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ईद का दिन। तारीख 26 जून। मेरठ के ईदगाह में हजारों मुसलमान ईद की नमाज अदा करने जुटे। नए कपड़े। नई टोपी। नई चप्पल। शरीर पर सबकुछ नया नया। लाउडस्पीकर से नमाज अदा कराने के बाद 'प्रेम और भाईचारे' का संदेश प्रसारित किया गया- 'मुसलमान मोदी और योगी सरकार से डरें नहीं।' हजारों लोगों की भीड़ चुपचाप तकरीर सुनती रही व अपने भीतर का 'डर' बाहर निकालने की कोशिश करती रही। डर निकला या और गहरे बैठ गया, यह तो पता नहीं, पर कारी शफीकुर्रहमान ने चेतावनी भरे लहजे में हिदायत जरूर दी, ''जो भी मुसलमानों पर जुल्मोसितम करता है, अल्लाह उसका इतिहास से नामोनिशान मिटा देता है।''
मेरठ का ही सोतीगंज बाजार, जो उत्तर भारत का सबसे बड़ा कबाड़ी बाजार माना जाता है। यह चोरी की गाडि़यों की खरीद-बिक्री का सबसे बड़ा बाजार है, जिस पर मुस्लिम मिस्त्रियों का एकछत्र राज है। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां दिल्ली-एनसीआर से चुराई गई अधिकांश गाडि़यां ठिकाने लगाई जाती हैं। पुलिस अक्सर यहां दबिश देती रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद पुलिस की कार्रवाई बढ़ी है। 3 जुलाई को ऐसी आखिरी कार्रवाई हुई थी, जिसका विरोध करने पर दर्जनभर लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अकेले मेरठ शहर की हैं ये दो घटनाएं, जिसमें मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और कारी द्वारा ऐसे अत्याचारों के विरोध का आह्वान, दोनों दिखते हैं। सवाल यह है कि क्या देश में सचमुच मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है जिसकी वजह से उन्हें डरकर जीना पड़ रहा है? कुछ वामपंथी पत्रकारों की दलीलों और रपटों से लगता है कि देश में ऐसा वातावरण बन गया है। बीते दो साल के दौरान गोरक्षा के नाम पर कुछ मुसलमानों से मारपीट को सबूत के तौर पर पेश किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि गोरक्षा के नाम पर हिंदुओं का एक धड़ा मुसलमानों के साथ गुंडई कर रहा है, जिससे वे दहशत में हैं। असल में यह सिक्के का एक पहलू है, जब यह बताया जाता है कि किसी मुस्लिम को गोवध या गौ तस्करी के 'संदेह' में पीटा गया। दूसरा पहलू यह है कि कानूनी सख्ती के बाद भी मुसलमान गोवध कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर में रमजान के दौरान गोवध की आधा दर्जन घटनाएं सामने आईं। जब पुलिस कार्रवाई करने पहुंची तो उसे मारपीट कर भगा दिया गया। इसी तरह चर्चित जुनैद हत्याकांड में खुद जुनैद मारपीट के इरादे से साथियों को लेकर आया था, लेकिन दुर्भाग्य से उसकी जान चली गई। हालांकि मीडिया ने इसे भी गोरक्षा के नाम पर हत्या कहकर प्रचारित कर किया।
शायद इसी प्रचारतंत्र का प्रभाव है कि पद से जाते-जाते उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी कह गए कि देश में एक वर्ग भयभीत है। पर जमीनी हकीकत इससे उलट है। जिस वर्ग को अंसारी भयभीत बता रहे हैं, उसी में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो सोतीगंज से लेकर दिल्ली के दरियागंज तक चोर बाजार चला रहे हैं। गाय से लेकर गाड़ी काटने तक हर गैर-कानूनी काम को अंजाम दे रहा है। अभी तक वे भीड़तंत्र का सहारा लेकर अपने गैर कानूनी काम को प्रश्रय देते रहे हैं। अब जबकि प्रशासन (कम से कम उ.प्र में) उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, तो वे इसे उत्पीड़न से जोड़ रहे हैं। हकीकत में मुसलमान कहीं से डरा हुआ नहीं है। वह डर का डर दिखा रहा है जो कि मुस्लिम उलेमाओं और नेताओं की पुरानी नीति रही है। 70-80 साल पहले भी उन्होंने यही डर दिखाया था कि अगर बहुसंख्यक हिंदुओं की सरकार बनी तो उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए पाकिस्तान ले लिया। मुसलमानों में डर एक कारगर रणनीति है जिसे दिखाकर राजनीतिक बढ़त हासिल की जाती है। वह डराकर और डरकर भी राजनीतिक फायदा उठाता है। यह डर उनकी राजनीतिक विचारधारा से ही आता है। उन्हें लगता है कि जैसे बहुसंख्यक होने पर मुसलमान गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बना देता है, वैसे ही दूसरे मत के लोग भी करते होंगे। हकीकत में इस्लाम दुनिया का इकलौता ऐसा मजहब है जो मजहब के नाम पर गैर मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक घोषित करता है और सच्चे इस्लामी राज्य में जीने के हर अधिकार छीन लेता है। दुनिया का कोई भी शासन-प्रशासन यह घृणित काम नहीं करता। -संजय तिवारी
(लेखक वेब पत्रकार, व vispot.com के संस्थापक संपादक हैं)
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