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''ईश्वर एक है, उसे प्राप्त करने के लिए भले ही रास्ते भिन्न रहे हों। पंथ अनेक नहीं हैं, पर उनके वास्तविक मर्म को न समझने के कारण ही वे अनेक प्रतीत होते हैं। जैसे आग का एक ही धर्म है और वह है जलाना, इसी प्रकार पानी से लेकर हर वस्तु का अपना निश्चित धर्म होता है।'' उक्त बातें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने कहीं। वे गत दिनों शिमला में विवेकानंद केंद्र, नाभा की ओर से स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिये गए भाषण की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में ऋषियों ने भारत के लिए वह मार्ग प्रशस्त किया था, जिसका अनुसरण करें विश्व में आतंकवाद जैसी बुराइयों के लिये कोई स्थान नहीं बचता। भले ही ऋषि हवाई जहाज न बना पाए हों, लेकिन उन्होंने एकजुटता और सहयोग पर आश्रित एक समाज के निर्माण और शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करने के नियमों का सूत्रपात अवश्य किया था। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे विश्व को भारतीयता के महान आयामों का परिचय मिला। युवाओं को चाहिए कि वे स्वामी विवेकानंद के आदशोंर् को अपने जीवन में उतारें। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि थे प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक राजकुमार गौतम और सम्मानित अतिथि के रूप में विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी के संयुक्त निदेशक किशोर तोकेकर उपस्थित रहे।
-(विसंके, शिमला)
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