समझकर कमर कस कर खड़ा हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपाल
प्रसाद ने की। विसंकें, गोरखपुर
‘सकारात्मक विचारों का प्रसार होना जरूरी’
गत दिनों ग्वालियर के राष्टÑोत्थान भवन स्थित विवेकानंद सभागार में मामा माणिकचन्द वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास के तत्वावधान में एक व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र कुमार उपस्थित थे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पत्र लेखन विधा अब विलुप्त होती जा रही है, इसका स्थान अब सोशल मीडिया ने ले लिया है। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग नकारात्मक विचार जल्दी पकड़ते हैं और सकारात्मक एवं राष्टÑभावी विचार का उतना प्रचार-प्रसार नहीं हो पाता, जितना होना चाहिए। इसलिए हमें ऐसी पद्धति को आगे बढ़ाना है जो राष्टÑ का विकास करे और समाज के सभी वर्गों को राष्टÑभावी विचारधारा से जोडेÞ। विसंकें, ग्वालियर
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