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न रुके हैं, न रुकेंगे ये कदम

by
Aug 21, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 21 Aug 2017 12:29:54

 

गत दिनों केरल के पलक्कड़ स्थित करणकायाअम्मन उच्च माध्यमिक विद्यालय के स्वर्ण जयंती उत्सव एवं स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत को आमंत्रित किया गया था। विद्यालय का कार्यक्रम एक वर्ष पहले से तय था। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर केरल प्रशासन ने तय कार्यक्रम में अड़चन डालते हुए जिले के जिलाधिकारी द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य के नाम एक आदेश दिया कि सहायता प्राप्त स्कूल के प्रमुख या राज्य निर्वाचित प्रतिनिधि ही राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते हैं, इसलिए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक झंडोत्तोलन नहीं कर सकते। लेकिन केरल प्रशासन के असंवैधानिक आदेश को दरकिनार करते हुए विद्यालन प्रबंधन ने निर्णय लिया और श्री मोहनराव भागवत ने अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए स्वतंत्रता दिवस पर झंडोत्तोलन किया। केरल प्रशासन के अराजक रवैये पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर घटना की निंदा की। विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि विद्यालय के स्वर्ण जयंती एवं स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए सरसंघचालक जी को विद्यालय प्रबंधन द्वारा आमंत्रित किया गया था। लेकिन 14 अगस्त की सायं को विद्यालय के प्रधानाचार्य को जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिस जारी किया जाता है। जिसमें कहा जाता है कि केवल संस्थागत प्रमुख या एक निर्वाचित प्रतिनिधि ही विद्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। हालांकि बाद में यह भी पता चला कि किसी भी अन्य विद्यालय को इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने परामर्श के बाद तय किया कि वे योजना के अनुसार आगे बढ़ेंगे और अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके बाद श्री भागवत एवं विद्यालय के अन्य संस्थागत प्रमुखों ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि संघ पिनरई  विजयन की सरकार के इस तरह के कुत्सित प्रयासों की निंदा करता है और इसे विभाजनकारी राजनीति के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता। मार्क्सवादियों को अपनी हिसंक  मनोवृत्ति पर विजय पानी होगी और  इस बात को समझना होगा कि स्वतंत्रता दिवस मनाना और ध्वजारोहण करना हर नागरिक का अधिकार है। किसी भी व्यक्ति को इस वंचित नहीं किया जा सकता।    

स्वदेशी के भाव से प्रकट होती है देशभक्ति
‘‘स्वतंत्रता संग्राम में अनेक बलिदानों के पश्चात देश को स्वतंत्रता मिली।  उसी का परिणाम है कि देश आज अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ा है। हम स्वावलंबन की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन समाज को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आघातों से भी सदैव सावधान रहना है।’’ यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी का। वे गत दिनों स्वतंत्रता दिवस के अंदर पर मध्य प्रदेश के इंदौर में शुभ कारज गार्डन में महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम सभी का जन्म लगभग 1947 (स्वतंत्रता के पश्चात) के बाद हुआ है। हमने अत्याचार नहीं देखे, न ही झेले। देश के लिए मरना-मिटना क्या होता है, हमें नहीं मालूम। फिर भी, कुछ न करते हुए भी, हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, वे चले गए, उन्होंने स्वतंत्रता का आनंद नहीं देखा, वे स्वतंत्रता का आनंद भी नहीं ले सके। लेकिन उनके बलिदान के कारण आज हम स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम देश की प्रगति में योगदान देने वाले बनें। देश के प्रति उदासीन होने से देश का भविष्य अंधकारमय होता है। केवल स्वतंत्रता दिवस पर भारत माता की जय बोल लेना पर्याप्त नहीं है। अपने देश-समाज की विशेषता के प्रति स्वाभिमान का भाव रखते हुए निरंतर चिंतन करते रहना चाहिए। समाज में कई प्रकार की देश विरोधी गतिविधियां चलती रहती हैं, हम उनको समझने वाले बनें। उन्होंने कहा कि कहा कि स्वदेशी के भाव से देशभक्ति का प्रकटीकरण होता है।
हम आधुनिकता के विरोधी न बनें, पर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें।
स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, स्वदेशी का आचरण और स्वदेशी का व्यवहार हमारा हो। चीन देश में अंदर तक घुस आया है। हमारे जीवन में घुस गया है। उसकी घुसपैठ निरंतर बढ़ रही है, हम इसके प्रति सतर्क हों। आर्थिक गुलामी से बचने के लिये स्वदेशी का व्यवहार अपनाएं। आज के दिन हम संकल्प करें कि हम देश हित में काम करेंगे और देश हित में ही बोलेंगे।      

(विसंकें, इंदौर)

‘‘जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं   को मिले अल्पसंख्यक दर्जा
नई दिल्ली स्थित भारतीय विधि संस्थान में 12 अगस्त को एक गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी का विषय था-‘अधिकारों के लिए संघर्ष करते अल्पसंख्यक’। गोष्ठी में मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक हो चुके लोगों के साथ हो रहे भेदभाव, उनके अधिकारों, समस्याओं आदि पर मंथन हुआ। गोष्ठी चार सत्रों में थी। पहला सत्र राष्टÑीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद हुसैन रिजवी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हिंदू, जो वहां धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक हैं, उन्हें भी अल्पसंख्यक का दर्जा देकर अल्पसंख्यकों को मिलनी वाली सारी सुविधाएं देनी चाहिए। देश के सभी अल्पसंख्यकों को बराबर के अधिकार मिलने चाहिए। इस सत्र के वक्ता थे वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमनी, प्रो. विद्युत मुखर्जी, न्यायमूर्ति एम.सी. गर्ग और डॉ. चारु वली खन्ना। वक्ताओं ने कहा कि देश के कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों वाली सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अधिकारों के नाम पर भाई-बहन के रिश्ते को खराब किया जा रहा है। बेटा-बेटी के अधिकार समान होने चाहिए। दूसरे सत्र की अध्यक्षता राष्टÑीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें तय कर सकती हैं कि उनके राज्य में कौन लोग अल्पसंख्यक हैं और कौन लोग बहुसंख्यक।  अन्य वक्ता थे सौरभ शमशेरी, फादर सी.एम. खन्ना, संजय टिक्कू, सुशील पंडित और प्रो. हिम्मत सिंह। इन लोगों का कहना था कि अनुच्छेद 35 ए के कारण जम्मू-कश्मीर के  हिंदुओं के साथ भेदभाव  हो रहा है। इसलिए इसे हटाना चाहिए। तीसरे सत्र की अध्यक्षता राष्टÑीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य ज्योतिका कालरा ने की। वक्ता थे न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, मुकेश अग्रवाल, सतिन्दर सिंह काला, लखविंदर सिंह सोढ़ी आदि। इस सत्र के वक्ताओं ने 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से आकर जम्मू क्षेत्र में बसने वाले उन हिंदुओं की बात की, जिन्हें अभी तक अनेक मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा गया है। चौथे सत्र में वक्ताओं और श्रोताओं के बीच खुली चर्चा हुई। गोष्ठी का आयोजन ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनेशनल (एचआरडीआई) और कश्मीर माइनॉरिटीज फोरम (केएमएफ) ने किया था। इस अवसर पर एचआरडीआई के संस्थापक और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गोगना, रा.स्व.संघ दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।      प्रतिनिधि

‘चीनी उत्पादों का करें बहिष्कार’

पिछले दिनों राष्टÑीय स्वदेशी सुरक्षा अभियान समिति, लुधियाना की तरफ से एक जन जागरण गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट, अधिवक्ता, चिकित्सक, उद्योगपति एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट जनों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में स्वदेशी जागरण मंच के राष्टÑीय सह संयोजक डॉ़ अश्विनी महाजन उपस्थित रहे।
 इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत के अंदर वे सारी क्षमताएं हैं कि वह किसी भी अर्थव्यवस्था का मुकाबला कर सके। लेकिन पूर्व की सरकारों ने भारत की कई चिंताओं को अनदेखा किया, लेकिन वर्तमान सरकार ने स्थानीय उद्योग को बचाने के लिए कई चीजों जैसे स्टील इत्यादि पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई और इसके अलावा जितने भी खेल-खिलौने जो पर्यावरण को खतरा पैदा करते थे, उनको भी रोक दिया गया है। ऐसे में लगभग चीन का भारत को 30 फीसदी निर्यात घट गया, लेकिन इस से काम नहीं चलेगा। यह मुहिम हर भारतीय की होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपने देश में बनी वस्तुएं ही खरीदनी चाहिए, चाहे वह महंगी ही क्यों न हों। चीन में बनी सारी ही चीजों की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह लगता है। कोई भी चीज गुणवत्ता के मानक पूरे नहीं करती। इसलिए इस सारे विषय को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी जागरण मंच चीन के निर्मित सामान का विरोध कर रहा है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी को इस मुहिम में शामिल होकर न केवल चीन निर्मित वस्तुओं का प्रयोग बंद करना है बल्कि समाज को भी जागरूक करना है।       (विसंकें, लुधियाना)    

विविधता में एकता हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि
‘‘भाई-बहन द्वारा रक्षा बन्धन उत्सव मनाने की कल्पना का विचार ही अत्यंत महान है, ऐसी कल्पना दुनिया की किसी अन्य संस्कृति एवं समाज में विद्यमान नहीं है। भारत में हिंदुत्व की कल्पना ऐसी है, जो मनुष्य एवं समाज को आपस में जोड़ने का कार्य करती है।’’ उक्त वक्तव्य राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ड़ॉ मनमोहन वैद्य ने दिया। वे पिछले दिनों काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित रक्षा बन्धन उत्सव को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज हिंदुत्व को बदनाम करने की साजिश चल रही है। कुछ अन्य विचारधारा के लोग हमें हिंसक एवं असहिष्णु कह रहे हैं। यानी भारत में भारत की छवि को खराब करने का प्रयास प्रगतिशीलता का परिचायक माना जा रहा है। जबकि दुनिया में हमारी पहचान हिंदुत्व, भारतीय चिंतन एवं दर्शन पर आधारित है और दुनिया को इसकी आवश्यकता इसी रूप में है। उन्होंने कहा कि हम सब की पहचान एक ही है, इस देश की विविधता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत रविदास मंदिर, गोवर्धनपुर के महंत पूज्य श्री भारत भूषण ने कहा कि माताओं-बहनों की सुरक्षा सामाजिक दायित्व है। यह संसार तेरे मेरे के भाव से दुखी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत हजारों हजार वर्ष पुराना राष्टÑ है, चिर पुरातन शाश्वत नियमों का एक से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण होता रहा है। इसलिए हमारा सनातन समाज एक दूसरे को समर्पण का संदेश देता है। रक्षाबंधन का यह उत्सव हमारे समाज को जोड़ने का कार्य करता है।      (विसंकें, देहरादून)

‘वास्तविक इतिहास से देश को रखा गया दूर’
‘‘देश में हिंदू समाज जिस दिन जातिवाद को त्यागकर एकत्र होगा, उस दिन विश्व की कोई भी शक्ति राम मंदिर निर्माण करने से नहीं रोक सकती।’’ उक्त बातें बजरंग दल के राष्टÑीय सह-संयोजक श्री सोहन सिंह सोलंकी ने कहीं। वे गत दिनों देहरादून के नगर निगम सभागार में विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के स्थापना दिवस पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष का हर दिन एक त्योहार के रूप में शुरू होता है। यहां होने वाले हर पर्व का एक उद्देश्य है, जो कहीं न कहीं सामाजिक समरसता से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि हम सबका दुर्भाग्य है कि पिछले 70 साल में भारतवर्ष की जनता को आज तक यह नहीं पता चलने दिया गया कि बाबर, अकबर, औरंगजेब जैसे विदेशी लुटेरे सनातन भारतीय सभ्यता के सबसे बड़े दुश्मन और बर्बरता के उदाहरण रहे हैं। भारत में जयचंदों की बड़ी संख्या ने उन्हें नायक बनाकर शिक्षा के क्षेत्रों में विकसित किया और महाराणा प्रताप, बंदा वीर बैरागी और वीर सावरकर जैसे देशभक्तों को शिक्षा और समाज से लुप्त कर दिया गया। इससे समाज को इन महान लोगों के जीवन से प्रेरणा लेने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भारत की अखण्डता पर प्रश्नचिह्न लगाने वाले भारत को उच्च शिखर पर जाते नहीं देख सकते। ऐसे लोग राष्ट्रद्रोही हैं जो यहां का अन्न-जल ग्रहण करते हैं लेकिन भारत माता की जय बोलने पर उन्हें आपत्ति है। ऐसी मानसिकता के लोग कभी भारत के हितचिंतक नहीं हो सकते।      ल्ल  (विसंकें, देहरादून)
देश-धर्म की रक्षा के  लिए  जागरूक हो समाज
पिछले दिनों नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में विभिन्न स्थानों पर अखंड भारत संकल्प दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश ने कहा कि पिछले एक हजार वर्ष में हमारे देश को 27 बार विभाजन का दंश झेलना पड़ा है। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत का भूभाग लगातार घटता रहा। पर अब किसी भी तरह का विभाजन नहीं होगा। जो भी इस तरह की साजिश रचने की कोशिश करेगा, समाज उसे जवाब देगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता  कर रहे  श्री बचन सिंह ने कहा कि धर्म और देश को बचाने के लिए हिंदुओं को जागरूक होने की आवश्यकता है।    

‘आज भी गांवों में स्थापित हैं नैतिक मूल्य’
‘‘ग्राम्या के माध्यम से पंचायत की जमीनी हकीकत सामने आई है। यह हर्ष का विषय है कि विश्व संवाद केन्द्र पंचायत प्रतिनिधियों के बारे में इतनी जानकारी इकट्ठा कर लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है।’’ उक्त बातें बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने कहीं। वे गत दिनों पटना में विश्व संवाद केंद्र सभागार में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा प्रकाशित मुखिया डायरेक्टरी ‘ग्राम्या’ का विमोचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य के गांवों को स्मार्ट बनाने के लिये यह सरकार प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों के लिए पंचायत कार्यालय का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें एक छत के नीचे सभी पंचायत प्रतिनिधि कार्य कर सकेंगे। विभागीय स्तर पर समय-समय पर कार्यशाला लगाकर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण एवं जानकारी दी जा रही है। उम्मीद है, सरकार के इन सारे प्रयासों को मुखिया डायरेक्टरी से लाभ होगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित रा.स्व.संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री रामदत्त चक्रधर ने ग्राम स्वराज्य की बात करते हुए कहा कि देश में जो पंचायती राज व्यवस्था है, वह प्राचीन काल से ही अलग-अलग रूपों में आज तक चली आ रही है। बीच में अंग्रेजी शासन के समय इसमें रुकावट आ गई, लेकिन समाज और सरकार के प्रयास से यह पुन: पटरी पर आती दिख रही है।     (विसंकें, पटना)    

‘लघु-कुटीर उद्योगों का हो विकास’
पिछले दिनों जोधपुर के इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियर्स में ‘चीन के विकास मॉडल का भारतीय दृष्टिकोण से आंकलन’ विषयक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पेसेफिक विश्वविद्यालय के कुलपति एवं स्वदेशी जागरण मंच के राष्टÑीय सह संयोजक डॉ़ भगवती प्रकाश शर्मा उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि चीन का विकास मॉडल केवल अधिकतम धनोपार्जन पर आधारित है। उसमें पर्यावरण, संस्कार, जीवन मूल्य, सद्भावना एवं भाईचारा कहीं भी मायने नहीं रखता। भारतीय दृष्टिकोण से चीन का विकास मॉडल अधिकतम प्राकृतिक दोहन व विस्तारवादी नीति के कारण अन्य देशों के संप्रभु अधिकारों में शुद्ध रूप से अतिक्रमण करने वाला है। यही कारण है कि यदि चीनी उत्पादों को खरीदते चले गये तो हम कभी भी विश्व को विकल्प नहीं दे सकेंगे। हम चीन के पेन, बल्ब, सोलर पैनल, मोबाईल, पावर प्लांट से लेकर रेलों के उपकरण खरीदेंगे तो देश के इन क्षेत्रों के उद्योग बंद होंगे और हम एक उद्योग रहित व प्रौद्योगिकी विहीन देश बनने की ओर अग्रसर होंगे। चीन की विदेश नीति के समर्थन में खड़े होने के एवज में ही वह अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी व एशियाई देशों को सहयोग देता है और उनकी ‘ब्लैक मेलिंग’ भी करता है। इसका प्रमुख उदाहरण यह है कि 2014 में चीन ने इसी के बलबूते दक्षिणी अफ्रीका को बाध्य कर परम पावन दलाई लामा की पूर्व निर्धारित प्रवेश की अनुमति को भी निरस्त करा दिया। उन्होंने चीन के विकास मॉडल की गति को रोकने के लिए भारत सरकार एवं जनता को चीन का सामान न खरीदने का कार्य करने पर बल दिया एवं विश्व में भारत की छवि को बरकरार रखने एवं आर्थिक हितों को संवारने के लिए लघु उद्योगों एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ आऱ पी.़सिंह ने स्वदेशी मॉडल अपनाने पर जोर दिया।  (विसंकें, जोधपुर)

एकल सुर-ताल की प्रस्तुति से गद्गद हुई दिल्ली
गत दिनों नई दिल्ली में एकल सुर-ताल के नाम से एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें वनवासी कथाकारों ने देशभक्ति, भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को समर्पित कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। उपस्थित लोग वनवासी कथाकारों की प्रतिभा देखकर दंग रह गए। उल्लेखनीय है कि ये कथाकार कुछ दिन पहले ही अमेरिका के चार महीने के प्रवास के बाद भारत लौटे हैं। वहां इन लोगों ने 27 राज्यों के 70 महानगरों में कथा करके अमेरिकावासियों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराया। कार्यक्रम में कथाकारों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दैनिक जागरण के मुख्य संपादक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री संजय गुप्त ने की। मुख्य वक्ता थे एकल अभियान के प्रणेता श्री श्याम गुप्त। प्रतिनिधि

‘देश को राष्ट्रद्रोहियों से बचाना होगा’
नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में गत दिनों सोशल रिफॉर्म एंड रिसर्च आर्गनाइजेशन व डॉयलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्टÑ वंदन-शहीदों को नमन’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री श्री सुदर्शन भगत एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अतुल भाई कोठारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्री कोठारी ने कहा कि देश को राष्टÑद्रोहियों से बचाना होगा। वर्तमान सरकार में एक शहीद जवान के बदले पाकिस्तान के 4 जवानों को मौत के घाट उतारा जाता है। देशवासियों ने एक ऐसी सरकार बनाई है जिसके मजबूत इरादों से अब चीन भी भय खाता है। मुख्य अतिथि श्री सुदर्शन भगत ने कहा कि भारत के सैनिकों ने पाक को सदैव हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब दिया है और आज भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सेना कश्मीर से लेकर सीमा पर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है।  समारोह में कारगिल युद्ध में शहीद कैप्टन विजय थापर के पिता कर्नल वीएस थापर ने कहा देश के वीर जवानों ने हर मौके पर अपने प्राणों को बलिदान देकर देश की रक्षा करके अपना फर्ज निभाया है।     प्रतिनिधि

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