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हिन्दुत्व केवल धर्म नहीं है। यह एक सोच है, आजाद विचारधारा और विकसित नजरिया है। पूरी दुनिया में हिन्दुत्व ही है जहां समर्थन और विरोध दोनों एक साथ खुशी-खुशी चल सकते हैं। ऐसे कितने ही लोग हैं, जिन्होंने संकट काल में हिन्दुत्व की ज्योति जलाए रखी
मऊ पूर्वी उत्तर प्रदेश कम एक जनपद है। यह रामायणकालीन तमसा नदी के किनारे बसा है, जहां वनवास को जाते हुए प्रभु राम, माता सीता और लक्ष्मण ने रात्रि बिताई थी। कहा जाता है कि इसी तमसा के तट पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था जहां लव-कुश की परवरिश हुई थी। रामायण काल से इस इलाके पर विशेषकर नट समुदाय का प्रभाव था। उन्होंने किसी सवर्ण को वहां से हटाया। लेकिन सन् 1028 के आसपास एक कथित सूफी संत बाबा मलिक ताहिर का मऊ पर आक्रमण हुआ। आक्रमण इसलिए लिखा, क्योंकि सूफी अकेले नहीं थे। उनके साथ एक सैन्य टुकड़ी थी, जिसका नेतृत्व उनका भाई मलिक कासिम कर रहा था। इस सूफी को सैय्यद सालार मसऊद गाजी ने इलाके पर कब्जा करने के लिए भेजा था। वहां के तत्कालीन शासक ‘मऊ नट’ मलिक बंधुओं से अपने धर्म और जन्मभूमि को बचाने की कोशिश में अपने लोगों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए। इस विजय के पश्चात उन्मादियों ने इस क्षेत्र को ‘मऊ नट भंजन’ कहना शुरू किया, जो कालांतर में मऊनाथ भंजन और अब मऊ हो गया।
उस मऊ राजा के बलिदान को हम में से कितने लोग जानते हैं और इतिहास की कितनी किताबों में इसका वर्णन है, यह प्रश्न विचारणीय तो है ही। साथ ही, इस बात का प्रमाण भी है कि हिन्दुत्व की रक्षा में सभी जातियों का बलिदान एक समान है। हिंदुत्व की अमर बेल हर जाति के रक्त से सिंचित हुई है। त्रेतायुग में जब रावण ने बलात् माता सीता का हरण किया था, तब श्रीराम के साथ खड़े होने वाले लोग कथित सवर्ण नहीं थे, बल्कि वही थे जिन्हें आज समाज में वंचित और पिछड़ा कहा जाता है। क्षत्रियत्व एक भाव है, जिसे हर काल में हर जाति ने जिया है। अटल जी ने लिखा है—
तब स्वदेश रक्षार्थ देश का सोया क्षत्रियत्व जागा था,
रोम-रोम में प्रकट हुई यह ज्वाला
जिसने असुर जलाए देश बचाया
वाल्मीकि ने जिसको गाया,
चकाचौंध दुनिया ने देखी, सीता के सतीत्व की ज्वाला,
विश्व चकित रह गया देख कर, नारी की रक्षा निमित्त जब
नर क्या वानर ने भी अपना, महाकाल की बलि वेदी पर,
अगणित होकर सस्मित हर्षित शीश चढ़ाया।
सदियों से जंगलों, गुफाओं और सुदूर इलाकों में रह रहे ऐसे न जाने कितने लोग हैं, जिन्होंने संकट काल में हिन्दुत्व की ज्योति जलाए रखी। उनका इतिहास भले ही न लिखा गया हो, पर उनका बलिदान किसी से कम तो नहीं है। सीता के सतीत्व की रक्षा और धर्म पक्ष में श्रीराम के साथ खड़े होने वाले सभी लोग केवल कथित ऊंची जाति के तो नहीं थे। राम और वाल्मीकि के तमसा क्षेत्र को शत्रुओं के अपवित्र कदमों से बचाते हुए बलिदान हुए मऊ राजा, महाराणा प्रताप के साथ मुगलों से लड़ने वाले गिरिजन, हिन्दुत्व को बचाने के लिए पुत्र का बलिदान देने वाली पन्ना धाय और जूनागढ़ के राजा राव महिपाल सिंह के पुत्र राजकुमार नौघण, महारानी महामाया के प्राण रक्षण हेतु पुत्र की बलि देने वाले अहीर रामनाथ और उनकी पत्नी, ये सिर्फ कहानी नहीं है। यह उन सबको जवाब है जो हिन्दुत्व रक्षण में सिर्फ और सिर्फ अपनी जाति का ही गौरव-गान करते रहते हैं और इस नाते खुद को हिन्दुत्व का ठेकेदार समझते हैं।
(अभिजीत की फेसबुक वॉल से)
गर्व कीजिए कि सनातन धर्म का हिस्सा हैं
कुछ समय पहले लोगों ने गुरु चाणक्य पर उलटे-सीधे चुटकुले बनाए थे। कुछ लोगों को ये पसंद आए, तो कुछ ने इसका पुरजोर विरोध किया। अहम यह कि चुटकुले बनाने वाले और विरोध करने वाले दोनों हिन्दू थे। हमारे शास्त्रों-वेदों को लेकर भी ऐसे ही चुटकुले बनाए जा रहे हैं। कुछ लोग उसका आनंद ले रहे हैं और कुछ उसका विरोध भी कर रहे हैं। यहां भी चुटकुले बनाने वाले और विरोध करने वाले हिन्दू ही हैं।
चुटकुले बनाने वालों के अपने तर्क हैं और विरोध करने वालों के अपने। हमारे धर्म की खासियत ही यही है। सबकी अपनी-अपनी सोच और नजरिया है। हर इनसान मुद्दे को पहले अपने ज्ञान की कसौटी पर तौलता है। उसे जांचता-परखता है, फिर समर्थन या विरोध का निर्णय लेता है। हम कभी चाहकर भी कट्टर नहीं बन सकते। हम चाह कर भी दूसरे के बताए रास्ते पर सिर झुका कर नहीं चल सकते, क्योंकि हम भेड़ नहीं हैं। सोचने-समझने की शक्ति के मामले में हम सबसे विकसित कौम हैं। सबसे सहिष्णु और उदार भी हैं। हम सब कुछ बर्दाश्त कर लेते हैं। हम मुगलों को बर्दाश्त कर गए। अंग्रेजों को घर बुलाकर उनको देश का राजा बना दिया और खुद गुलाम बनकर रह लिए। हमने कांग्रेस को 60 साल हजम कर लिया, क्योंकि हिन्दुत्व केवल एक धर्म नहीं है। हिन्दुत्व एक सोच है, एक आजाद विचारधारा है। पूरी दुनिया में हिन्दुत्व ही है जहां समर्थन और विरोध दोनों एक साथ खुशी-खुशी चल सकते हैं। गर्व है कि मैं हिन्दू हूं। आप भी गर्व कीजिए कि आप इतनी स्वतंत्रता देने वाले सनातन धर्म का हिस्सा हैं। दुनिया में ऐसी आजादी और कहीं नहीं है।
(केतन विरानी की फेसबुक वॉल से)
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